गर्भावस्था व प्रसव के 42 दिनों के अंदर हुई महिलाओं की मौत का कारण खोजा जायेगा
राज्य स्वास्थ्य समिति की एसपीओ की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की कवायद- इस साल हाइ बीपी, दौरों से 27% गर्भवती व प्रसव के बाद महिलाओं की हुई मौत
– राज्य स्वास्थ्य समिति की एसपीओ की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की कवायद
– इस साल हाइ बीपी, दौरों से 27% गर्भवती व प्रसव के बाद महिलाओं की हुई मौतसंवाददाता, पटना
मैटरनल डेथ की जानकारी देने वालों को एक हजार प्रोत्साहन राशि
डॉ सरिता की रिपोर्ट के अनुसार, मैटरनल डेथ की स्थिति पर काबू पाने के लिए नियमित आधार पर राज्य स्तरीय मासिक समीक्षा बैठक होगी. इसके अलावा 104 कॉल सेंटर के सहयोग से व आशा के माध्यम से सभी जिलों में मैटरनल डेथ की प्रतिदिन रिपोर्टिंग तेज की जा रही है. सुमन कार्यक्रम के तहत मैटरनल डेथ की प्रथम जानकारी देने वाले को 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि पहले से ही दी जा रही है. इसके अतिरिक्त जिला स्तरीय वर्कशॉप व ओरिएंटेशन प्रोग्राम भी किये जा रहे हैं.राज्य में एक लाख में 118 मैटरनल डेथ
गर्भावस्था या प्रसव के 42 दिनों के अंदर राज्य में एक लाख में 118 महिलाओं की मौत हो रही है, जबकि सतत विकास के लक्ष्य के मुताबिक, यह आंकड़ा 70 होना चाहिए. एसआरएस 2018-20 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 48 मैटरनल डेथ के मामले अधिक हैं. राज्य को इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रतिवर्ष 7 प्वाइंट की गिरावट की जरूरत है.मैटरनल डेथ सर्विलांस बेहद महत्वपूर्ण: डॉ सरिता
डॉ सरिता ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मैटरनल डेथ के कारणों का पता लगाने के लिए मैटरनल डेथ सर्विलांस बेहद महत्वपूर्ण है. इससे मैटरनल डेथ के वास्तविक आंकड़ों के साथ डेथ के कारणों का पता चलता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है