बेटे के शव के लिए देना पड़ा जिंदा होने का सुबूत

छपरा के बसवरिया निवासी लालबाबू सिंह उर्फ हरिहर सहनी ने रमेश के पिता होने का किया दावा बेतिया. अपने मृत बंदी पुत्र का शव लेने पहुंचे उसके पिता को पुलिस के समक्ष गिड़गिड़ाना पड़ा. पुलिस पिता को भी मृत घोषित कर चुकी थी. शव गृह में पिता की लाख मिन्नतों के बाद भी पुलिस का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2015 11:03 AM

छपरा के बसवरिया निवासी लालबाबू सिंह उर्फ हरिहर सहनी ने रमेश के पिता होने का किया दावा बेतिया. अपने मृत बंदी पुत्र का शव लेने पहुंचे उसके पिता को पुलिस के समक्ष गिड़गिड़ाना पड़ा. पुलिस पिता को भी मृत घोषित कर चुकी थी. शव गृह में पिता की लाख मिन्नतों के बाद भी पुलिस का दिल नहीं पसीजा. आखिरकार पिता को यह लिख कर देना पड़ा कि वह मृत नहीं बल्कि जिंदा है. इसके बाद पुलिस उसे शव देने को तैयार हुई. वाकया एमजेके अस्पताल बेतिया का है.दरअसल, छपरा जिले के पानपुर थाना क्षेत्र के बसवरिया निवासी रमेश कुमार उर्फ रमेश सहनी को पुलिस ने गिरफ्तार किया. पुलिस को उसे नक्सली होने का संदेह था. 31 अक्तूबर, 2013 को उसे छपरा जेल से बगहा उपकारा में बंदी के रूप में भेजा गया था, जहां उसकी तबीयत 28 दिसंबर, 2014 के को बिगड़ गयी. अगले दिन कारा प्रशासन उसे बेतिया एमजेके अस्पताल में भरती करा दिया. वहीं पर उसकी मौत हो गयी. इसकी जानकारी कारा सहायक अखिलेश कुमार सिंह ने दी. उन्होंने बताया कि इससे ज्यादा वे नहीं बता सकते हैं.

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