ग्रामीण युवाओं को कृषि से जोड़ना बड़ी चुनौती
राष्ट्रीय सेमिनार में राजेंद्र कृषि के कुलपति ने कहा संवाददाता, सबौर विश्व की बढ़ती जनसंख्या के भरण-पोषण के लिए पारिवारिक खेती को बढ़ावा देना आवश्यक है. इसके लिए जागरूक किसानों को आगे आने की जरूरत है. साथ ही ग्रामीण युवाओं को कृषि क्षेत्र से जोड़ने के लिए वहां आधारभूत संरचना का विकास करना होगा. ये […]
राष्ट्रीय सेमिनार में राजेंद्र कृषि के कुलपति ने कहा संवाददाता, सबौर विश्व की बढ़ती जनसंख्या के भरण-पोषण के लिए पारिवारिक खेती को बढ़ावा देना आवश्यक है. इसके लिए जागरूक किसानों को आगे आने की जरूरत है. साथ ही ग्रामीण युवाओं को कृषि क्षेत्र से जोड़ने के लिए वहां आधारभूत संरचना का विकास करना होगा. ये बातें राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कुलपति डॉ आरके मित्तल ने गुरुवार को बिहार कृषि विश्वविद्यालय में पारिवारिक खेती पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन के अवसर पर कहीं. उन्होंने कहा आज बिहार धान, गेहूं, मक्का की खेती में रोज नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा. इसके बावजूद भी यहां के लोग कृषि क्षेत्र से दूर जा रहे हैं. क्योंकि इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को पूरा सम्मान नहीं दिया जा रहा है. यह सबसे बड़ी चुनौती है. आज महिलाओं का कृषि कार्य में बहुत बड़ा रोल है. फिर भी उनको महत्व नहीं मिल रहा है. ग्रामीण युवा कृषि क्षेत्र में जुड़ना पसंद नहीं कर रहे हैं. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ मेवालाल चौधरी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा बिहार में खाद्य सुरक्षा जैसी कोई समस्या नहीं है, क्योंकि हमारे किसान दिनों दिन कृषि उत्पादन में वृद्धि कर रहे हैं. यदि समस्या है, तो कुपोषण की. लोग खाना खा रहें हैं, लेकिन संतुलित खाना खा रहे हैं कि नहीं, यह समस्या बनी हुई है. आज जोतवाली जमीन कम हो रही है और जनसंख्या बढ़ रही है. इसके निदान के लिए पारिवारिक खेती को अपनाना आवश्यक है, ताकि छोटे व सीमांत किसान भी कम जमीन पर अधिक से अधिक कृषि कार्य से जुड़े उद्योग लगा कर अधिक से अधिक आय प्राप्त कर सके. जब तक कृषि को उद्यमिता के रूप नहीं देखेंगे तब तक पारिवारिक खेती का सपना पूरा नहीं हो सकता है.