पटना : मुंगेर के पूर्व सांसद धनराज सिंह के पुत्र अमरेंद्र की मौत से पहले आधा दर्जन मोबाइल नंबर पर एसएमएस भेजा गया था. इसमें धनराज सिंह का भी मोबाइल शामिल है. आज भी वह एसएमएस मौजूद है. एसएमएस में लिखा है कि ‘पापा आप भी यही चाहते थे कि मैं न रहूं, अब मैं जा रहा हूं. मेरी पत्नी को कुछ नहीं होना चाहिए. आपके पास अब वही बची है’. एसएमएस का संदेश संकेत देता है कि घटना के दिन वह काफी दुखी थे और मौत का रास्ता चुनने जा रहे हैं, लेकिन क्या यह सवाल नहीं है कि उनके मोबाइल में किसने एसएमएस टाइप किया था? अमरेंद्र ने खुद या फिर किसी और ने. क्या यह आत्महत्या का बनावटी बैक ग्राउंड तो नहीं? सनद रहे कि जिसे पुलिस आत्महत्या साबित करने में जुटी हुई है, उससे जुड़े कई तथ्य पुलिस के अनुसंधान पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
फुलवारी के होम सिगनल के पास रेलवे ट्रैक पर अमरेंद्र के शव बरामद किये जाने के बाद उसके सामान की तलाश पुलिस नहीं कर सकी है. उनका मोबाइल फोन व कटा हुआ बायां हाथ नहीं मिल सका है, जबकि कलाई घड़ी बरामद हुई है. पुलिस के मुताबिक अगर यह आत्महत्या है, तो उनके मोबाइल फोन की चोरी होने की बात मानी जा सकती है, लेकिन कलाई घड़ी क्यों नहीं चोरी हुई. पुलिस इस मामले में फिलहाल उनके मोबाइल फोन से किये गये एसएमएस को आत्महत्या का सबसे बड़ा प्रमाण मान रही है. अपने अनुसंधान में धनराज सिंह के मोबाइल फोन पर आये एसएमएस के मजमून को शामिल भी किया है. इसके अलावा उन पांच लोगों के नंबर ट्रेस कर उनसे भी पूछताछ की गयी है, जिनके पास एसएमएस भेजे गये थे. एसएमएस की भाषा भी उनके मानसिक तनाव को व्यक्त करती है, लेकिन इसके पीछे साजिश से भी इनकार भी नहीं किया जा सकता है.
उधर एफएसएल रिपोर्ट आ गयी है. उसमें चश्मे के शीशे के कण मिलने की बात सामने आयी है. पुलिस का कहना है कि एफएसएल रिपोर्ट में ट्रेन के इंजन पर मिले खून के धब्बे के बीच से चश्मे के शीशे के कण मिले हैं. इसी आधार पर पुलिस मान रही है कि वह ट्रेन के आगे खड़े हुए थे. इसके अलावा अन्य बिंदुओं पर जांच हो रही है.
गाने तो लग्जरी गाड़ी में भी बज सकते हैं
पूर्व सांसद ने एक हफ्ते पहले रेल एसपी को दिये गये आवेदन में लिखा है कि घटना के दिन (9 दिसंबर) शाम 5.30 बजे अंतिम बार अमरेंद्र ने अपनी बेटी को फोन किया था. बेटी द्वारा दिये गये बयान के मुताबिक जब वह बात कर रहे थे, तो बैकग्राउंड से गाने की आवाज आ रही थी. उसके बोल भद्दे थे. इस आधार पर पूर्व सांसद ने शंका जाहिर की है कि उस समय वह किसी के कब्जे में थे. पुलिस का मानना है कि इस तरह के गाने ऑटो में बजते हैं, इससे यह साबित होता है कि वह ऑटो से सफर करने के दौरान फोन किये थे. जब वह ऑटो में सफर कर रहे थे, तो वह किसी के कब्जे में कैसे हो सकते हैं. लेकिन जांच का बिंदु यह भी है कि फोन पर बैकग्राउंड की आवाज इतनी स्पष्ट कैसे आ रही थी कि गाने के बोल पता चल गये. अमूमन ऑटो में इतनी आवाज पहले से होती है कि गाने की आवाज स्पष्ट होना संदेहास्पद लगता है. भद्दे गाने लक्जरी गाड़ी में भी बज सकते हैं. आशंका यह भी है कि वह ऑटो के बजाय लक्जरी गाड़ी में बैठे रहे हों.
क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक
इस मामले में यह साफ है कि पूर्व सांसद के बेटे अमरेंद्र ने मौत से आधे घंटे पहले अपनी बेटी से बात की थी. बेटी से हाल पूछने के बाद फोन काट दिया गया था. मनोवैज्ञानिक नीरज कुमार के मुताबिक अवसाद ग्रस्त व्यक्ति जब आत्महत्या करने की तैयारी में होता है, तो वह किसी से बात नहीं करता. लेकिन यहां पर गौर करनेवाली बात यह है कि मौत से लगभग आधा घंटा पहले उन्होंने अपनी बेटी से बात की थी. इस मामले में चिकित्सकीय पक्ष यह भी है कि तनाव ग्रस्त व्यक्ति से अगर कोई बातचीत जारी रखता है, तो उसके आत्मघाती कदम उठाने के चांस नहीं के बराबर रहता है. मनोवैज्ञानिक ने बताया कि जो भी व्यक्ति अवसाद में रहता है, उसकी एक्टिविटीज दो-तीन दिन पहले से ही चेंज हो जाती हैं. लेकिन अमरेंद्र के परिजनों की मानें तो वे दो-तीन दिन पहले बिल्कुल सामान्य स्थिति में थे.
क्या कहते हैं रेल एसपी
रेल एसपी पीएन मिश्र कहते हैं कि अमरेंद्र साढ़े तीन साल से तंगहाली में थे. वह धनी बाप के बेटे थे, लेकिन लिक्विड मनी उनके पास नहीं थी. वह पैदल, रिक्शा व ऑटो से चलते थे. जमशेदपुर में स्कूल के घाटे, फर्जी तौर पर तैयार किये गये कागज के आधार पर स्कूल को कब्जे में लेने के प्रयास सहित अन्य बिंदुओं पर जांच चल रही है. यह भी पता लगाया जा रहा है कि धनराज सिंह ने स्कूल में घाटे के दौरान अमरेंद्र को कितना पैसा दिया था.