अमन-चैन की दुआ के साथ उर्स का समापन

पटना: हजरत शहीद सैयद गुलाम सफदर पीर मुराद शाह मजार पर कुल की रस्म और गुसल के साथ शनिवार को मेले का समापन हुआ. कुल की रस्म में करीब पांच सौ अकीदतमंदों ने शिकरत की. कुल के छींटे देने के साथ ही जायरीनों का मजार में तेजी से लौटना शुरू हो गया. इस दौरान आकर्षक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2015 6:22 AM
पटना: हजरत शहीद सैयद गुलाम सफदर पीर मुराद शाह मजार पर कुल की रस्म और गुसल के साथ शनिवार को मेले का समापन हुआ. कुल की रस्म में करीब पांच सौ अकीदतमंदों ने शिकरत की. कुल के छींटे देने के साथ ही जायरीनों का मजार में तेजी से लौटना शुरू हो गया.

इस दौरान आकर्षक जलसे का भी आयोजन किया गया. जलसे में शामिल होने के लिए शुक्रवार की रात से शनिवार की सुबह तक मजार में जायरीन की संख्या तेजी से बढ़ी. मजार शरीफ में कुल की रस्म अदा करने के बाद आपसी भाईचारे की दुआ मांगी गयी. डॉ तारीख साहब की ओर से मजार दीवान की ओर से दस्तारबंदी की गयी, उसके बाद खादिमों ने एक-दूसरे को उर्स मेले की मुबारकबाद दी.जलसे में आये जायरीन के लिए मेले व विश्रम स्थलों पर विशेष इंतजाम किये गये थे. आखिरी दिन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी समेत कई नेताओं ने चादरपोशी की.

सजा बाबा का दरबार : आखिरी दिन दरगाह का श्रृंगार कर बाबा साहब को इत्र, हार-फूल आदि भेंट किये गये. इसके अलावा गुसल के अंत में बाबा साहब को चादर चढ़ा कर अमन व चैन की दुआ मांगी गयी. दोपहर साढ़े तीन बजे से दरगाह परिसर में शुरू हुई गुसल की रस्म के दौरान बड़ी तादाद में श्रद्धालु मौजूद रहे. कमेटी के सदस्यों ने बाबा की मजार की धुलाई कर फूल और चादर पेश की. साथ ही इस मौके पर सद्भाव और अमन-चैन के लिए दुआ पढ़ी गयी. इंतजामिया कमेटी ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हो रहे जलसे के बारे में बताया गया. साथ ही बाबा की शान में बाहर से आये जायरीनों ने कुछ कलाम भी पेश किये. तीन दिवसीय इस कार्यक्रम के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की.
जलसे में उमड़ी भीड़ : उर्स के आखिरी दिन जलसे का आयोजन किया गया. उर्स के मौके पर सैकड़ों की संख्या में मुसलमान और हिंदू धर्म के लोगों ने मुराद शाह की दरबार पर चादरपोशी की और जलसा में शामिल हुए.
सुन्नी वक्फ बोर्ड बने अव्वल : सीएम
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी शनिवार की शाम चादरपोशी की. उन्होंने राज्यवासियों के सुख, शांति व समृद्घि के लिए दुआ की. मुख्यमंत्री ने इजतमायी दुआ में भी शिरकत की. हाइकोर्ट मसजिद के पेशइमाम हजरत मौलाना इस्मतुल्लाह रहमानी ने दुआ की और मुख्यमंत्री को मजारशरीफ की ओर से टोपी पेश की. बाद में मुख्यमंत्री ने अजमते औलिया कॉन्फ्रेंस में भी शिरकत की. उन्होंने कहा कि पहली बार जब वह विधायक बने, तो एमएलए फ्लैट के क्वार्टर नंबर 107 में रहा करते थे. आज मजार के दृश्य को देख कर बेहद खुशी हुई. मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए धार्मिक न्यास परिषद, सुन्नी वक्फ बोर्ड व इस तरह की कई संस्थाएं हैं. सुन्नी वक्फ बोर्ड पर ठीक ढंग से काम हो, तो इससे बड़ी कोई समृद्घ संस्था नहीं हो सकती है. हम चाहते हैं कि यह अव्वल बोर्ड बने. हम बोर्ड को इस स्थिति में लाना चाहते हैं कि वह एक नहीं, अनेक मॉल बनाये और हजारों लोगों को रोजगार मुहैया कराये. मौला जो चाहेगा, हम से करा लेगा. मौके पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नौशाद आलम, विधायक डॉ इजहार अहमद, सुन्नी वक्फ बोर्ड के प्रशासक सारिम अली, आशिफ कमाल व अब्दुल बाकी ने भी विचार रखे.

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