बिल्डिंग बाइलॉज मंजूर, कम चौड़ी सड़क के किनारे मकान का निर्माण नहीं होगा
12 फुट से कम चौड़ी सड़क के किनारे आवासीय मकान का निर्माण नहीं होगा पटना : राज्य सरकार ने तीन साल से मंद पड़े रियल एस्टेट के कारोबारियों को मंगलवार को तोहफा देते हुए सरकार ने बहुप्रतिक्षित बिल्डिंग बाइलॉज को मंजूरी दे दी. देर शाम राज्य कैबिनेट की हुई बैठक में वर्ष 2032 के लिए […]
12 फुट से कम चौड़ी सड़क के किनारे आवासीय मकान का निर्माण नहीं होगा
पटना : राज्य सरकार ने तीन साल से मंद पड़े रियल एस्टेट के कारोबारियों को मंगलवार को तोहफा देते हुए सरकार ने बहुप्रतिक्षित बिल्डिंग बाइलॉज को मंजूरी दे दी. देर शाम राज्य कैबिनेट की हुई बैठक में वर्ष 2032 के लिए ‘ बिहार भवन उपविधि’ के नाम से बिल्डिंग बाइलॉज को मंजूरी दी गयी.
इसमें यह प्रावधान किया गया है कि 12 फुट से कम चौड़ी सड़क के किनारे आवासीय मकान का निर्माण नहीं होगा और 20 फुट से कम चौड़ी सड़क पर बहुमंजिली इमारत नहीं बनेगी. नये बाइलॉज के मुताबिक कुल जमीन के डेढ़ गुना और अधिकतम साढ़े तीन गुना क्षेत्र के बराबर निर्माण हो सकेगा. यह बाइलॉज राज्य के 11 नगर निगम, 42 नगर पर्षद और 87 नगर पंचायतों में लागू होगा.
33 साल बाद राज्य में लाये गये बिल्डिंग बाइलॉज के बारे में कैबिनेट सचिव बी प्रधान ने बताया कि अब 30 फुट चौड़ी सड़क पर जी प्लस पांच ऊंची इमारत बन पायेगी.
बहुमंजिली इमारतों की ऊंचाई अब मकान के ग्राउंड या पिलिंथ से मापी जायेगी. जहां बेसमेंट होगा, वहां उसके सिलिंग भवन की ऊंचाई का माप किया जायेगा. उन्होंने बताया कि इस स्थिति में सड़क के बीच से एक मीटर 20 सेंटीमीटर तक ऊंचाई को भवन की ऊंचाई की गणना में शामिल नहीं किया जायेगा. अन्य मामलों में यह छूट 0.9 मीटर तक की ऊंचाई के लिए लागू होगी.
नगर निकाय क्षेत्र के लिए बने बिल्डिंग बाइलाज में सड़क की चौड़ाई का निर्धारण वर्तमान में स्थित सड़क की औसत चौड़ाई के आधार पर निर्धारित करने का प्रावधान किया गया है. भवनों के निर्माण में आपदा प्रबंधन के पहलू को भी जोड़ा गया है. प्रधान ने बताया कि 15 मीटर से ऊंचे भवनों के निर्माण के लिए स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट को नक्शे के साथ जमा करने का प्रावधान किया गया है. 300 वर्ग मीटर तक के भूखंड पर आवासीय भवनों के नक्शे की स्वीकृति को आसान बनाया गया है.
नक्शा पास कराने के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस की सुविधा होगी. उन्होंने कहा कि विरासत वाले भवनों की मरम्मत को छोड़ कर गंगा के सामनेवाली भूमि की बाहरी चहारदीवारी से दो सौ मीटर तक की भूमि पर निर्माण की अनुमति नहीं होगी. गंगा के अलावा अन्य नदियों के सामने की भूमि की बाहरी चहारदीवारी से एक सौ मीटर की भूमि पर निर्माण की अनुमति नहीं मिलेगी.
