हाइकोर्ट ने शुक्रवार को धीरेंद्र कुमार एवं अन्य की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. हाइकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार ने करोड़ों की रकम खुद बकाया रखी है और आम आदमी के बिजली बिल की दरें बढ़ा दी जाती हैं. न्यायाधीश वीएन सिन्हा और आरके मिश्र की खंडपीठ ने सरकार के वकील से कहा कि आप इस मामले में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से बात कर लीजिए.
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हाइकोर्ट की सख्ती: सरकार 72 घंटे में चुकाये 835 करोड़, नहीं तो काट देंगे बिजली
पटना: पटना हाइकोर्ट ने विभिन्न विभागों के बकाये बिजली बिल पर बिहार सरकार को बड़ा झटका दिया है. हाइकोर्ट ने कहा कि सरकार ने यदि सोमवार तक बिजली कंपनी का बकाया 835 करोड़ रुपये चुकता नहीं किया तो मंगलवार को सभी सरकारी भवनों से बिजली कनेक्शन कट जायेगा. हाइकोर्ट ने शुक्रवार को धीरेंद्र कुमार एवं […]
पटना: पटना हाइकोर्ट ने विभिन्न विभागों के बकाये बिजली बिल पर बिहार सरकार को बड़ा झटका दिया है. हाइकोर्ट ने कहा कि सरकार ने यदि सोमवार तक बिजली कंपनी का बकाया 835 करोड़ रुपये चुकता नहीं किया तो मंगलवार को सभी सरकारी भवनों से बिजली कनेक्शन कट जायेगा.
कोर्ट ने कहा कि जब आम आदमी का बिजली कनेक्शन बिना भुगतान किये काट दिया जाता है तब सरकारी विभागों की बिजली क्यों नहीं काट दी जानी चाहिए. खंडपीठ ने कहा कि यदि पैसे का भुगतान सोमवार तक नहीं कर दिया जाता है तो वह बिहार राज्य बिजली कपंनी को सीधे यह आदेश देने को बाध्य होंगे कि वह निजी उपभोक्ताओं के साथ इस तरह के मामले में जिस प्रकार पेश आते हैं उसी प्रकार सरकार की भी बिजली काट दी जाये.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को सही ठहराया था
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका के तहत उठाये गये बिंदुओं को सही करार देते हुए पटना हाइकोर्ट को इस पर सुनवाई के लिए कहा था. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से 2008 तक के बकाये का भुगतान कर देने का वायदा किया गया था. लेकिन भुगतान नहीं किये जाने पर 2009 में अवमानना का मुकदमा दायर किया गया. इसी मामले की सुनवाई के क्रम में खंडपीठ ने यह आदेश दिया है. सरकार के खिलाफ बिहार राज्य बिजली बोर्ड के एक कर्मचारी धीरेंद्र कुमार ने यह हिम्मत जुटायी है.
2010 तक का है बकाया
याचिकाकर्ता के वकील अजय कुमार चक्रवर्ती ने कोर्ट को बताया था कि सरकार के विभिन्न विभागों पर 835 करोड़ रुपये का बकाया है. यह बकाया 2010 तक का है. 2008 में उन्होंने जब बिजली बोर्ड के बकाये को लेकर याचिका दायर की थी तो उसे कोर्ट ने यह कहते हुए रद कर दिया था कि कोई सरकारी कर्मचारी इस तरह की याचिका दायर नहीं कर सकता. इस पर याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के दलील को सही मानते हुए पटना हाइकोर्ट को इसकी सुनवाई करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह गंभीर मसला है, इस पर सुनवाई होनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को 2010 तक के बकाये की जानकारी उपलब्ध करायी है.
धीरेंद्र का संघर्ष रंग लाया
बिहार राज्य बिजली बोर्ड के एकाउंटेंट के पद से रिटायर होने वाले धीरेंद्र कुमार एवं अन्य ने 2004 में जनहित याचिका दायर की थी. इस समय पटना हाइकोर्ट ने जनहित याचिका खारिज कर दी थी. याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट चले गये. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लायक माना और कहा गया कि याचिकाकर्ता ने सही तथ्य उठाये हैं. इसी आधार पर पटना हाइकोर्ट में सुनवाई आरंभ हुई व शुक्रवार को यह फैसला आया.
सरकार पैसे का भुगतान करेगी
सरकार कोर्ट के फैसले का सम्मान करेगी व बकाया राशि का भुगतान करेगी. एक दिन पहले भी मेरे स्तर पर सभी विभागीय अधिकारियों की बैठक हुई थी. इसमें बिहार राज्य बिजली कंपनी के अधिकारी भी शामिल थे. मैंने सभी विभागों को पैसे का भुगतान करने का निर्देश दिया है. कोर्ट के आदेश का पालन किया जायेगा. पूर्व में भी राशि का भुगतान किया गया है.
अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव
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