Digital Arrest : पटना. आर्थिक रूप से गरीब बिहार में साइबर अपराध की दर किसी दूसरे राज्य के मुकाबले चौकानेवाला है. एक साल के अंदर डिजिटल अरेस्ट के 300 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं. एक साल पहले तक जहां बिहार के आम लोग इस शब्द से परिचित नहीं थे, वहीं आज इस एक शब्द ने लोगों के होश उड़ा रखे हैं. आज लगभग हर कोई ‘डिजिटल अरेस्ट’ के बारे में जरूर जानता है. अगर नहीं भी जानता है तो खबरों के जरिए ‘डिजिटल अरेस्ट’ के बारे में जरूर समझ चुका है. साल 2024 में यहां ‘डिजिटल अरेस्ट’ से ठगी का जो आंकड़ा है, वो हैरान करने वाला है.
अब तक 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की राशि हुई जब्त
बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू, साइबर सेल) के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा, “‘राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर पर इस साल बिहार से संबंधित डिजिटल अरेस्ट के कुल 301 मामले दर्ज किए गए हैं. इन मामलों में 10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की बात सामने आई है. शिकायl दर्ज होने के बाद साइबर प्रकोष्ठ के अधिकारियों ने 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जब्त कर ली है.”
थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों से हो रही धोखाधड़ी
डीआईजी ने कहा, “संबंधित अधिकारियों और आंकड़ों विश्लेषण से पता चला है कि अधिकतर धोखाधड़ी में पीड़ितों को कॉल दक्षिण पूर्व एशियाई देशों जैसे कंबोडिया, म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम और लाओस से आये हैं. हम बिहार के लगभग 374 लोगों का विवरण भी जुटा रहे हैं, जो दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में गए, लेकिन अपने वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी वहीं रह रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि ऐसी सूचनाएं हैं कि ये लोग राज्य के युवाओं को फंसा रहे हैं. डीआईजी ने कहा कि बिहार पुलिस के ईओयू की साइबर प्रकोष्ठ इकाई ने युवाओं को दक्षिण पूर्व एशिया में नौकरी के नाम पर जालसाजी के बढ़ते मामलों को लेकर चेतावनी दी है और नौकरी के प्रस्ताव तथा एजेंटों का सत्यापन करने का आग्रह किया है.
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट ?
‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी का नया तरीका है. ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें उनके घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं.
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