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यह है सदन का अंकगणित, जानें मांझी की बगावत से क्या फर्क पडे़गा
सबकी निगाहें इस बात पर है कि मांझी की बगावत से क्या फर्क पड़ेगा. विधानसभा में बहुमत किसके पक्ष में रहेगा. इसकी दो स्थितियां इस तरह से रहेंगी. विस सदस्यों की कुल संख्या : 243 सीट रिक्त : 10 मौजूदा सदस्यों की संख्या : 233 जदयू 111 भाजपा 87 भाकपा 01 कांग्रेस 05 राजद 24 […]
सबकी निगाहें इस बात पर है कि मांझी की बगावत से क्या फर्क पड़ेगा. विधानसभा में बहुमत किसके पक्ष में रहेगा. इसकी दो स्थितियां इस तरह से रहेंगी.
विस सदस्यों की कुल संख्या : 243
सीट रिक्त : 10
मौजूदा सदस्यों की संख्या : 233
जदयू 111
भाजपा 87
भाकपा 01
कांग्रेस 05
राजद 24
निर्दलीय 05
बहुमत के लिए विधायकों की जरूरी संख्या : 117
10 खाली सीटों में जदयू के आठ बागी सदस्यों की सदस्यता विधानसभा अध्यक्ष के कोर्ट ने खत्म कर दिया है. इनमें से चार की याचिका पर हाइकोर्ट के एकलपीठ ने सदस्यता समाप्त करने संबंधी आदेश को खारिज कर दिया है. इस फैसले को विधानसभा सचिवालय और जदयू ने डबल बेंच में चुनौती दी है. चार अन्य सदस्यों ने सदस्यता समाप्त किये जाने को हाइकोर्ट में चुनौती दी है. दो सदस्यीय खंडपीठ ने दोनों ही मामलों में आदेश सुरक्षित रख लिया है.
विधानसभा सचिवालय ने सदस्यता बहाल करने संबंधी आदेश अब तक जारी नहीं किया है. भाजपा के एक सदस्य का इंतकाल हो गया है और निर्दलीय सोम प्रकाश की सदस्यता को लेकर सुप्रीम क ोर्ट में मामला लंबित है. वह अभी सदन के सदस्य नहीं हैं.
ये अभी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं : ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, रवींद्र राय,राहुल कुमार, पुनम देवी, राजू कुमार सिंह, सुरेश चंचल, नीरज कुमार सिंह और अजीत कुमार.
केस-1
जदयू की सरकार
जदयू के 111, आठ विधायक आधिकारिक तौर पर मांझी के साथ हैं, इसलिए शेष बचे :103
राजद के 24, जिनमें एक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने मांझी के साथ होने की घोषणा की : 23
कांग्रेस के 05, कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने की जदयू को समर्थन की घोषणा: 05
भाकपा का एक विधायक, फैसला सदन में जदयू को समर्थन देने वाले कुल विधायक : 131
मांझी खेमें में आधिकारिक तौर पर आने वाले विधायक : नीतीश मिश्र, सुमित कुमार सिंह, अजय प्रताप, वृशिण पटेल, राजीव रंजन, अनिल कुमार, ज्योति मांझी, रामेश्वर पासवान, निर्दलीय विनय बिहारी और राजद विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह.
केस-2
मांझी का गणित
भाजपा विधायकों की संख्या : 87
मांझी खेमें में शुक्रवार तक आधिकारिक तौर पर आये विधायकों की संख्या : 10
दो निर्दलीय विनय बिहारी और दिलीप वर्मा : 02
कुल विधायक : 99
बहुमत के लिए आधिकारिक तौर पर चाहिए अतिरिक्त विधायक : 18
जदयू में टूट के लिए चाहिए विधायक : 74
बिहार व संभवत: देश की राजनीति में किसी मुख्यमंत्री का ऐसा व्यवहार पहली बार है. यह घटनाक्रम इतना महत्वपूर्ण है कि सबकी नजरें इसी पर है. हर व्यक्ति इससे जुड़ा है. इसे देखते हुए आज सिटी की खबरों को पीछे कर राजनीति की खबरों को आगे रखा गया है. पढ़िए पेज 02, 03, व 04 पर दिन भर का पूरा घटनाक्रम व भविष्य की संभावनाओं पर आकलन.
किस्सा कुरसी का
1, अणो मार्ग, सीएम हाउस
मुख्य बात रही मंत्री रहना
बिहार की बदली परिस्थिति में सत्ता का केंद्र बिंदु बना एक अणो मार्ग और पार्टी से बगावती तेवर अपनाये मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से विधायक और मंत्रियों के मिलने का सिलसिला सुबह से देर रात तक जारी रहा. मुख्यमंत्री को जमुई, सहरसा और खगड़िया में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के पहले से ही सुबह आठ बजे से ही एक अणो मार्ग में मिलने वालों का तांता लगा रहा और मुख्यमंत्री के लौटने तक सिलसिला देर रात तक चला.
