जरूरी नहीं कि जज की कुरसी पर बैठ कर ही न्याय किया जाये : न्यायमूर्ति अंसारी

पटना: पटना हाइकोर्ट के वरीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति इकबाल अहमद अंसारी ने कहा कि मानवाधिकार किसी संविधान या कानून का मुहताज नहीं होता. यह जरूरी नहीं कि न्यायाधीश की कुरसी पर बैठ कर ही न्याय किया जाये. हम दैनिक जीवन में भी किसी को न्याय प्रदान करके उसके मानवाधिकारों की रक्षा कर सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2014 1:08 AM

पटना: पटना हाइकोर्ट के वरीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति इकबाल अहमद अंसारी ने कहा कि मानवाधिकार किसी संविधान या कानून का मुहताज नहीं होता. यह जरूरी नहीं कि न्यायाधीश की कुरसी पर बैठ कर ही न्याय किया जाये. हम दैनिक जीवन में भी किसी को न्याय प्रदान करके उसके मानवाधिकारों की रक्षा कर सकते हैं.

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस और बिहार मानवाधिकार आयोग की स्थापना की छठी वर्षगांठ पर सचिवालय परिसर स्थित अधिवेशन भवन में कार्यक्रम के दौरान आयोग के अध्यक्ष व ओडिशा हाइकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बिलाल नाजकी ने कहा कि बिहार तो वैसे ही मानवाधिकारों की रक्षा करनेवाली जमीन रही है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन भी मानवाधिकारों की रक्षा की ही लड़ाई थी और महात्मा गांधी ने बिहार की धरती चंपारण से ही स्वतंत्रता आंदोलन का शंखनाद किया था. इस मौके पर बिहार मानवाधिकार आयोग की ओर से महात्मा गांधी को स्वतंत्रता संग्राम का शंखनाद करने को चंपारण आमंत्रित करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी स्व राजकुमार शुक्ल के पौत्र मणिभूषण राय को स्मृति चिह्न् और प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया.

इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को बतौर मुख्य अतिथि भाग लेना था, लेकिन व्यस्तता के कारण वे कार्यक्रम में शरीक नहीं हो सके. न्यायमूर्ति इकबाल अहमद अंसारी ने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा स्टेट की जिम्मेवारी नहीं है, बल्कि यह तो समाज की जिम्मेवारी है. जब हमारे समाज में संविधान और कानून नहीं थे, तो आदिम युग में भी लोगों के मानवाधिकार थे. तब मानवाधिकारों की रक्षा परिवार और समाज से ही होती थी. उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे मानवाधिकारों के कारण किसी दूसरे के मानवाधिकारों का तो हनन नहीं हो रहा है. आयोग के अध्यक्ष बिलाल नाजकी ने कहा कि मानवाधिकारों के हनन के मामले में बिहार देश के 14वें स्थान पर है. लेकिन अगर आबादी की दृष्टि से बिहार का स्थान और अधिक नीचे आयेगा. कार्यक्रम को बिहार के लोकायुक्त न्यायमूर्ति सीएम प्रसाद, आयोग के पूर्व सदस्य न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद, आयोग के वर्तमान सदस्य न्यायमूर्ति मंधाता सिंह, आयोग के सदस्य व राज्य के पूर्व डीजीपी नीलमणि, गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी, डीजीपी पीके ठाकुर समेत कई कानूनविद और मानवाधिकारों की सुरक्षा को लेकर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी संबोधित किया.

कमजोर वर्ग को संरक्षण आवश्यक : मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के तत्वावधान में बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान के सभागार में विश्व मानवाधिकार पर सुशासन, भ्रष्टाचार और मानवाधिकार विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया गया. प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जगन्नाथ मिश्र ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि 21 वीं शताब्दी के देश विदेश में त्वरित परिवर्तनों के दौर में प्रशासनिक सेवाओं को अच्छी सेवा के जरिये गरीब, दलित और कमजोर वर्ग को संरक्षण प्रदान करना आवश्यक है. कार्यक्रम को आइएएस आइसी कुमार, आइएएस आरयू सिंह, आइएएस बच्च ठाकुर, राम उदर झा, श्याम बिहारी मिश्र, रघुवीर मोची, उपेंद्र विद्यार्थी, सुधा सिंह आदि ने भी संबोधित किया.

जागरूकता अभियान चले : ह्यूमैन राइट्स प्रमोशन एंड रिसर्च आर्गेनाइजेशन द्वारा मानवाधिकार दिवस मनाया गया. मौके पर आयोजित संगोष्ठी में डॉ नरेश कुमार सिंह ने कहा कि मानवाधिकार के संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान तेज करने की आवश्यक्ता है. उन्होंने उच्च शिक्षा में मानवाधिकार की पढ़ाई प्रारंभ करने की जरूरत बतायी.

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