पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि प्रति क्विंटल पांच से छह किलो अधिक धान लेकर नमी युक्त धान की खरीद की जायेगी. एक-दो दिनों में इसकी अधिसूचना जारी कर दी जायेगी. उन्होंने कहा कि नमी के कारण धान की खरीदारी नहीं होने से किसानों को भारी क्षति हो रही है.
इससे उनकी रबी की खेती, बच्चों की पढ़ाई और शादी-ब्याह का काम बाधित हो रहा है. इसलिए राज्य सरकार ने यह निर्णय किया है. वह बुधवार को एसके मेमोरियल हॉल में बिहार राइस मिलर्स एसोसिएशन के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. सम्मेलन में श्री मांझी ने कहा कि बाजार में किसानों के धान 800-850 रुपये क्विंटल बिक रहा है. यानी बिचौलिये दुगुना माल मार रहे हैं.
हम ऐसा नहीं होने देंगे. किसानों से सस्ता धान खरीद कर दूसरे राज्य ही नहीं, विदेशों तक बेचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य में अन्न के भंडारण क्षमता के बारे में कहा कि फिलहाल राज्य में 11 लाख टन की भंडारण क्षमता है. 2015 तक यह 17-18 लाख टन की हो जायेगी. इससे जहां-तहां अनाज सड़ने की समस्या नहीं होगी. राइस मिलर्स की समस्या को उचित बताते हुए उन्होंने कहा कि 29 को उद्योग कैबिनेट की बैठक में इसका निराकरण हो जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अनाज के आयात के लिए जिम्मेवार की पहचान कर कार्रवाई की जायेगी. राज्य में छोटे उद्योग की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि बड़े उद्योग से पर्यावरण की समस्या उत्पन्न होती है. ऐसे में राज्य की विकास के लिए छोटे उद्योग की आवश्यकता है. इससे अधिक लोगों को रोजगार भी मिलता है.
वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि पूरी दुनिया में ग्लोबल इकोनोमी का धूम, पर किसान आत्महत्या कर रहे हैं. किसान को उत्पादन का उचित मूल्य मिलना चाहिए. राज्यों में अनाज की खरीद में गड़बड़ी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह सब एफसीआइ के कारण है. एफसीआइ देश का सबसे वाहियात और निकम्मा संगठन है.
इसके पहले पूर्व मंत्री जगदानंद सिंह ने कहा कि बिहार के किसान खुशहाल होंगे, तब ही बिहार खुशहाल होगा. बिहार को बिहारी ही आगे बढ़ायेगा. इसके लिए यहां के किसानों को उपज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि 20 लाख टन चावल बिहार से बाहर जाता है. इसे बिहार के पिछड़ने का मूल कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को समझना होगा कि यदि नमी के कारण धान की खरीद नहीं होती है, तो नमी खत्म होने के कारण रबी की खेती नहीं होगी. उन्होंने कहा कि बिहार के मिलर्स की सुरक्षा के बिना बिहार का औद्योगिकीकरण नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि आश्चर्य है कि पंजाब में चावल की दर 22 रुपये किलो है और बिहार में 16-17 रुपये किलो. इसी वजह से बिहार का 30-40 प्रतिशत धान हरियाणा आदि राज्यों में चला जाता है. उन्होंने कहा कि आज भी सरकारी गोदाम में ढाई लाख टन धान और इतने ही गेहूं पड़ा हुआ है. एफसीआइ के कारण राज्य में अब तक एक छटांक धान की खरीद नहीं हो सकी है.
उद्योग मंत्री डॉ भीम सिंह ने कहा कि हम राइस मिलर्स के लिए लाठी के साथ मदद में खड़ा रहेंगे. उन्होंने कहा कि वे छोटे उद्योग के लिए व्यवसायी को पूंजी पर लगने वाले सूद पर एक प्रतिशत और महिला, एससी, एसटी व अति पिछड़ा को दो प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है.
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सम्मेलन में अर्थशास्त्री डॉ शैबाल गुप्ता ने कहा कि राज्य में कई लोग ऐसे हैं, जो नौकरी छोड़ कर राइस मिल के काम में आये हैं. राइस मिलर्स के कारण आंध्रप्रदेश में औद्योगिकीकरण की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में 50-60 साल पहले ही औद्योगिकीकरण हुआ. बिहार में अब शुरू हुआ है. विकसित राज्यों का विकास उसकी अपनी जमीनी कार्य से हुआ है. बाद में दूसरे लोग वहां उद्योग लगाने गये हैं. बिहार में भी विकास बिहार के लोगों द्वारा होने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के लिए कृषि, सिंचाई व और कृषि बाजार में निवेश की आवश्यकता है. डॉ गुप्ता ने कहा कि राज्य में धान की खरीद के लिए राइस मिलर्स को ही नोडल एजेंसी बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में योजना आयोग के भंग होने के बाद बाजार आधारित विकास का रास्ता साफ हुआ है. बिहार में तो बाजार है ही नहीं, ऐसे में बिहार को इससे क्षति होगी. इसके पूर्व सम्मेलन को लखीसराय के पंकज सिंह, एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधाकर सिंह सहित अन्य ने संबोधित किया. अध्यक्षता शिव प्रसाद चौरसिया ने किया.