मांझी ने कहा , केंद्र दे विशेष राज्य का दर्जा
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक. मांझी ने एससी-एसटी छात्रवृत्ति की मांगी पूरी राशि पेंशन मद में झारखंड पर बकाया 2500 करोड़ केंद्र उसके आवंटन से काट कर बिहार को दे : सीएम पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को पूर्वी क्षेत्रीय विकास परिषद की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने […]
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक. मांझी ने एससी-एसटी छात्रवृत्ति की मांगी पूरी राशि
पेंशन मद में झारखंड पर बकाया 2500 करोड़ केंद्र उसके आवंटन से काट कर बिहार को दे : सीएम
पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को पूर्वी क्षेत्रीय विकास परिषद की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि विकास के प्रमुख मानकों में राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने के लिए बिहार को यह दर्जा देना बेहद जरूरी है.
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने पेंशन मद में झारखंड से 2500 करोड़ का बकाया दिलाने, एनएच निर्माण में खर्च की गयी राशि लौटाने समेत अन्य मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाया और यह भी बताया कि ये मांगें राज्य के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन से संबंधित राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख संस्थानों की शाखाएं खोली जाएं, राज्य सरकार जमीन देने को तैयार है.
सीएम श्री मांझी ने कहा, पिछले कुछ सालों से दोहरे अंक की विकास दर हासिल करने के बावजूद विकास के प्रमुख मापदंडों- गरीबी रेखा,प्रति व्यक्ति आय, औद्योगिकरण और सामाजिक व भौतिक आधारभूत संरचना में राष्ट्रीय औसत से बिहार पीछे है. पिछड़े राज्यों को एक समयसीमा के अंदर पिछड़ेपन से उबारने और राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने के लिए सकारात्मक नीति की जरूरत है. इसलिए बिहार को विशेष दर्जा मिलना चाहिए. जिन राज्यों को यह दर्जा दिया गया, वे विकास की ऊंचाइयों को छू रहे हैं.
एनएच निर्माण में खर्च राशि लौटाये : सीएम ने कहा कि बिहार ने 2006 से 2011 के बीच एनएच के निर्माण और रख-रखाव पर करीब एक हजार करोड़ रुपये खर्च किये हैं. इसे लौटाने के लिए केंद्र को कई बार पत्र भी लिखा गया, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई. इसे जल्द लौटाया जाये. इसके अलावा 2014-15 में एनएच के मेंटेनेंस के लिए राज्य ने 207 करोड़ रुपये मांगे थे, लेकिन महज 29 करोड़ मिले.
शाखाएं खोले, जमीन देगी सरकार : श्री मांझी ने कहा कि राज्य में कृषि, पशु और मत्स्य संसाधन से संबंधित राष्ट्रीय संस्थानों की शाखाएं खोली जाएं. इसके लिए हम जमीन देने के लिए तैयार हैं. इनमें सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरी डेवलपमेंट, शूगरकेन इंस्टीट्यूट, हॉर्टिकल्चर के संस्थान, खासकर मखाना उत्पादन से जुड़े संस्थानों की शाखाएं प्रमुख हैं.
एससी-एसटी छात्रवृत्ति में नहीं हो कटौती : सीएम ने एससी-एसटी छात्रवृत्ति में कटौती का भी मुद्दा उठाया. कहा, एससी-एसटी और पिछड़ा वर्ग छात्रवृत्ति योजना में केंद्र को 2012-13 से 2014-15 तक 2300 करोड़ रुपये देने थे, लेकिन महज 360 करोड़ रुपये मिले हैं. राज्य सरकार ने छात्रवृत्ति को सुचारु ढंग से संचालित करने के लिए करीब एक हजार करोड़ रुपये अपनी तरफ से लगाये हैं. यह राशि लौटायी जाये और इस मद में पूरा आवंटन किया जाये. प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 50-50 फीसदी है. लेकिन इसमें भी चार सालों के दौरान 749 करोड़ में से केंद्र से मात्र 26 करोड़ रुपये मिले हैं.
सिंचाई परियोजना की जरूरत : सीएम ने कहा, बिहार में बेहतर सिंचाई सुविधा के लिए पश्चिम बंगाल के साथ महानंदा सिंचाई परियोजना को पूरा किया जाये और पश्चिम बंगाल अपनी नहर से मौसमवार पानी छोड़ने के आंकड़े मुहैया कराये, ताकि योजना को केंद्रीय जल आयोग से जल्द स्वीकृत मिल सके. झारखंड के साथ तिलैया डैम जल आपूर्ति, नार्थ कोयल और बटाने जलाशय परियोजना में डैम पर गेट बनाया जाये. सोन बेसिन बिहार को एक निश्चित मात्र में पानी दिलाने के लिए कदवन जलाशय योजना का निर्माण कराया जाये.
बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम पर दें ध्यान- मुख्यमंत्री ने कहा कि हर साल बाढ़ की त्रसदी ङोलनेवाले बिहार के लिए बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के तहत केंद्र से योजनाओं को स्वीकृत होने में चार से छह महीने लग जाते हैं. इसे देखते हुए योजनाओं को जल्द स्वीकृत किया जाये. नेपाल से आनेवाली नदियों के गाद को दूर करने के लिए ‘गाद समस्या प्रबंधन नीति’ केंद्रीय जल आयोग जल्द बनाये. नदी जोड़ योजना के तहत बूढ़ी गंडक नून बाया गंगा लिंक योजना, कोसी-मेची लिंकिंग योजना और सकरी-नाटा लिंकिंग परियोजना की डीपीआर राज्य सरकार ने तैयार करके केंद्रीय जल आयोग को 2014 में ही भेज दी है, जो अभी तक लंबित है.
अन्य प्रमुख मांगें:-
– बीआरजीएफ के तहत तीन हजार करोड़ में महज 31 } राशि मिली, पूरा आवंटन मिले
– प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 20 हजार रुपये स्वीकृत हुए, लेकिन मिले महज 8,982 करोड़
– ग्रामीण विकास विभाग के 2042 करोड़ के बजट को बढ़ा कर चार हजार करोड़ किया जाये
– नक्सलियों से लड़ने के लिए बिहार में बीएसएफ और आरएएफ की एक-एक बटालियन तैनात हो
– इंदिरा आवास योजना में राज्य का कोटा बढ़ाया जाये
रस्म अदायगी भर होकर न रह जाये बैठक : चौधरी
पूर्वी क्षेत्र विकास परिषद की बैठक में भाग लेनेवाले जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि इस तरह की बैठकों को सिर्फ रस्म अदायगीवाला फोरम बना कर नहीं रखा जाना चाहिए. बैठक में उन्होंने कहा कि ऐसी बैठकें नियमित होनी चाहिए, जिसमें द्विपक्षीय बातचीत जारी रहे. बैठक के बाद बातचीत में उन्होंने कहा कि हमलोगों ने अपनी बातें रखीं. बिहार को विशेष दर्जा देने और पुलिस आधुनिकीकरण मद में केंद्रांश बढ़ाने और बटाने व कोयल परियोजना को लेकर बिहार का पक्ष रखा गया. बैठक में वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव भी मौजूद थे.