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महादलित कार्ड का परदाफाश : सुशील मोदी

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को मजदूरी न दे कर उनकी सरकार को जब कठोर संदेश दिया, तब उन्होंने पार्टी में विद्रोह को दबाने के लिए नैतिकता के नाम पर इस्तीफा दिया था. उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनवा कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2015 6:35 AM
पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को मजदूरी न दे कर उनकी सरकार को जब कठोर संदेश दिया, तब उन्होंने पार्टी में विद्रोह को दबाने के लिए नैतिकता के नाम पर इस्तीफा दिया था. उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनवा कर जो महादलित कार्ड खेला था, उसका परदाफाश हो चुका है.
बिहार में सुशासन का जनाजा तो उसी दिन निकल गया था, जिस दिन नीतीश कुमार ने भाजपा से गंठबंधन तोड़ा और राजद-कांग्रेस के समर्थन से जदयू की अल्पमत सरकार चलाने का जुगाड़ किया था.
अकेले यदि नीतीश कुमार सुशासन की गारंटी होते, तो उनके मुख्यमंत्री होते बोधगया मंदिर में सीरियल ब्लास्ट के रूप में पहली आतंकी वारदात नहीं होती. उनके सीएम रहते ही गांधी मैदान में सीरियल ब्लास्ट नहीं होते. उनकी सरकार की लापरवाही के चलते धमारा घाट रेलवे स्टेशन पर राजधानी एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई, जिसमें 37 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी.
उन्होंने पूछा है कि नीतीश कुमार का सुशासन तब क्यों धरा रह गया, जब नवादा में सांप्रदायिक तनाव की घटना में एक की मौत हुई और वहां कफ्र्यू लगाना पड़ा. मशरक-छपरा के स्कूल में जहरीला मध्याह्न् भोजन परोसा गया, जिसमें 23 मासूम बच्चों की जानें चली गयीं. अगर उनके सीएम बन जाने से सुशासन आ जाता, तो बगहा में आदिवासियों पर पुलिस फायरिंग क्यों हुई? बिहार को सूखाग्रस्त घोषित करने में ढाई माह की देरी क्यों हुई?
धान की सबसे कम 13 लाख मीटरिक टन की खरीद का रिकॉर्ड उनके ही नाम क्यों है? उनके मुख्यमंत्री रहते ही आतंकी, नक्सली हिंसा, सांप्रदायिक तनाव, स्कूली बच्चों की मौत, किसानों की उपेक्षा और महादलितों पर हमले की घटनाओं से सुशासन तार-तार होता रहा है.
इतने उतावले क्यों नीतीश
पटना : अगर नीतीश कुमार के पास बहुमत है, तो वे सरकार बनाने को इतने उतावले क्यों हो रहे हैं? नीतीश कुमार से उक्त सवाल रविवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने पूछा है. उन्होंने कहा है कि जदयू में जो कुछ भी हो रहा़, वह नीतीश कुमार के कारण हो रहा. पूरे घटनाक्रम में भाजपा की कहीं कोई भूमिका नहीं है.
खिलाड़ी भाजपा कैसे?
पटना. विधानसभा में विपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने रविवार को कहा कि नीतीश कुमार किस मुंह से भाजपा पर खेल खेलने का आरोप लगा रहे हैं? सारा खेल तो उन्होंने खेला है और खिलाड़ी भाजपा को बता रहे हैं. हर दिन सत्ता पक्ष की ओर से नया शगूफा छोड़ दिया जा रहा है. एक दिन कहते हैं कि सत्ता में हैं, अगले दिन कहते हैं कि विपक्ष में हैं. कभी कहते हैं कि हम तो त्याग पुरुष हैं, सत्ता की राजनीति नहीं करते, तो कभी कहते हैं कि कुरसी का मोह सबको होता है. कभी कहते हैं कि जीतन राम मांझी नीतीश कुमार की नीतियों को आगे बढ़ा रहे हैं, तो अगले दिन कहते हैं कि मांझी को वे मुख्यमंत्री मानते ही नहीं हैं.
कभी कहते हैं कि मांझी जी को मुख्यमंत्री बना कर उन्होंने उन्होंने महा दलितों का सम्मान किया, तो कभी कहते हैं कि उन्हें सीएम बनाना भूल थी. आखिर यह सब क्या है? जदयू के अंदरुनी झगड़े से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है.

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