मांझी को महारथी समझना भूल, वे जदयू व सरकार का नाश करने पर तुले थे : नीतीश
नीतीश बोले : मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति के लिए पूरी तरह भाजपा है जिम्मेवार, वे चाहते हैं राज्य में राष्ट्रपति शासन लगे हम चाहते थे कि जितनी जल्द हो, बहुमत साबित हो जाये पटना : पूर्व मुख्यमंत्री और जदयू विधानमंडल दल के नेता नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा विधानसभा में हंगामा चाहती है. प्रदेश में […]
नीतीश बोले : मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति के लिए पूरी तरह भाजपा है जिम्मेवार, वे चाहते हैं राज्य में राष्ट्रपति शासन लगे
हम चाहते थे कि जितनी जल्द हो, बहुमत साबित हो जाये
पटना : पूर्व मुख्यमंत्री और जदयू विधानमंडल दल के नेता नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा विधानसभा में हंगामा चाहती है. प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की चक्रव्यूह रच रही भाजपा की चालों को वह जनता के बीच ले जायेंगे. रविवार की शाम इटीवी समाचार चैनल पर दिये गये विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि सरकारें आती जाती हैं.
सरकार की जनता और सूबे के प्रति जिम्मेवारी होती है, किंतु जिन्हें मुख्यमंत्री बनाया, वे सरकार और पार्टी का सत्यानाश करने पर तुले थे. मैंने इस चुनौती को स्वीकार किया. उनके (मांझी जी के) कारनामों से परेशान विधायक मुझसे कह रहे थे कि किस मुंह से जनता के बीच वोट मांगने जायेंगे? मौजूदा स्थिति के लिए पूरी तरह भारतीय जनता पार्टी जिम्मेवार है. उनकी योजना है विधानसभा में हंगामा करना. वह चाहती है सूबे में राष्ट्रपति शासन लगे. यदि ऐसा हुआ, तो जनता के बीच जायेंगे और सच बतायेंगे. जनता ने मेंडेड दिया है, जिसे मैंने स्वीकार किया है.
मुङो पूरा विश्वास है कि जदयू इस परीक्षा में पास करेगी. नीतीश ने कहा, हम चाहते थे कि जितनी जल्द हो, बहुमत साबित हो जाये. राष्ट्रपति के समक्ष विधायकों की परेड करा कर बहुमत साबित कर दिया. विश्वास मत प्राप्त करना सरकार की जिम्मेवारी है. जदयू ने विधानसभा अध्यक्ष को विधानसभा में विपक्ष में बैठने के लिए लिख कर दिया है. विधानसभा के अंदर किस दल की सबसे बड़ी संख्या है? पहले अब्दुल बारी सिद्दीकी विपक्ष के नेता, उन्हें खिसका कर भाजपा विपक्ष की कुरसी पर बैठ गयी. सच तो यह है कि अनुशासन तोड़नेवाले नेताओं की भाजपा में भरमार है.
उन्होंने तो कोर्ट के फैसले को भी गलत ढंग से प्रचारित किया. विपक्ष के रूप में जदयू विधायक दल के नेता विजय चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष के यहां विपक्ष की मान्यता देने का दावा किया है. हमारे साथ सुशील मोदी ने लंबे समय तक काम किया है. बदलते दौर में हम क्या-क्या निर्णय ले रहे हैं, या लेने वाले हैं, सब-कुछ पता था उन्हें. मेरा जीवन ही ऐसा रहा है, बहुत लोग साथ आते हैं, बहुत लोग साथ छोड़ देते हैं. हमारी पार्टी में आनेवाले भी मेरे खिलाफ हो जाते हैं. जिस पद को मैंने छोड़ा, उस ओर पलट कर भी नहीं देखा. पहले से जो रोड-मैप बना था, उसी पर काम करता गया और आज भी कर रहा हूं. मैं साढ़े आठ वर्षो तक सीएम रहा, आज-तक किसी पर कुछ भी नहीं कहा.
योजना आयोग को भंग करने के मैं सदा विरोध में था, हां उसमें संशोधन की जरूरत है, इसका मैंने कई बार जिक्र किया है. जीतन राम मांझी का यह आरोप कि मैं हस्तक्षेप कर रहा था, बिलकुल बेबुनियाद है. हमने जब कुछ कहा ही नहीं, तो हस्तक्षेप कैसे करता? किसी आदमी का मत बदल जाये, तो उस पर मैं क्या कर सकता हूं? मैं किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहता. बिहार के लोग और मेरे साथ काम करनेवाले जानते हैं कि मेरा स्वभाव कैसा है.
अधिकारियों के तबादले को ले कर दबाव बनाने का मुझ पर सीएम का आरोप भी गलत है. बिहार की मौजूदा परिस्थिति के लिए भाजपा जिम्मेवार है. भाजपा बहुमत परीक्षण को ले कर गुप्त मतदान की बात कह रही है. इसका कहीं कोई प्रावधान है क्या? अब भाजपा विधान सभा अध्यक्ष पर भी सवाल उठा रही है. भाजपा विपक्ष की मान्यता जदयू को मिलने पर कोर्ट में जाने की भी बातें कर रही हैं. इस तरह की बातें कर भाजपा खुद अपने पांव में कुल्हाड़ी मार रही है. अब सेंधमारी नहीं होती. एनडीए शासन में ही ऐसा कानून बना है कि दो तिहाई सदस्य ही दल-बदल कर सकते हैं. खरीद-फरोख्त का समय तो मिल ही गया है.
