नपाई से शुरू कहानी, निलंबन पर खत्म

पटना: कमिश्नर कुलदीप नारायण ने विवादों के बीच ही नगर निगम में कदम रखा था. उनके पहले के तीन कमिश्नर दिवेश सेहरा, मनीष कुमार और आदेश तितरमारे भी मेयर अफजल इमाम के साथ विवाद को लेकर चर्चा में रहे थे. कुलदीप नारायण और मेयर अफजल इमाम के बीच विवाद होटल बुद्धा इन की नपाई के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2014 2:17 AM

पटना: कमिश्नर कुलदीप नारायण ने विवादों के बीच ही नगर निगम में कदम रखा था. उनके पहले के तीन कमिश्नर दिवेश सेहरा, मनीष कुमार और आदेश तितरमारे भी मेयर अफजल इमाम के साथ विवाद को लेकर चर्चा में रहे थे. कुलदीप नारायण और मेयर अफजल इमाम के बीच विवाद होटल बुद्धा इन की नपाई के दौरान चर्चा में आया.

हाइकोर्ट के आदेश पर अवैध भवनों पर चल रही कार्रवाई के दौरान ही इस होटल की नपाई के दौरान कुलदीप नारायण और अफजल इमाम पहली बार आमने-सामने खड़े दिखे. उसके बाद लगातार उनके संबंधों में तल्खी आती चली गयी. इसके बाद उनके बीच वार्डो में 10-10 लाख व 15-15 लाख रुपये की फंडिंग को लेकर विवाद बढ़ा. कमिश्नर का आरोप था कि मेयर चुनिंदा वार्ड में पैसा देना चाह रहे थे,जबकि मेयर का कहना था कि पंद्रह लाख की योजना पूरी हो. उसी सब को लेकर विवाद चलता रहा.

कमिश्नर पर आरोप लगाया जाता रहा कि जनहित का कोई काम नहीं हो रहा. इसको लेकर स्थायी समिति के सदस्यों ने हाइकोर्ट में केस भी दायर किया है. इसमें आरोप लगाया कि बोर्ड में जो निर्णय लिये गये कि उसका पालन नहीं किया जा रहा. इसके बदले उलट-पुलट निर्णय लिये जा रहे हैं. उसके बाद नूतन राजधानी अंचल के मुख्य सफाई निरीक्षक की पोस्टिंग और अधिवक्ता हिमकर को हटाये जाने को लेकर भी काफी नोक-झोंक चलती रही. इसी बीच, मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया. इस दौरान कमिश्नर पर मेयर के खिलाफ पार्षदों को भड़काने का आरोप भी लगा. अविश्वास प्रस्ताव में मेयर की जीत के बाद कटुता और बढ़ गयी. पूरा निगम दो खेमों में बंट गया.

उसके बाद दोनों एक-दूसरे की बुलायी गयी स्थायी समिति व बोर्ड बैठकों का बहिष्कार करने लगे. मेयर-कमिश्नर के बीच संवादहीनता का हाल यह था कि दोनों एक-दूसरे पर बैठक में अभद्र शब्दों का प्रयोग किये जाने का आरोप लगाते थे. इसको लेकर बैठकों की वीडियोग्राफी भी करायी जाती थी. वीडियोग्राफी विवाद के बाद सीसीटीवी का विवाद भी सामने आया.

कमिश्नर के आदेश पर परिसर में अलग से लगाये गये सीसीटीवी को हटाये जाने पर जबरदस्त ड्रामा हुआ और इसको लेकर थाने तक मामला पहुंच गया. इन दोनों के बीच मामला

सुलझाने को लेकर डीएम को भी दायित्व सौंपा गया, मगर कोई फायदा नहीं हुआ. डीएम ने भी अपने ऑर्डर में नगर निगम के इन दोनों शीर्षस्थ के बीच सामंजस्य की कमी और संवादहीनता को जिम्मेदार ठहराया था.

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