बजट पर किसका होगा नाम, संशय में विभाग
पटना: राज्य में जारी राजनीतिक उठा-पटक का असर सबसे अधिक राज्य के आनेवाले बजट पर पड़ रहा है. वर्ष 2015-16 का बजट भाषण छपने के लिए कोलकाता चला तो गया है, लेकिन इस पर नाम किसका रहेगा, यह तय नहीं होने से इसकी प्रतियों पर नाम वाले स्थान को खाली छोड़ दिया जा रहा है. […]
ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि वर्तमान में वित्त विभाग सीएम जीतन राम मांझी के पास है, लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण यह संशय बरकरार है कि वह पद पर बने रह पायेंगे या नहीं. ऐसी स्थिति में उक्त रास्ता निकाला गया है. विधानमंडल का बजट सत्र 20 फरवरी से शुरू होने जा रहा है. ऐसे में इतना समय नहीं है कि बजट भाषण, बजट, आर्थिक सव्रेक्षण समेत अन्य पुस्तिकाएं कोलकाता से छप कर इतनी जल्दी यहां आ जाएं. सीएम जीतन राम मांझी ने पिछले कुछ दिनों में कई बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर दी हैं. इनमें पांच एकड़ तक वाले किसानों को मुफ्त बिजली, वित्तरहित स्कूलों का सरकारीकरण, कृषि यंत्रों पर अतिरिक्त अनुदान समेत अन्य प्रमुख घोषणाएं शामिल हैं.
लेकिन, जब तक कैबिनेट से ये घोषणाएं नहीं पास हो जातीं, तब तक इनका कोई वजूद नहीं है. लेकिन, कैबिनेट से पास कराने के लिए इन पर होनेवाले खर्च का सही अनुमान लगाने के लिए वित्त विभाग से होकर गुजरना पड़ेगा. इन भारी-भरकम घोषणाओं को पूरा करने के लिए राज्य के बजट पर अनुमान से कहीं ज्यादा बोझ पड़ेगा. इसके मद्देनजर वित्त विभाग पहले ही कई मुद्दों पर अपनी आपत्ति दर्ज करा चुका है. दूसरा, इन घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए संबंधित विभागों ने प्रस्ताव तैयार करके वित्त विभाग को सोमवार तक नहीं भेजा था. जब तक सभी संबंधित विभाग इसका प्रस्ताव नहीं भेजते, तब तक वित्त विभाग इन पर खर्च का आकलन करके विचार कैसे करेगा. सीएम की घोषणाओं को सरजमीन पर उतारने में विभाग ने भी बहुत तत्परता नहीं दिखायी है. ऐसे में इसकी संभावना काफी कम हो गयी है कि ये भारी-भरकम घोषणाएं जमीन पर उतर पायेंगी. सोमवार को हाइकोर्ट ने भी अल्पमत की मांझी सरकार को पॉलिसी संबंधित निर्णय लेने पर रोक लगा दी है. ऐसे में तमाम घोषणाएं धरी ही रह जायेंगी. यह जरूर है कि इन घोषणाओं का बोझ आनेवाली सरकार को ङोलना पड़ेगा.