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बिहार का राजनीतिक संकट : अब मुख्य सचेतक की नियुक्ति पर छिड़ा विवाद, नीतीश-मांझी समर्थक आमने-सामने

पटना : बिहार में 20 फरवरी को होने वाले विश्वास मत परीक्षण से पहले मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी द्वारा अपने एक समर्थक को मुख्य सचेतक नियुक्त करने से विवाद खड़ा हो गया, क्योंकि वर्तमान मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने इसे अवैध करार देते हुए कहा है कि वह अब भी अपने पद पर बने हुए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2015 6:05 PM
पटना : बिहार में 20 फरवरी को होने वाले विश्वास मत परीक्षण से पहले मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी द्वारा अपने एक समर्थक को मुख्य सचेतक नियुक्त करने से विवाद खड़ा हो गया, क्योंकि वर्तमान मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने इसे अवैध करार देते हुए कहा है कि वह अब भी अपने पद पर बने हुए हैं. नालंदा जिले में इस्लामपुर के विधायक राजीव रंजन ने आज दावा किया कि सात फरवरी को सदन के नेता के रूप में मांझी ने श्रवण कुमार के स्थान पर उन्हें मुख्य सचेतक नियुक्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा था. श्रवण कुमार नीतीश कुमार के समर्थक हैं.
रंजन ने भाषा से कहा, ‘‘लेकिन विधानसभाध्यक्ष उस अनुरोध को दबाये हुए हैं और इस आशय की अधिसूचना जारी करने में देरी कर रहे हैं. ’’ उन्होंने कहा कि यदि मामला उनके पक्ष में नहीं गया तो वह राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी और संसदीय कार्य विभाग से भी संपर्क करेंगे. उन्होंने कहा कि वह विश्वास मत परीक्षण के दौरान मांझी के पक्ष में मतदान करने के लिए सभी जदयू सदस्यों को व्हिप जारी करेंगे और जो उसका उल्लंघन करेंगे, उन्हें निष्कासित कर दिया जाएगा. रंजन ने कहा, ‘‘मैं एक दिन पहले यानी 19 फरवरी को अखबारों में व्हिप प्रकाशित करवाऊंगा ताकि कोई यह बहाना नहीं कर सके कि उसे यह उसके पते पर नहीं मिला.’’ वह नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा से हैं लेकिन उनकी उनसे अनबन है. लेकिन वर्तमान जदयू मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने कहा कि यह असंवैधानिक कदम है और वह इस पद पर अब भी बने हुए हैं.
उन्होंने सवाल किया, ‘‘‘क्या, राजीव रंजन को मुख्य सचेतक के रूप में मान्यता देने वाली कोई अधिसूचना विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी की गयी है ? ’’ उन्होंने नयी दिल्ली से फोन पर कहा, ‘‘इसके अलावा, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पार्टी से निष्कासन के बाद जदयू के सदस्य भी नहीं हैं और उन्हें विधानसभा में असंबद्ध सदस्य घोषित कर दिया गया है, ऐसे में उन्हें मुख्य सचेतक के रूप में किसी को नियुक्त करने का क्या अधिकार है? ’’ श्रवण कुमार राष्ट्रपति से मिलने गयी नीतीश कुमार की टीम के अंग के तौर पर दिल्ली गये हुए हैं. मांझी द्वारा बरखास्त किए जाने से पहले संसदीय कार्य मंत्री रहे श्रवण कुमार ने कहा कि संसदीय कार्य विभाग को किसी को मुख्य सचेतक के रूप में अधिसूचित करने का हक नहीं है, यह अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास है.
इस बीच मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा विधानसभा सचिवालय को इस आशय का पत्र भेजे जाने के बाद कि विधायक राजेश सिंह और दाउद अली 20 फरवरी को विधानमंडल की संयुक्त बैठक में राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी के अभिभाषण के बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर भाषण देंगे, एक दूसरा विवाद पैदा हो गया है. नीतीश कुमार के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त कर चुके सिंह और अली ने कहा कि इसके लिए उनकी सहमति नहीं ली गयी. पश्चिमी चंपारण से बाल्मिकीनगर के जदयू विधायक राजेश सिंह ने कहा कि यह धोखाधड़ी का मामला है और वह इस कदम के खिलाफ कार्रवाई के लिए कानूनी विकल्प पर गौर करेंगे. बक्सर जिले में डुमरांव के जदयू विधायक दाउद अली ने कहा कि वह तभी धन्यवाद प्रस्ताव पर भाषण देंगे जब राज्यपाल नीतीश कुमार सरकार द्वारा तैयार अभिभाषण पढेंगे न कि तब किसी अन्य या किसी अन्य दल द्वारा तैयार तैयार भाषण राज्यपाल द्वारा पढे जाने पर.

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