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से मिलनेवाले मंत्रियों में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह, शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल, ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्र,नगर विकास व आवास मंत्री सम्राट चौधरी, कला संस्कृति मंत्री विनय बिहारी, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह के अलावा जदयू के बागी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और पूनम देवी प्रमुख थे. इन मंत्रियों और विधायकों ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव द्वारा आहूत विधायकों की बैठक को वैधानिक नहीं माना. शाम को करीब छह बजे जब मुख्यमंत्री जमुई-खगड़िया व सहरसा के कार्यक्रम से लौटे तो उनसे मिलने के लिए विधायक,मंत्री और वरीय नेता एक-एक कर पहुंचने लगे. शाम को जदयू के बागी ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू व रवींद्र राय सबसे पहले मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे.
इनके बाद मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह, शाहिद अली खान, विनय बिहारी, वृशिण पटेल,भीम सिंह,नीतीश मिश्र समेत पूनम देवी, विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर, राजद विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह, रामेश्वर पासवान, अनिल कुमार,पूर्व सांसद रंजय प्रसाद यादव, शकुनी चौधरी, देवेंद्र प्रसाद यादव, ज्योति मांझी, राजीव रंजन समेत अन्य नेता भी पहुंचे. सभी मुख्यमंत्री मांझी के समर्थन की बात कर रहे थे और शरद यादव द्वारा बुलाये गये बैठक को असंवैधानिक बता रहे थे.
महाचंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार दल के नेता (मुख्यमंत्री) को है. मांझी पर किसी तरह का दबाव नहीं है. पूरी कैबिनेट मांझी के साथ है. बैठक में शामिल होने के लिए उन्हें पत्र मिला है, लेकिन अगर सीएम बैठक में शामिल होंगे तो वे भी जायेंगे. वृशिण पटेल का कहना है कि मुख्यमंत्री का बयान सही है कि विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार उनको है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा शनिवार को आयोजित बैठक में वह नहीं जायेंगे. विधायक दल के नेता द्वारा बैठक बुलायी जानी चाहिए. मुख्यमंत्री के साथ वे सभी खड़े हैं.
ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्र ने कहा कि जिस बैठक में जाने से मुख्यमंत्री ने खुद को मना कर दिया है, उस बैठक में वह नहीं जायेंगे. ऐसे भी बैठक में उनको नहीं बुलाया गया है. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने 20 फरवरी को विधायक दल की बैठक बुलायी है. उस बैठक में सभी शामिल होंगे. इधर, बागी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने भी मंत्रियों के स्वर में स्वर मिलाया. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री निश्चिंत हैं.
उन्हें धोखे से हटाना चाहते हैं. विधायक व मंत्रियों की संख्या मांझी के पक्ष में बढ़ रही है. इनकी संख्या 30 से कम नहीं है. उन्होंने कहा मुख्यमंत्री के चेहरे पर कोई शिकन नहीं है. यह पूरा विश्वास है कि मुख्यमंत्री श्री मांझी ही रहेंगे. उनके नेतृत्व में ही चुनाव होगा या विधान सभा भंग होगा. विधायक पूनम देवी ने कहा कि जदयू विधायक दल की बैठक दूसरे को बुलाना गलत है. नीतीश कुमार के पास चापलूसों की जमात है, जो उन्हें गलत सलाह दे रही है.
जदयू के वरीय नेता शकुनी चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री से के.सी.त्यागी इस्तीफा मांग रहे हैं. वैसा आदमी इस्तीफा मांग रहा है जिसका वोट बिहार में ही नहीं है. बिना वोट का आदमी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव कैसे महासचिव बन सकता है. इस पूरे मामले पर नीतीश कुमार को खुल कर सामने आना चाहिए था, क्योंकि उन्होंने ही जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था. इस पर पंचायती शरद यादव को करनी चाहिए थी. सभी मिल कर पार्टी को डूबोने में लगे हैं.
विधायक अनिल कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कोई मर्यादा नहीं लांघा है. उन पर आरोप लगाने वाले लोग ही मर्यादा को लांघा है. जब से जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने हैं तब से तरह-तरह की बात कर उन्हें परेशान किया जा रहा है. मुख्यमंत्री हमेशा कहते हैं कि नीतीश ने उन्हें सीएम बनाया. जदयू विधायकों की बैठक 20 फरवरी को है और वह उसमें शामिल होंगे. कला व संस्कृति मंत्री विनय बिहारी ने कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव द्वारा बुलायी गयी बैठक में वह नहीं जायेंगे. क्योंकि शरद यादव उनके नेता नहीं है. मुख्यमंत्री हमारे नेता हैं.
इस समय जदयू को एक होने की जरूरत थी. जनता के साथ अन्याय का मतलब ही नहीं बनता. जदयू में पांच-छह नीतीश कुमार घूम रहे हैं. केसी त्यागी व अजय आलोक मुख्यमंत्री व मंत्रियों पर बोल रहे हैं. अगर बोलने का हक है तो वह सिर्फ नीतीश कुमार को ही है.
