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जदयू के चार बागियों की नहीं होगी गवाही, 12 को होगी अंतिम बहस और फैसला

पटना: जदयू के चार बागी विधायक अजीत कुमार,पूनम देवी,राजू सिंह और सुरेश चंचल की विधानसभा सदस्यता मामले में गवाही नहीं होगी. अब 12 दिसंबर को स्पीकर कोर्ट में दोनों पक्ष के अधिवक्ता की ओर से फाइनल बहस के बाद इस मामले पर फैसला आयेगा. बुधवार को स्पीकर कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता और संसदीय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2014 1:06 AM

पटना: जदयू के चार बागी विधायक अजीत कुमार,पूनम देवी,राजू सिंह और सुरेश चंचल की विधानसभा सदस्यता मामले में गवाही नहीं होगी. अब 12 दिसंबर को स्पीकर कोर्ट में दोनों पक्ष के अधिवक्ता की ओर से फाइनल बहस के बाद इस मामले पर फैसला आयेगा.

बुधवार को स्पीकर कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता और संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें जो भी कहना था उसे लिखित रूप से कोर्ट के सामने रखा है. इसके बाद सरकार की ओर से उनके परामर्शी मंत्री पी.के.शाही ने बहस शुरू की. इस पर बीच में बागियों के अधिवक्ता शशिभूषण कुमार मंगलम ने आपत्ति जाहिर की कि वे जो कुछ भी कह रहे हैं वह पूर्व में भी कही गयी है. इसलिए श्रवण कुमार गवाही दें. पूर्व में भी चार बागियों पर इस मामले पर स्पीकर कोर्ट में फैसला सुनाया है और उसका फैसला हाइकोर्ट में लंबित है. स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि दोनों मामलों में कोई ताल्लुक नहीं है. दोनों केस का कोई लेना-देना नहीं है. स्पीकर ने साफ कहा कि 12 दिसंबर को सरकार के अधिवक्ता का पक्ष रखने के बाद बागियों के वकील भी अंतिम रूप से अपना पक्ष हर हाल में रख दें. इसी दिन विधानसभा कोर्ट इस मामले पर अपना फैसला सुनायेगी. इसके लिए उन्हें अलग से समय नहीं दिया जायेगा.

जदयू के बागी विधायक सुरेश चंचल ने कहा कि चारों विधायकों पर पूर्व नियोजित तरीके से कार्रवाई हो रही है. प्री प्लान है. जैसा चाह रहे हैं वे वैसा कर रहे हैं.

स्पीकर कोर्ट में उनके अधिवक्ता को बोलने ही नहीं दिया जा रहा है. एक -दो दिन गैप कर बुलाया जा रहा है. हमारे वकील को बहस के लिए भी समय नहीं दिया जा रहा. कहा जा रहा है कि 12 दिसंबर को पीके शाही का पक्ष रखने के बाद हर हाल में वे भी अपनी बहस को कनक्लूड करें. ताकि कोर्ट अपना फैसला सुना सके. सुरेश चंचल ने कहा कि बिना दोनों पक्षों की गवाही के बाद अब सीधे फैसला सुनाने की बात कही जा रही है. यह सही नहीं है. स्पीकर के सामने किसी भी निवेदन और आग्रह को कोई मतलब ही नहीं है. उन्हें मालूम है कि न्याय नहीं मिलने वाला है और क्या फैसला आने वाला है.

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