सरकार की ओर से वाइवी गिरि के तर्क को काटते हुए प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि नगर विकास विभाग ने कपिल अशोक को नगर आयुक्त के रूप में अधिसूचित किया है. जब तक यह अधिसूचना रद्द नहीं होती है, तब तक इसे कैसे दरकिनार किया जा सकता है. करीब पौने दो घंटे तक चली बहस के दौरान खंडपीठ ने कहा परस्पर विरोधाभासी होने के बावजूद वह इस मसले का हल निकालेंगे.
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नारायण नहीं, सरकार बचा रही बिल्डर्स को
पटना: पटना नगर निगम में नगर आयुक्त कुलदीप नारायण और कपिल अशोक को लेकर विवाद पटना उच्च न्यायालय के दो कोर्ट के बीच नहीं है. दरअसल, यह विवाद सरकार करा रही है. पटना उच्च न्यायालय ने नगर आयुक्त कुलदीप नारायण को समय सीमा के अंदर बिल्डिंग माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. जब […]
पटना: पटना नगर निगम में नगर आयुक्त कुलदीप नारायण और कपिल अशोक को लेकर विवाद पटना उच्च न्यायालय के दो कोर्ट के बीच नहीं है. दरअसल, यह विवाद सरकार करा रही है. पटना उच्च न्यायालय ने नगर आयुक्त कुलदीप नारायण को समय सीमा के अंदर बिल्डिंग माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. जब नगर आयुक्त ने कार्रवाई शुरू की तो सरकार ने बीच में अड़ंगा लगाया और दो नगर आयुक्त का विवाद पैदा कर दिया. इससे बिल्डिंग माफिया के खिलाफ कार्रवाई रुक गयी.
यह तर्क हाइकोर्ट में पटना नगर निगम के वकील वाइवी गिरि ने गुरुवार को पटना उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों के खंडपीठ के समक्ष रखा. न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी, न्यायाधीश वीएन सिन्हा और न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह की पीठ के समक्ष पटना नगर निगम के आयुक्त को लेकर सुनवाई चल रही है.
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