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नीतीश समर्थक विधायक समर्थन की चिट्ठी सौंपने राजभवन पहुंचे

पटना: बिहार में जारी राजनीतिक उथल- पुथल अब नयी मोड़ लेने लगी है. नीति आयोग की बैठक में पहुंचे जीतन राम मांझी ने पत्रकारों से कहा, मैं बैठक में जा रहा हूं आपसे बैठक के बाद बात करूंगा. पत्रकारों ने जब सवाल पूछा कि आपकी नाव रहेगी या डूबेगी इस सवाल पर उन्होंने मजाकिया लहजे […]

पटना: बिहार में जारी राजनीतिक उथल- पुथल अब नयी मोड़ लेने लगी है. नीति आयोग की बैठक में पहुंचे जीतन राम मांझी ने पत्रकारों से कहा, मैं बैठक में जा रहा हूं आपसे बैठक के बाद बात करूंगा. पत्रकारों ने जब सवाल पूछा कि आपकी नाव रहेगी या डूबेगी इस सवाल पर उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि मांझी की नाव डूबती है ?. मांझी ने प्रधानमंत्री से भी मुलाकात का समय मांगा है. सूत्रों के अनुसार उन्हें शाम पांच बजे का समय दिया गया है. दूसरी तरफ बिहार में नीतीश समर्थन विधायकों ने राज्यपाल को समर्थन की चिट्ठी सौंपने राजभवन पहुंचे है. ज्ञात हो किजदयू विधायक दल की शनिवार को हुई बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नया नेता चुन लिया गया. नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव कभी मांझी के समर्थक कहे जानेवाले विधायक अरुण मांझी ने किया, जबकि इजहार अहमद ने इसका समर्थन किया.

बैठक के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने नीतीश कुमार को नया नेता चुने जाने की घोषणा की. नेता चुने जाने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि नयी सरकार के गठन के लिए शरद यादव राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात करेंगे. उन्होंने कहा कि वह सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि जरूरत पड़ी, तो विधायकों की परेड भी करायेंगे.इसके पहले शरद यादव और प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह की मौजूदगी में आरंभ हुई विधायक दल की बैठक में दल के 111 विधायकों में से 97 विधायक उपस्थित हुए, जिन्होंने नीतीश कुमार को अपना नेता चुना.

बैठक में जदयू के 41 विधान पार्षदों में से 37 ने भी उपस्थित होकर नीतीश कुमार का समर्थन किया. निर्धारित समय से 20 मिनट देर से आरंभ हुई बैठक में नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ पहुचे थे. बैठक में नीतीश कुमार ने विस्तार से लोकसभा चुनाव के बाद की घटनाक्रम को विधायक दल के सामने रखा.

बैठक स्थल पर दोपहर दो बजे से ही विधायक पहुंचने लगे थे. विधायक दल को शरद यादव, वशिष्ठ नारायण सिंह, नीतीश कुमार, विजय कुमार चौधरी और मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने भी संबोधित किया. शरद यादव ने मांझी के समर्थन में गये मंत्री और विधायकों को इधर आने की अपील की. उन्होंने कहा कि पार्टी में कुछ लोग स्वार्थी लोग है और कुछ अगवा हुए लोग हैं. जबसे हमने एनडीए से नाता तोड़ा है, तब से भाजपा हमें गहरे दुश्मन के रूप में रही है.

बैठक में उन्होंने मांझी पर दल विरोधी आचरण और गलत बयान देने का आरोप लगाया. उन्होंने भाजपा पर विधानसभा भंग करने का दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे. शरद ने मुख्यमंत्री का नाम लिये बिना कहा कि किसी को दौलत, इज्जत, मेहनत की थाली परोस कर रख दिया और वह अपने ही सोच रहे हैं. लेकिन, पार्टी तो सबके सोच से चलेगी.
जदयू को फायदा
अब जदयू नये सिरे से सरकार बनाने की कवायद में जुटेगी. मांझी के ऐसे बयानों जिससे पार्टी को नुकसान होता था, इससे पार्टी बच जायेगी. यदि राज्यपाल ने नीतीश को सरकार बनाने का मौका नहीं दिया, तो वह विधायकों की परेड करायेंगे और यह संदेश देने की कोशिश होगी कि भाजपा ने बहुमत रहते हुए उनकी सरकार नहीं बनने दी और अल्पमत सरकार की सिफारिशों को मानती गयी. इसके अलावा जदयू की रणनीति भाजपा को सवर्ण खासकर भूमिहार विरोधी घोषित करने की होगी.
जदयू को नुकसान
महादलितों के वोट बैंक का खामियाजा जदयू को उठाना पड़ सकता है. भाजपा नीतीश के अंतिम छवि को महादलितों के बीच महादलित विरोधी साबित करने में जुट जायेगी.
विधायकों व विधान पार्षदों ने जो प्रस्ताव लाया है, उसे हमने स्वीकार किया है. एक बार फिर से काम संभालने के लिए तैयार हूं. अब इससे डिगने वाले नहीं हूं. पूरे प्रकरण में भाजपा का भेद खुल गया है. बिहार की जनता इसका जवाब देगी.
नीतीश कुमार

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