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बिहार के 2,500 पैक्स का होगा कंप्यूटरीकरण, किसानों को एक मंच पर मिलेंगी 25 सुविधाएं

पैक्स के मैन्युअल होने से इनमें अक्षमता और विश्वास की कमी है. यह परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटलीकरण में सुधार के अलावा बैंकिंग गतिविधियों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग गतिविधियों के आउटलेट के रूप में पैक्स की पहुंच में सुधार करने में मदद करेगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2023 12:38 AM

बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में सदस्य किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों को बहुसेवा केंद्र और एकल खिड़की एजेंसियों के रूप में कार्य करने के लिए विकसित किया जा रहा है. 25 सेवाओं को एक मंच पर उपलब्ध कराने और तकनीक द्वारा उनका कुशल प्रबंधन की पहल के तहत बिहार में पहले चरण में 2,500 प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (पैक्स) का कंप्यूटरीकरण किया जायेगा. लगभग 200 पैक्स के समूह में जिला स्तर पर सहायता भी प्रदान की जायेगी. पैक्स का कंप्यूटरीकरण पूरा होने पर 50 हजार रुपये प्रति पैक्स की प्रतिपूर्ति की जायेगी.

एक सामान्य लेखा प्रणाली लागू की जायेगी

पैक्स तीन स्तरीय अल्पकालिक सहकारी ऋण ढांचा (एसटीसीसी) के सबसे निचले स्तर पर है. यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण है. राज्य सहकारी बैंक (एससीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी) को पहले ही नाबार्ड ने स्वचालित बना दिया है. पैक्स भी कॉमन बैंकिंग सॉफ्टवेयर (सीबीएस) प्लेटफॉर्म पर होंगी. रोजाना के कार्यों में एक सामान्य लेखा प्रणाली लागू की जायेगी.

पैक्स के मैन्युअल होने से अक्षमता और विश्वास की कमी

डीएनएस क्षेत्रीय सहकारी प्रबंध संस्थान के निदेशक डाॅ केपी रंजन बताते हैं कि पैक्स के मैन्युअल होने से इनमें अक्षमता और विश्वास की कमी है. यह परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटलीकरण में सुधार के अलावा बैंकिंग गतिविधियों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग गतिविधियों के आउटलेट के रूप में पैक्स की पहुंच में सुधार करने में मदद करेगी.

पैक्स के एक ही प्लेटफाॅर्म से इन सुविधाओं को दिलाने में करेंगी मदद

अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक ऋण, उर्वरक और कीटनाशक वितरण, बीज वितरण, मत्स्य पालन, डेयरी, मुर्गी पालन गतिविधियां, कृषि मशीनरी , कृषि उपकरण, कस्टम हायरिंग सेंटर, फूलों की खेती, मधुमक्खी पालन, मछली – झींगा खेती, चिकन, भेड़, बकरी, सुअर पालन, रेशम उत्पादन, दुग्ध उत्पादन, खाद्यान्न की खरीद, संग्रह, ग्रेडिंग, सफाई – पैकेजिंग से संबंधित गतिविधियां, कृषि उत्पादों की ब्रांडिंग और विपणन, कृषि उत्पाद प्रसंस्करण, भंडारण सुविधा (वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज), सामुदायिक केंद्र, अस्पताल, शिक्षा, उचित मूल्य की दुकानें, पेट्रो पदाथों की डीलरशिप, बैंक मित्र , व्यावसायिक पत्राचार, बीमा सुविधा, कॉमन सर्विस सेंटर – डेटा सेंटर लॉकर सुविधा आदि.

पैक्स ग्रामीण अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण कड़ी

पटना के डीएनएस क्षेत्रीय सहकारी प्रबंध संस्थान के निदेशक डाॅ केपी रंजन ने बताया कि पैक्स किसानों को अल्पकालिक और मध्यम अवधि का ऋण प्रदान कर देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुचारु रूप से बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करते हैं. अकेले इन व्यवसायों से होने वाली आय पैक्स की संचालन गतिविधियों को जारी रखने के लिए पर्याप्त नहीं है. वर्तमान में पैक्स द्वारा की जाने वाली आर्थिक गतिविधियों उनके संबंधित उपनियमों द्वारा प्रतिबंधित हैं, जो ज्यादातर मामलों में दशकों पुरानी हैं और उन्हें संशोधित करने की आवश्यकता है.

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