होटल चाणक्य :
अंदर चिंतन, बाहर नारेबाजी, चाणक्य से निकलते रहे नये फैसले
पटना : होटल चाणक्य शुक्रवार को जदयू विधायक व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी समर्थकों के निशाने पर रहा. यहां जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ठहरे हुए हैं. शरद यादव होटल में पार्टी नेताओं से मिलते रहे,तो उधर मांझी समर्थकों से मिल उन्हें आश्वासन भी दिया. शरद यादव ने सरकार और जदयू के बीच उठे राजनीतिक भूचाल पर कुछ भी कहने से इनकार किया.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह सीएम से बात करेंगे. उन्होंने कहा कि वह कहीं नहीं जानेवाले हैं. जिनको आना है,वह यही आयेंगे. दिल्ली से पटना पहुंचे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव दो दिनों से होटल चाणक्या में ठहरे हुए हैं.
गुरुवार को वह मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से मिले थे और उसके बाद विधायक दल की बैठक शनिवार को बुलायी. इधर, शुक्रवार को पूरे दिन नाटकीय घटनाक्रम चलता रहा. शरद यादव से होटल चाणक्य में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी दो बार मिले. इसके अलावा संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार, श्याम रजक, संजय गांधी व संजय सिंह शामिल थे. इधर,मुसलिम दलित एकता मंच के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समर्थन में सड़क पर उतर गये. करीब दो घंटे तक होटल चाणक्य के सामने वे शरद यादव, केसी त्यागी और नीतीश कुमार विरोधी नारेलगाते रहे.
अंत में शरद यादव से मांझी समर्थक तारीक खान व उमाशंकर मिले. शरद यादव से मिलने के बाद उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को यह बताया गया है कि पार्टी मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को क्यों हटाना चाहती है. मंच के नेताओं ने बताया कि शरद यादव ने उन्हें आश्वासन दिया कि सुबह तक अच्छा परिणाम आयेगा. जल्दबाजी में मीटिंग बुलायी गयी है. बीच का रास्ता निकाल रहे हैं.
बहुमत का भरोसा
नीतीश कुमार का निवासबोले हमें भी बरखास्त करो
जदयू के लिए शुक्रवार का दिन भूचाल जैसा रहा. दिन में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने उग्र रूप दिखाते हुए नीतीश और शरद पर हमला बोला और दो मंत्रियों के बरखास्तगी की चिट्ठी राजभवन भेज दी. इधर, विधायक दल की बैठक की पूर्व संध्या पर मंत्री लेसी सिंह के घर नीतीश समर्थक मंत्रियों की बैठक हुई. लेसी सिंह के आवास पर आयोजित रात्रि भोज में 15 मंत्री एकत्रित हुए. सभी ने नीतीश कुमार में आस्था जतायी. संजय गांधी जैविक उद्यान के करीब लेसी सिंह के सरकारी आवास पर मंत्रियों के अलावा पार्टी प्रवक्ता संजय सिंह भी थे. मीडिया को भोज से दूर रखा गया था.
सूत्रों के मुताबिक लजीज व्यंजनों के साथ ताजा राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई. इस भोज में मांझी समर्थक कोई भी मंत्री शामिल नहीं हुए. भोज के बाद सभी मंत्री करीब साढ़े दस बजे पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर पहुंचे, जहां देर रात तक आगे की रणनीति बनती रही. सभी ने शनिवार को होने वाली जदयू विधानमंडल की बैठक में शामिल होने की बात कही. सूत्रों के मुताबिक मंत्री श्रवण कुमार लगातार विधायकों से संपर्क में थे. मंत्रियों के बीच विधायक दल की बैठक में गैर हाजिर रहने वाले विधायकों की गिनती को लेकर चर्चा भी चलती रही. मंत्रियों ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी द्वारा दो मंत्रियों ललन सिंह व पीके शाही की बरखास्तगी की अनुशंसा पर भी चर्चा हुई.
7, सकरुलर रोड स्थित नीतीश के आवास पर मिलने वालों में जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी, पथ निर्माण मंत्री ललन सिंह, वन व पर्यावरण मंत्री पीके शाही, संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार, सहकारिता मंत्री जय कुमार सिंह, भवन निर्माण मंत्री दामोदर राउत, पशु व मत्स्य मंत्री बैजनाथ सहनी, पंचायती राज मंत्री विनोद यादव, खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक, समाज कल्याण मंत्री लेसी सिंह, पिछड़ा व अतिपिछड़ा मंत्री बीमा भारती, स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह, पर्यटन मंत्री जावेद इकबाल अंसारी, गन्ना उद्योग मंत्री रंजू गीता, लघु जल संसाधन मंत्री मनोज कुशवाहा समेत विधान पार्षद संजय सिंह,विनोद सिंह, संजय गांधी, विधायक दाउद अली मौजूद थे. नीतीश के आवास से निकलने के बाद श्रवण ने कहा कि उन्हें प्रसन्नता होगी कि उन्हें भी बरखास्त सूची में शामिल कर लिया जाता है.
मंत्री मनोज कुशवाहा ने कहा कि मंत्रियों की बरखास्तगी तो होनी ही थी. वे चट्टानी एकता के साथ नीतीश कुमार के साथ हैं.
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