इस विधा में तो भाजपा को महारत हासिल है. वह जान-बूझ कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रही है. जिन लोगों के कारण लालू प्रसाद को बदनामी ङोलनी पड़ी, वे लोग आज भाजपा के साथ खड़े हैं. उसका खामियाजा भाजपा को भुगतना होगा. संविधान के शिड्यूल-10 में सभी दलों की रक्षा का प्रावधान है. विश्व कप मैच में भारतीय टीम को मिली शानदार जीत के लिए मैं बधाई देता हूं.
(साभार: इटीवी से)
मांझी को महारथी समझने की भूल
उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि जीतन राम मांझी को महारथी समझने की मैंने भूल की. नरेंद्र सिंह, वृशिण पटेल और भीम सिंह सहित कई हमारे पुराने साथी, जो आज मांझी जी के साथ हैं, उन्हें समझाने की काफी कोशिश की. मैंने, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने भी समझाया, किंतु वे नहीं माने. वे पार्टी को अंधेरे कुएं में ढकेलने की कोशिश कर रहे हैं.
पार्टी अध्यक्ष ने बैठक बुलायी, मांझी सहित अन्य लोग नहीं गये. जबकि उन्हें बैठक में आना चाहिए था. मैंने भी उन्हें सिर्फ बैठक में आने को कहा था. उन्हें बैठक में कुछ बोलना थोड़े ही था, फिर भी वे नहीं आये. मांझी जी आज कैबिनेट की बैठक कर रहे हैं. विधानसभा को भंग करने की सिफारिश करने को कैबिनेट की बैठक कर रहे हैं. वे जो-जो फैसले ले रहे हैं, क्या वे उसे लागू भी करा पायेंगे? वर्ष 2005 और 2010 में बिहार की जनता का पूरा समर्थन मिला. लोकसभा चुनाव में जो परिणाम आया, उससे मैंने महसूस किया कि मेरे प्रति जनता के विश्वास में कमी आयी है. लगा कि मुङो लोगों के बीच जाना चाहिए.
इसी लिए मुख्यमंत्री का पद त्याग किया. हालांकि, मेरी पार्टी के कई लोग मेरे इस फैसले से नाराज थे. जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाने के बाद धीरे-धीरे जो हालात बनते गये, तब मुङो लगा कि यह मैंने क्या कर दिया? बिहार में कई मोरचों पर काफी गिरावट आयी है. राज-काज के अलावा पार्टी संगठन को मजबूत करने की भी जिम्मेवारी मेरी थी. सीएम पद से त्याग पत्र देने के बाद मैं लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा था. मैं स्वीकार करता हूं कि मांझी जी को सीएम बनाने का मेरा निर्णय गलत था.
मैं सीएम ऑन वेटिंग नहीं
मैं सीएम ऑन वेटिंग नहीं हूं. हमारे पास बहुमत है. पहले जैसा समर्थन था, उससे बड़ा समर्थन है आज मेरे पास. जहां तक राजद का सवाल है, जब मांझी जी की सरकार बन गयी, तब भी राजद ने समर्थन दिया. आज जो कुछ भी उथल-पुथल हो रहा है, भाजपा के इशारे पर हो रहा है. जनता इसे देख रही है. हमने मैदान नहीं छोड़ा. हमने सेंटीमेंट पर सीएम पद छोड़ने का निर्णय लिया था. मैं मैदान छोड़ कर नहीं भागा था. यह सच है कि इस्तीफा दे कर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला मेरा था.
मेरे सेंटीमेंट का पार्टी ने सम्मान किया. कोई व्यक्ति कोई फैसला लेता है, तो आगे चल कर उसमें सुधार की भी गुंजाइश होती है. राह-चलते लोग मुझसे अपना फैसले को सुधारने को कहने लगे थे. लोग कहते थे मेंडेंड तो हमने आपको दिया था. लोकसभा चुनाव में मिली पराजय का अधिक सदमा नहीं था मुङो. लोगों को मालूम था अधिक गड़बड़ होगी. इस्तीफा देने के बाद मैं पार्टी के काम में लगा था. प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह भी ठीक काम कर रहे थे. जीतन राम मांझी के सीएम बनाने का फैसला करना मेरी गलती थी, इसे मैं स्वीकार करता हूं. मेरा दुर्भाग्य है, आदमी पहचानने में दिक्कत होती है.
वर्ष 2000 में समता पार्टी सहित पांच दलों का समर्थन प्राप्त था मुङो. उमाशंकर सिंह, भाई वीरेंद्र और गणोश पासवान उस वक्त समता पार्टी में थे. उपेंद्र कुशवाहा भी थे. उन्हें मैं नहीं, बल्कि हमारे विधायक विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता के रूप में देखना नहीं चाहते थे. जहां तक शिवानंद तिवारी जी की बात हैं, वे हमारे साथ काम कर चुके हैं. मेरा यह दोष है कि उन्हें हम दूसरी बार राज्य सभा में नहीं भेज सके. उनसे मेरी नाराजगी है, यह उनका नजरिया है.