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होमगार्ड के लिए जिलों में बनेगा बैरक : मुख्यमंत्री

पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने होमगार्ड जवान को पुलिस की तरह एक अनुशासित बल के रूप में काम करने का आह्ववान किया है. उन्होंने कहा कि आपकी सभी मांगें जायज थीं. हमें उन्हें पूरा कर खुशी का अनुभव हो रहा है. मुख्यमंत्री ने इशारों-ही-इशारों में होमगार्ड के जवानों को पुलिस के जवान की तरह […]

पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने होमगार्ड जवान को पुलिस की तरह एक अनुशासित बल के रूप में काम करने का आह्ववान किया है. उन्होंने कहा कि आपकी सभी मांगें जायज थीं.

हमें उन्हें पूरा कर खुशी का अनुभव हो रहा है. मुख्यमंत्री ने इशारों-ही-इशारों में होमगार्ड के जवानों को पुलिस के जवान की तरह पूरी वरदी में अपनी डय़ूटी पर टाइट रहने का आह्वान किया है. राजधानी के मिलर हाइस्कूल में बिहार रक्षा वाहिनी स्वयं सेवक संघ द्वारा आयोजित गृह रक्षकों के सम्मेलन को मुख्यमंत्री संबोधित कर रहे थे. उन्होंने मंच से घोषणा की कि राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में गृह रक्षकों के रहने के लिए बैरक बनेगा.

साफ-सुथरा रहने की नसीहत : उन्होंने होमगार्ड जवानों को साफ-सुथरा रहने और अपनी वरदी का ध्यान रखने की नसीहत दी. अच्छा नहीं लगता कि कोई होमगार्ड का जवान वरदी में भी हवाई चप्पल पहनता है. अब होमगार्ड के जवानों को डय़ूटी पाने के लिए अपने अधिकारियों की परिक्रमा नहीं करनी होगी. सरकार इसके लिए एक पारदर्शी व्यवस्था करने पर विचार कर रही है. उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि बीस साल में दस साल तक डय़ूटी करने वाले होमगार्ड को सेवानिवृत्ति के बाद तीन लाख रुपये सेवानिवृत्ति लाभ दिया जायेगा. आपकी हमने लगभग सभी मांग स्वीकार कर ली है.

उन्होंने होमगार्ड जवान की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपमें पुलिस के जवानों से किसी भी सूरत में काबिलियत की कमी नहीं है. मौके पर बिहार रक्षा वाहिनी स्वयं सेवक संघ के संरक्षक विधायक सोम प्रकाश, संघ के अध्यक्ष अरुण कुमार ठाकुर, कार्यकारी अध्यक्ष देश बंधु आजाद, उपाध्यक्ष कन्हैया राय व महासचिव सुदेश्वर प्रसाद भी थे.

अगले वित्तीय वर्ष में होगी घोषणा

होमगार्ड की बेहतरी के लिए राज्य सरकार ने कई फैसले लिये हैं, लेकिन उसकी घोषणा अगले वित्तीय वर्ष यानी मार्च के बाद होगी. होमगार्ड जवानों से मुखातिब सीएम ने कहा कि गरीबों की कोई जाति नहीं होती. हम भी गरीबी के रास्ते चल कर यहां तक पहुंचे हैं. मुख्यमंत्री ने मीडिया को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अब हम भी संभल कर बोलना सीख गये हैं. उन्होंने कहा, मेरे पेट में बात नहीं पचती. इसी सहजता के कारण मुङो बार-बार अपने ही बयान से परेशान होना पड़ता है. क्या करें!

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