20 फुट चौड़ी सड़क पर एफएआर 2, अधिकतम ऊंचाई 12 मीटर (जी+तीन, एस+तीन), 30 फुट चौड़ी सड़क पर एफएआर 2.5 और अधिकतम ऊंचाई 18 मीटर (एस+पांच), 40 फुट चौड़ी सड़क पर एफएआर 2.5 और अधिकतम ऊंचाई 24 मीटर और 60 फुट चौड़ी सड़क पर एफएआर 2.5, 80 फुट चौड़ी सड़क पर एफएआर 3.5 का प्रावधान किया गया है. 60 फुट व इससे अधिक चौड़ी सड़क पर ऊंचाई का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.
सेट बैक एरिया में बालकोनी के 50 प्रतिशत तक का एफएआर में गणना नहीं करने का सशर्त प्रावधान किया गया है. पार्किग के लिए कम-से-कम 25 प्रतिशत और अधिकतम 35 प्रतिशत जगह विभिन्न उपयोगी भवनों में रखने का प्रावधान किया गया है. अपार्टमैंट या ग्रुप हाउसिंग में पार्किग एरिया का 15 प्रतिशत आगंतुकों और एंबुलेंस के लिए प्रावधान किया गया. सभी प्रकार के भवनों में वर्षा जल संरक्षण को अनिवार्य किया गया है. नये प्रावधान में 30 मीटर चौड़ी सड़क पर पांच हेक्टेयर में एकिकृत टाउनशिप बसाने का प्रावधान है. प्रधान सचिव कैबिनेट ने बताया कि समय-समय पर बिल्डिंग बाइलाज में संशोधन के लिए रिव्यू कमेटी के गठन का प्रावधान किया गया है.
पहले मास्टर प्लान लागू होता, तो मिलता अधिक लाभ
2032 में पटना और राज्य के अन्य शहर कैसे होंगे, इसके मद्देनजर सरकार ने बिल्डिंग बाइलॉज को मंजूरी दी है. लेकिन, सरकार को पहले मास्टर प्लान को मंजूरी देनी चाहिए थी. मास्टर प्लान लागू हो जाता और इसके बाद बिल्डिंग बाइलॉज लागू किया जाता, तो शहर की स्थिति और भी बेहतर बनती. अब भी सरकार के पास समय है. वह तत्काल मास्टर प्लान को लागू करे. मौजूदा स्थिति में बिल्डिंग बाइलाज को कोई भी कोर्ट में चुनौती दे सकता है.
सरकार को बिल्डिंग बाइलाज की प्रत्याशा में बने अपार्टमेंट को रेगुलराइज करने पर भी ध्यान देना चाहिए. पिछले दो-तीन सालों में हजारों फ्लैट बन कर तैयार हैं, लेकिन कहीं-न-कही सरकार की रोक है. ऐसे भवनों कोरेगुलराइज करने पर रियल एस्टेट की मंदी दूर हो सकेगी. सरकार ने बाइलाज में निवासियों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा है. खासकर साइट सेट बैक का दायरा साढ़े चार मीटर से बढ़ा कर नौ मीटर कर दिया है. इससे कम चौड़ी जमीन पर अपार्टमेंट बनने में दिक्कत आयेगी. हालांकि, सरकार की समझ बनी है कि अधिक जगह से गाड़ियों के आने-जाने में दिक्कत नहीं होगी.
कवर्ट एरिया और ओपेन एरिया भी चिह्न्ति किये गये हैं. स्ट्रक्चरल स्टेबलिटी सर्टिफिकेट का प्रोविजन कर सरकार ने फ्लैट खरीदनेवालों को बड़ी राहत दी है. इससे मकान के निर्माण शुरू करने के 15 दिन पूर्व नगर निगम के अधिकारी को सूचना देना अनिवार्य होगा. संबंधित अधिकारी की यह ड्यूटी होगी कि वह नियमित रूप से भवन के निर्माण में बीम में लगे लोहे की मात्र तक की जांच कर सकेंगे.
