खेल मैदान बने पार्क .. जोड़ … एक्सपर्ट व्यू

कोटआउटडोर खेलों से शरीर को ताकत मिलती है. इससे हार्ट, किडनी, लंग्स जैसे शरीर के भाग ज्यादा मजबूत होते हैं. जो व्यक्ति बचपन से ही आउटडोर गेम खेलता है, वे कम बीमार पड़ते हैं. शरीर स्वस्थ रहेगा, तभी पढ़ाई के लिए मस्तिष्क भी स्वस्थ मिलेगा. खुले मैदान में खेलने से शरीर से पसीने के साथ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 17, 2015 10:02 PM

कोटआउटडोर खेलों से शरीर को ताकत मिलती है. इससे हार्ट, किडनी, लंग्स जैसे शरीर के भाग ज्यादा मजबूत होते हैं. जो व्यक्ति बचपन से ही आउटडोर गेम खेलता है, वे कम बीमार पड़ते हैं. शरीर स्वस्थ रहेगा, तभी पढ़ाई के लिए मस्तिष्क भी स्वस्थ मिलेगा. खुले मैदान में खेलने से शरीर से पसीने के साथ गंदगी भी निकल जाती है. इससे मांसपेशियां और हड्डियां भी मजबूत होती हैं. आउटडोर गेम से हार्ट स्वस्थ रहता है और ऑक्सीजन खपत करने की क्षमता भी बढ़ती है. इसका प्रभाव इससे समझा जा सकता है कि सामान्य शरीर का पल्स रेट 180 तक पहुंचने पर उसके हार्ट अटैक की संभावना होती है, वहीं किसी एथलीट का शरीर 195 से 200 का पल्स रेट भी झेल लेता है. ….. शम्स तौहिद, फिजिकल ट्रेनर व बिहार पुलिस के कोचखगौल से गर्दनीबाग तक ग्राउंड की कमीबच्चों को ट्रेंड करनेवाले एक फिजिकल ट्रेनर ने बताया कि खगौल से लेकर गर्दनीबाग तक ग्राउंड की खासी कमी है. इस बीच खगौल का जगजीवन स्टेडियम, बीएमपी पांच का मिथिलेश स्टेडियम, गर्दनीबाग का हाई स्कूल और संजय गांधी स्टेडियम मैदान ही पड़ता है. इसमें मिथिलेश स्टेडियम तो प्रतिबंधित है. जगजीवन स्टेडियम में भी असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है. बचे हाइ स्कूल मैदान और संजय गांधी स्टेडियम, तो यहां पर एक साथ दस से पंद्रह टीमें क्रिकेट खेलती दिखती हैं. ऐसे में उनसे बेहतर खेल दिखाने की उम्मीद कहां से की जा सकती है. किसी भी आवासीय कॉलोनी में खेल का मैदान तो जरूर से होना चाहिए.

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