पटना: पटना हाइकोर्ट में कुछ अधिवक्ताओं के विरोध और हंगामे के कारण गुरुवार को पटना नगर निगम के आयुक्त कुलदीप नारायण के निलंबन के मामले की सुनवाई नहीं हुई. निलंबन के मामले पर सुनवाई के लिए गठित पूर्ण पीठ ने इसे आपत्तिजनक मानते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया.
पूर्ण कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति इकबाल अहमद अंसारी की अध्यक्षता में गठित पूर्ण पीठ में न्यायमूर्ति वीएन सिन्हा और न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह थे. कुलदीप नारायण को पिछले सप्ताह राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था. लेकिन, सोमवार को पटना हाइकोर्ट के एक खंडपीठ ने उनके निलंबन पर रोक लगा दी थी. इसी मामले पर सुनवाई के लिए हाइकोर्ट ने पूर्ण पीठ का गठन किया था.
गुरुवार को हाइकोर्ट में दोपहर 2:20 बजे पूर्ण पीठ बैठा और नगर निगम के कर्मियों व अधिवक्ताओं से खचाखच भरी अदालत में सुनवाई शुरू हुई. नगर आयुक्त की ओर से अधिवक्ता वाइवी गिरि ने पक्ष रखना शुरू किया. उन्होंने पूर्ण पीठ के गठन के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब अदालत के एक पीठ ने नगर आयुक्त के निलंबन के आदेश पर रोक लगा दी है, तो फिर पूर्ण पीठ का गठन कानूनी तौर पर सही नहीं है. इस पर सरकार की ओर से प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कुछ कहना चाहा, लेकिन उसे सुना नहीं जा सका. पटना नगर निगम के अन्य अधिवक्ता प्रसून सिन्हा और हरगोविंद सिंह हिमकर के अलावा जनहित याचिका के वकील श्रीप्रकाश श्रीवास्तव भी पैरवी कर रहे थे. कई अधिवक्ताओं ने टीका-टिप्पणी शुरू कर दी.
विरोध तेज हो गया, तो कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी ने कहा कि आप चुप नहीं होंगे, तो हम सब कोर्ट से उठ कर चले जायेंगे. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के अनुरोध पर भी जब वकीलों का गुस्सा कम नहीं हुआ, तो पूर्ण पीठ में शामिल तीनों जज अपराह्न् 3:45 बजे कोर्ट से उठ कर बाहर निकल गये और मामले की सुनवाई टल गयी. इस मामले की अगली सुनवाई कब होगी, इस बारे में अब अलग से निर्णय लिया जायेगा. इधर, कुलदीप नारायण पटना नगर निगम में आयुक्त के पद पर बने हुए हैं.