फिलहाल आयुक्त बने रहेंगे कुलदीप, पदभार संभाला

पटना: पटना नगर निगम के आयुक्त कुलदीप नारायण फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे. पटना हाइकोर्ट ने मंगलवार को यह निर्देश दिया. न्यायाधीश वीएन सिन्हा और पीके झा के खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट के निर्देश के आधार पर कुलदीप नारायण ने मंगलवार को नगर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2014 1:52 AM

पटना: पटना नगर निगम के आयुक्त कुलदीप नारायण फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे. पटना हाइकोर्ट ने मंगलवार को यह निर्देश दिया. न्यायाधीश वीएन सिन्हा और पीके झा के खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट के निर्देश के आधार पर कुलदीप नारायण ने मंगलवार को नगर आयुक्त के पद पर योगदान कर लिया.

खंडपीठ ने कहा कि सरकार कोर्ट को नजरअंदाज नहीं कर सकती. कोर्ट मूकदर्शक नहीं बना रह सकता है. सुनवाई शुरू होने के पहले हाइकोर्ट प्रशासन ने अचानक सोमवार की तरह लोकहित याचिका की सुनवाई के लिए न्यायाधीश वीएन सिन्हा और पीके झा के कोर्ट बने रहने की सूचना दी. इसके पहले हाइकोर्ट प्रशासन ने सोमवार की देर रात न्यायाधीश पीके झा की जगह न्यायाधीश आरके मिश्र को लोकहित याचिका की सुनवाई के लिए गठित कोर्ट में शामिल किया था.

सुनवाई के दौरान कोर्ट में नगरआयुक्त कुलदीप नारायण के निलंबन से संबंधित संचिका रखी गयी. कोर्ट ने कहा, आप्त सचिव के नोटिस पर निर्णय लिया गया है. संचिका में कोर्ट के आदेश का कंप्लायंस नहीं करने पर न्यायाधीश की टिप्पणी थी कि यह सब अचानक कैसे नगर विकास विभाग को याद आ गया. खंडपीठ का कहना था कि नगर आयुक्त पर लगाये गये सारे आरोप बेकार हैं. जिन आरोपों पर निलंबन आदेश जारी किया गया है, उनकी जिम्मेवारी दूसरे अधिकारियों पर थी. सरकारी वकील ने कहा कि एक दूसरे बेंच ने कहा है कि ट्रांसफर मामले की सुनवाई लोकहित याचिका की सुनवाई के लिए गठित कोर्ट को नहीं की की जानी चाहिए. इस पर खंडपीठ ने कहा, ठीक है, इस मामले को उसी कोर्ट में भेज देते हैं. आपने उस कोर्ट को बहुत सारी चीजों को अवगत नहीं कराया होगा. यह लोकहित का मामला है. इसलिए इसे सुन रहे हैं.

कोर्ट नहीं रह सकता मूकदर्शक

सुनवाई के दौरान प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि खंडपीठ कुलदीप नारायण के निलंबन मामले की सुनवाई नहीं कर सकता. उन्हें कैट में याचिका दायर करनी चाहिए थी. इस पर खंडपीठ ने कहा कि स्टेट का मतलब कार्यपालिका ही नहीं होता है, बल्कि इसमें न्यायपालिका व विधायिका भी हैं. कोर्ट मूकदर्शक नहीं बना रह सकता है. हमने नगर आयुक्त के तबादले को रोका था. हम इसे केवल छोटे पैमाने पर नहीं देख रहे हैं. कुलदीप नारायण सिर्फ नगर आयुक्त नहीं थे, बल्कि वह हाइकोर्ट के भी आयुक्त थे.

Next Article

Exit mobile version