पटना: भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री राजीव प्रताप रुडी ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर सत्ता मिली थी, तो यही चेहरा 1995 व 2000 के चुनावों में क्यों नहीं सत्ता दिला पाया था. मुख्यमंत्री इन दिनों प्रोटोकॉल अफसर की भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सदाकत आश्रम पहुंचाने तक की जिम्मेवारी निभायी. अब जदयू के नेता केंद्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ महंगाई व भ्रष्टाचार पर बोलना भी बंद कर चुके हैं. श्री रुडी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर विरोधी रहे जदयू सांसदों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई को वापस लेने पर भी चुटकी ली.
माफ कर दें जदयू कार्यकर्ता
उन्होंने व्यंग्य किया कि भाजपा के 91 विधायकों की ताकत के बल पर सरकार द्वारा जदयू कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गयी. इसके लिए जदयू कार्यकर्ता माफ कर दें. भाजपा सरकार से अलग हो चुकी है. इसलिए अब वे स्वतंत्र हैं. श्री रुडी ने कहा कि मुख्यमंत्री को मंत्रिमंडल का विस्तार करना चाहिए. कहीं विस्तार के बाद नेतृत्व पर खतरा को देखते हुए तो इसे रोके नहीं रखा गया है? उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री का पद भी खाली है.
कैबिनेट का प्रस्ताव अधूरा
रुडी ने कहा, सीबीआइ की स्वतंत्रता को लेकर केंद्रीय कैबिनेट द्वारा लिये गये निर्णय आधे-अधूरे हैं. भाजपा इसे देश की जनता की आंखों में धूल झोंकना मानती है. केंद्र सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज के निर्देशन में सीबीआइ के अनुसंधान पर नजर व नियंत्रण रखना चाहता है. भाजपा का स्पष्ट मानना है कि सीबीआइ पर लोकपाल का नियंत्रण होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा भाजपा नेता सुषमा स्वराज व अरुण जेटली पर उत्तराखंड नहीं जाने का आरोप निराधार है. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने वीआइपी लोगों से दौरे पर नहीं जाने की अपील की थी. हालांकि, इसके बावजूद राहुल गांधी ने दौरा किया. उनके साथ एसपीजी की पूरी टीम थी.