बहुमंजिली इमारतों के निर्माण पर कोई रोक नहीं : सम्राट
पटना : नगर विकास एवं आवास मंत्री सम्राट चौधरी ने मंगलवार को बिल्डिंग बाइलॉज को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद कहा कि अब बहुमंजिली इमारत के निर्माण पर अब कोई बंदिश नहीं रही. कोई भी व्यक्ति या बिल्डर बहुमंजिली इमारत का निर्माण करा सकता है. इसके लिए शर्त सिर्फ यह है कि निर्धारित फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) के मुताबिक जमीन के अधिकतम साढ़े तीन गुना क्षेत्र के बराबर ही निर्माण करना होगा. सात मंजिली इमारत के निर्माण के लिए नगर विकास विभाग से, जबकि उससे अधिक ऊंची इमारतों के निर्माण के लिए एयरपोर्ट ऑथोरिटी के क्लियरेंस लेना होगा. इसके बाद नगर विकास विभाग की अनुमति लेनी होगी. बहुमंजिली इमारत निर्माण के लिए 60 फुट चौड़ी सड़कों को ही आधार बनाया गया है.1981 के बाद राज्य में पहली बार नया बाइलाज तैयार किया गया है.
श्री चौधरी ने बताया कि नये बाइलाज में सोलर इनर्जी सिस्टम का प्रावधान किया गया है. विशेष प्रकार के भवन जैसे अस्पताल या अन्य भवनों में सोलर वाटर हिटिंग व सोलर प्लेट की गाइडलाइन दी जायेगी. दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि अब पटना को दो भागों में बांटा जायेगा. पुराना पटना और नया पटना. इसके लिए टाउन प्लॉनिंग ऑथोरिटी को यह अधिकार दिया जायेगा कि वह नया व पुराने शहर में चिह्न्ति कर उसकी सीमा निर्धारित करे.
पुराने बाइलॉज में ग्राउंड लेवल को परिभाषित नहीं किया गया है. नये बाइलाज में इसको परिभाषित कर दिया गया है. किसी भी स्टैंडर्ड रोड के पास निर्मित भवन पर बनने वाले मकानों का 0.09 मीटर का ग्राउंड फ्लोर होगा. इसके अलावा जिस भवन का बेसमेंट है, वहां पर ग्राउंड फ्लोर की ऊंचाई 1.2 मीटर का होगी.
उन्होंने बताया कि नये व पुराने इलाकों में एफएआर अलग-अलग होगा. आवासीय क्षेत्र में 300 वर्ग मीटर यानी ढाई कट्ठे में ग्राउंड प्लस दो फ्लोर (10 मीटर) के भवन का निर्माण के लिए किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी. पर, सुरक्षा और आपदा को ध्यान में रखते हुए किसी भी तरह का भवन निर्माण के लिए भूकंप रोधी प्रमाणपत्र लेना हर हाल में अनिवार्य कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि पुराने बिल्डिंग बाइलाज में 15 मीटर की ऊंचाई के भवन निर्माण के लिए 40 फुट की सड़क का प्रावधान था. अब इसमें रियायत दे दी गयी है.
कोई भी व्यक्ति 30 फुट की सड़क पर 18 मीटर ऊंची यानी ग्राउंड प्लस पांच इमारत बना सकता है.बिल्डिंग बाइलाज में भवन निर्माण के लिए मकान मालिक, प्राधिकार और निर्माता तीनों के कर्तव्य एवं दायित्व को परिभाषित किया जायेगा. अब अपार्टमेंट निर्माण के लिए न्यूनतम 800 वर्ग मीटर होना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि 30 मीटर चौड़ी सड़क से कम पर एकीकृत टाउनशिप का प्रावधान नहीं होगा. किसी भी भवन के बिल्टअप एरिया का 25 फीसदी व अधिकतम 35 फीसदी क्षेत्र पार्किग के लिए रखना होगा. अपार्टमेंट भवनों में आगंतुकों व एंबुलेंस के लिए अतिरिक्त 15 फीसदी रिक्त स्थान का प्रावधान किया गया है.