इनकी हिंदी और भोजपुरी की रचनाएं पढ़ी जा रही हंै पूरे देश में 2011 से अब तक कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैंफोटो-संजय मिश्र संजयपंचदेवरी. ऐसे तो गोपालगंज की धरती का साहित्यिक इतिहास शुरू से ही गरिमामयी रहा है. इस धरती के लेखक और कवि देश में अग्रणी रहे हैं. इसी इतिहास को दुहराता हुआ गोपालगंज का लाल आज पूरे देश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहा है. अपने काव्य पाठ की बदौलत देश के कोने – कोने में गोपालगंज का नाम रोशन कर रहा है. पंचदेवरी प्रखंड के कुईसा खुर्द निवासी बुद्धा इंटर कॉलेज कुशीनगर के पूर्व प्रवक्ता विद्या सागर मिश्र का इकलौता बेटा संजय मिश्र ‘संजय’ की हिंदी और भोजपुरी की रचनाएं आज पूरे देश में पढ़ी जा रही हंै. संजय ऐसे तो इलाहाबाद में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करता था. लेकिन, पूरे देश में फैली गोपालगंज की धरती की साहित्यिक महक ने उसे काव्य पाठ करने को मजबूर कर दिया. आज अपनी जन्मभूमि की साहित्यिक धरोहर को संभाले हुए यह कवि अपने साहित्य रस से पूरे देश को सिंचित कर रहा है. 2011 में संजय को लंबरदार सम्मान, 2012 में दूधनाथ शर्मा श्याम स्मृति सम्मान, 2013 में लक्ष्मण पाठक ‘प्रदीप’ सम्मान व राष्ट्रीय कवि सम्मान 2014 में देश के प्रख्यात समालोचक डॉ मैनेजर पांडेय द्वारा साहित्य सेवा सम्मान से नवाजा गया. इनके अलावा देश के कई बड़े मंचों पर इस युवा साहित्यकार को सम्मानित भी किया गया है. कई कवि सम्मेलनों व मुशायरों में काव्य पाठ कर चुका संजय आकाशवाणी व टीवी चैनलों पर भी आज अपनी काव्य धारा प्रवाहित कर रहा है.
साहित्य के क्षेत्र में संजय ने लहराया परचम
इनकी हिंदी और भोजपुरी की रचनाएं पढ़ी जा रही हंै पूरे देश में 2011 से अब तक कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैंफोटो-संजय मिश्र संजयपंचदेवरी. ऐसे तो गोपालगंज की धरती का साहित्यिक इतिहास शुरू से ही गरिमामयी रहा है. इस धरती के लेखक और कवि देश में अग्रणी रहे हैं. इसी इतिहास को दुहराता […]
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