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समाज के यथार्य को आइना दिखाती कविताएं

विमल कुमार ने हर अहसास को शब्दों में पिरोयालाइफ रिपोर्टर @ पटना’अगर गीता पढ़ोगे तो नौकरी मिलेगी’ जैसी कविता हो या फिर ‘आ रहा है दुनिया का सबसे ताकतवर आदमी’ इन कविताओं के हर लाइन में सामाजिक व्यवस्था में आ रहे बदलाव को बखूबी जताने की कोशिश की गयी है. स्थानीय जनशक्ति भवन में आयोजित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 3, 2015 9:03 PM

विमल कुमार ने हर अहसास को शब्दों में पिरोयालाइफ रिपोर्टर @ पटना’अगर गीता पढ़ोगे तो नौकरी मिलेगी’ जैसी कविता हो या फिर ‘आ रहा है दुनिया का सबसे ताकतवर आदमी’ इन कविताओं के हर लाइन में सामाजिक व्यवस्था में आ रहे बदलाव को बखूबी जताने की कोशिश की गयी है. स्थानीय जनशक्ति भवन में आयोजित जाने माने पत्रकार विमल कुमार की प्रतिरोधी कविताओं के काव्य-पाठ में आम जीवन से लेकर राजनीति, समाज की बदलती हालत और इंसान के बदलते सोच पर काफी गहराई से सोच कर हर एक अहसास को शब्दों में पिरोया है. अपनी एक और कृति ’39 साल की उम्र में मर गया वो आम आदमी’, ‘बहस होनी चाहिए रवि बाबू’ में उन्होंने नैतिक मूल्यों और राजनीति में होने वाली गिरावट पर बखूबी चोट किया. इस मौके पर संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष आलोक धन्वा के साथ संजय कुमार कुंदन, खगेंद्र ठाकुर, अवधेश प्रीत, राजेंद्र राजन, प्रेम कुमार मणि, अरविंद श्रीवास्तव, मो. जब्बार आलम, अनीश अंकुर के साथ कई अन्य लोग मौजूद थे.

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