नगर आयुक्त की प्राथमिकता में नहीं है निगरानी केस

पटना: जनहित याचिका नरेंद्र मिश्र अनाम राज्य सरकार मामले में हाइकोर्ट ने निगम प्रशासन को फटकार लगाते हुए सख्त निर्देश दिया था कि निगम क्षेत्र में बिल्डिंग बाइलॉज के उल्लंघन कर बनाये जा रहे अपार्टमेंटों पर कार्रवाई करे. हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में तत्कालीन नगर आयुक्त कुलदीप नारायण ने विशेष अभियान चलाया और 1200 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2015 6:14 AM
पटना: जनहित याचिका नरेंद्र मिश्र अनाम राज्य सरकार मामले में हाइकोर्ट ने निगम प्रशासन को फटकार लगाते हुए सख्त निर्देश दिया था कि निगम क्षेत्र में बिल्डिंग बाइलॉज के उल्लंघन कर बनाये जा रहे अपार्टमेंटों पर कार्रवाई करे. हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में तत्कालीन नगर आयुक्त कुलदीप नारायण ने विशेष अभियान चलाया और 1200 अपार्टमेंटों के निर्माण पर रोक लगायी.

इसके साथ ही 750 अपार्टमेंटों पर निगरानी केस दर्ज किया गया और नगर आयुक्त न्यायालय में सुनवाई शुरू की गयी. इसमें 150 अपार्टमेंटों पर निगरानी केस की फैसला भी सुना दिया गया और ट्रिब्यूनल में मामला चल रहा है. लेकिन, वर्तमान नगर आयुक्त की प्राथमिकता में निगरानी केस की सुनवाई नहीं हो रही है. इसका कारण है कि तत्कालीन नगर आयुक्त पर निलंबन की कार्रवाई निगरानी केस की वजह से ही हुई है.

इस स्थिति में नगर आयुक्त शीर्षत कपिल अशोक फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं. इधर दस दिनों में एक भी निगरानी केस की सुनवाई नहीं हुई. नगर आयुक्त कहते हैं कि हमारी प्राथमिकता सफाई व जलापूर्ति है.
मॉनसून के बाद बिल्डिंग पर कार्रवाई : नगरपालिका एक्ट की धारा-47 में कार्यो की प्राथमिकता बतायी गयी है, जिसमें स्पष्ट है कि नगर आयुक्त को प्राथमिकता के आधार पर जलापूर्ति व सफाई व्यवस्था सुनिश्चित कराना है.
नगर आयुक्त कहते हैं कि अब मॉनसून आने वाला है. इसको लेकर नाला उड़ाही व नाला निर्माण की गति को बढ़ाना है, ताकि उस दौरान शहर में जलजमाव की समस्या नहीं बने. मॉनसून खत्म होने के बाद नगरानी केस की सुनवाई व फैसला देने पर विचार किया जायेगा.

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