लाइफ रिपोर्टर@पटनामजनू का असली नाम कैस था और वह दामिश्क के शाह अमीर का बेटा था. लैला जज्द शहर के सुल्तान की बेटी थी. दोनों मकतब में इक्कठे बैठते थे. मजनू लैैला से बेहद मोहब्बत करता था. लैला मजनू की यह प्रेम कहनी वेलेंटाइन डे की पूर्व संध्या शुक्रवार को कालिदास रंगालय में देखने को मिली, जहां छठे अखिल भारतीय ऐतिहासिक नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन नाटक लैला मजनू का मंचन किया गया. यह नाटक उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद के सौजन्य से आयोजित किया गया. इसके आलेख उर्दू जबान में दिखाये गये. कहानी दोहा, चौबाला, दौड़ सोरठा, गजल और कवाली में रची गयी है, जिसमें लैला और मजनू अपने गीतों और गजलों से दर्शकों को अपनी दर्द भरी प्रेम कहानी बतायी, जिसे देख सभी दर्शकों ने कलाकारों का हौसला बढ़ाने के लिए भरपूर तालियां बजायी. नाटक में दिखा प्यार का दर्दनाटक में जैसे ही लैला और मजनू की प्रेम की खबर लैला के पिता मकतब को मिलता है. वह लैला का आना जाना बंद करा दिया. इधर मजनू लैला का दिवाना होकर इधर-उधर जंगल में ढूंढता रहता है. जंगल में शाह नौफिल अपने साथी बहराम के साथ शिकार खेलने जाता है, जहां उनकी मुलाकात मजनू से होती है. नौफिल मजनू से वादा करता है कि वह उसकी शादी लैला से करा देगा, लेकिन लैला के मां-बाप उसकी शादी दिल्ली के शाह के बेटे खुशवख्त से करा देती है, फिर लैला मजनू के याद में तड़पती है और जंगल में मजनू को खोजने भाग जाती है.
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मंच पर दिखा लैला मजनू की प्रेम कहानी
लाइफ रिपोर्टर@पटनामजनू का असली नाम कैस था और वह दामिश्क के शाह अमीर का बेटा था. लैला जज्द शहर के सुल्तान की बेटी थी. दोनों मकतब में इक्कठे बैठते थे. मजनू लैैला से बेहद मोहब्बत करता था. लैला मजनू की यह प्रेम कहनी वेलेंटाइन डे की पूर्व संध्या शुक्रवार को कालिदास रंगालय में देखने को […]
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