वीरेंद्र व पूजा को 10 साल सश्रम कारावास की सजा

डुमरा कोर्ट: कंचनबाला सुसाइड कांड में मंगलवार को प्रथम तदर्थ अपर जिला व सत्र न्यायाधीश मो इरशाद अली ने मुख्य आरोपित वीरेंद्र साह व पूजा को 10-10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए दोनों पर 50-50 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है. अर्थदंड की राशि नहीं चुकाने पर छह माह अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2014 1:38 AM

डुमरा कोर्ट: कंचनबाला सुसाइड कांड में मंगलवार को प्रथम तदर्थ अपर जिला व सत्र न्यायाधीश मो इरशाद अली ने मुख्य आरोपित वीरेंद्र साह व पूजा को 10-10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए दोनों पर 50-50 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है. अर्थदंड की राशि नहीं चुकाने पर छह माह अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना पड़ेगा. अर्थदंड की राशि का तीन चौथाई भाग मृतका के परिजनों को मिलेगा. सजा के बिंदु पर उभय पक्षों में से अपर लोक अभियोजक कॉमरेड नरेंद्र प्रसाद सिन्हा की ओर से प्रस्तुत तर्को से संतुष्ट होकर न्यायाधीश ने यह पाया कि दोषसिद्ध व्यक्तियों के विरुद्ध जो भी अपराध व दोष प्रमाणित हुआ है, वह सामाजिक अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसी हालत में दोषिों को दी जानेवाली सजा में कमी की इनकी प्रार्थना अस्वीकार की जाती है.

प्रत्येक दोषसिद्ध व्यक्ति को भारतीय दंड विधान की धारा-306 (आत्महत्या के लिए प्रेरित करने) के अंतर्गत कारित अपराध के लिए उक्त सजा मिली है. वहीं, न्यायाधीश ने भारतीय दंड विधान की धारा 120(बी) के अंतर्गत भी दोनों को दोषी पाया, पर उक्त धारा में अलग से सजा देना कोर्ट ने आवश्यक नहीं समझा है.

मालूम हो कि न्यायाधीश ने गत 11 दिसंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मुख्य आरोपित वीरेंद्र साह एवं पूजा कुमारी को भादवि की धारा-306 एवं 120(बी) के तहत दोषी पाया था. इस मामले के अन्य आरोपित लवली कुमारी, अखिलेश पासवान, भैरव उर्फ भैरवु यादव एवं गौरी यादव को संदेह के आधार पर बरी कर दिया गया था.

क्या था पूरा मामला

रून्नीसैदपुर थाने के हरसिंगपुर के उदय कांत झा की पुत्री कंचनबाला ने 23 अगस्त, 2012 को डुमरा नगर पंचायत के वार्ड संख्या-पांच के किराये के मकान में गले में फंदा लगा कर खुदकुशी की थी. छात्र कंचनबाला ने सुसाइड नोट में पुलिस पर आरोपितों को मदद पहुंचाने समेत कई गंभीर आरोप लगाये थे. मामला के तूल पकड़ने पर राज्य सरकार ने गंभीरता को देखते हुए महिला आइपीएस अधिकारी आइजी शोभा अहोतकर को जांच की जिम्मेवारी सौंपी थी.

Next Article

Exit mobile version