आप इंतजार कीजिए, देर से आयेंगे डॉक्टर
पटना सिटी: दवा की कमी, समय पर नहीं आते डॉक्टर व कर्मचारी. बेडों की स्थिति भी खराब. क्षेत्र के अमूमन सभी उप स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति ऐसी ही है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया भी आपत्ति जता चुकी है. उप स्वास्थ्य केंद्र ही स्वास्थ्य सेवा की […]
पटना सिटी: दवा की कमी, समय पर नहीं आते डॉक्टर व कर्मचारी. बेडों की स्थिति भी खराब. क्षेत्र के अमूमन सभी उप स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति ऐसी ही है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया भी आपत्ति जता चुकी है. उप स्वास्थ्य केंद्र ही स्वास्थ्य सेवा की नींव मानी जाती है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि गंभीर मरीजों का प्राथमिक उपचार कर उसे मेडिकल या रेफरल अस्पताल में भेजा जा सके.
पांच वार्ड में स्वास्थ्य केंद्र
पटना नगर निगम सिटी अंचल के बीस वार्ड में से महज पांच वार्ड में ही स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा है. इस केंद्र में भी चिकित्सकों व स्वास्थकर्मियों के साथ दवाओं की कमी से भी लोगों को दो-चार होना पड़ता है. नतीजतन उपचार के लिए लोगों को नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल व गुरु गोविंद सिंह अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है. इधर बड़े अस्पतालों की स्थिति यह है कि करोड़ों रुपये स्वास्थ्य विभाग का खर्च होने के बाद भी मरीजों को सुविधा नहीं मिल पाती है. स्थिति यह है कि स्वास्थ्य सेवा के लिए अब भी लोगों को निजी चिकित्सालय पर ही आश्रित होना पड़ता है.
मेडिकल काउंसिल को भी आपत्ति
वार्ड व ग्रामीण परिवेशवाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा नहीं होने के कारण मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया भी आपत्ति दर्ज कर चुकी की है. दर्ज आपत्ति में कहा गया है कि हर वार्ड में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होना चाहिए. ऐसे में जिन वार्ड में स्वास्थ्य केंद्र हैं, वहां भी लोगों को रूई, सूई व दवाओं की कमी ङोलनी पड़ती है, साथ ही केंद्र भी नियमित रूप से नहीं खुलता है.