चिमनियों के धुएं से फैल रही बीमारी

सांस के रोगियों की तादाद बढ़ रहीजिले में 68 चिमनी हैं संचालितभट्ठों पर काम करनेवाले सबसे अधिक पीडि़तसंवाददाता, गोपालगंज ईंट भट्ठों से निकलनेवाले जहरीले धुएं से लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. जिले में 68 ईंट भट्ठे संचालित हैं. यहां काम करनेवाले बेरोजगार दमा समेत अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2015 3:02 PM

सांस के रोगियों की तादाद बढ़ रहीजिले में 68 चिमनी हैं संचालितभट्ठों पर काम करनेवाले सबसे अधिक पीडि़तसंवाददाता, गोपालगंज ईंट भट्ठों से निकलनेवाले जहरीले धुएं से लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. जिले में 68 ईंट भट्ठे संचालित हैं. यहां काम करनेवाले बेरोजगार दमा समेत अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. सबसे अधिक सांस के रोगियों की संख्या बढ़ रही है. सरकारी अस्पताल और निजी चिकित्सकों के यहां श्वास के रोगियों की तादाद बढ़ रही है. इस बीमारी का मुख्य कारण वायु प्रदूषण है. जिले में ईंट भट्ठों से उड़ रही धूल और धुएं का प्रदूषण दमा और सांस की तकलीफ के संक्रमण के कारक बन रहे हैं. लोगों का मानना है कि चिमनियों से निकलनेवाले जहरीले धुएं के अलावा उड़ती धूल से बीमारी को बढ़ावा मिल रहा है. सदर अस्पताल में श्वास के मरीजों की तादाद सबसे अधिक है. इनमें भट्ठे पर काम करनेवाले मजदूरों की संख्या ज्यादा है. उनका मानना है कि सर्दी के मौसम में अस्थमा अथवा सांस की बीमारी ज्यादा परेशान करती है.बचाव ही सबसे बड़ा इलाज प्रमुख चिकित्सक डॉ एसएन सिंह का कहना है कि धूम्रपान भी दमा अथवा सांस की बीमारी का एक कारण है. बीड़ी, सिगरेट और शराब का सेवन करने से सांस नली सिकुड़ जाती है. इससे सांस लेने और छोड़ने में तकलीफ होने लगती है. इसे सीओपीडी की बीमारी कहते हैं. एलर्जी से भी श्वास की तकलीफ हो जाती है.

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