यदि उनके पास बहुमत हैं, तो इतने हताश क्यों हो रहे हैं? वे तो हॉर्स ट्रेडिंग के मास्टर हैं. सच कहा जाये, तो एक महादलित सीएम के साथ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हो रही हैं. महादलित सीएम को अपमानित करने का काम भी नीतीश कुमार के इशारे पर ही हो रहा है. विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाये जाने पर भी कहा कि यह तो आपदा की स्थिति में ही बुलायी जाती रही है. अभी क्या आपदा आ गयी है?
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राजनीतिक विलाप कर रहे हैं नीतीश कुमार
पटना: केंद्रीय लघु व सूक्ष्म उद्योग राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने सोमवार को कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीतिक विलाप कर रहे हैं. वे चार दिवसीय बिहार-झारखंड दौरे पर आये हुए हैं. पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से उन्होंने कहा नीतीश कुमार इन दिनों बेचैन हो गये हैं. यदि उनके पास बहुमत हैं, तो इतने हताश […]
पटना: केंद्रीय लघु व सूक्ष्म उद्योग राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने सोमवार को कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीतिक विलाप कर रहे हैं. वे चार दिवसीय बिहार-झारखंड दौरे पर आये हुए हैं. पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से उन्होंने कहा नीतीश कुमार इन दिनों बेचैन हो गये हैं.
भाजपा नहीं, नीतीश बना रहे हैं हंगामे का प्लान
पटना. बजट सत्र में हंगामा कराने का भाजपा नहीं, नीतीश कुमार प्लान बना रहे हैं. वे हंगामे का झूठा डर दिखा रहे हैं. उक्त बातें सोमवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कही. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी अविश्सनीय हो गये हैं. उनका कार्यालय जदयू के कार्यालय के रूप काम कर रहा है. वे निरंतर अन्यायपूर्ण फैसले ले रहे हैं. बजट सत्र में शिरकत करने के लिए उन्होंने नंद किशोर यादव को जो पत्र जारी किया है, उसे विधायक के रूप में जारी किया गया है, न कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में. कहां से उन्हें यह अधिकार मिल गया? दो दिसंबर के शीतकालीन सत्र में उन्होंने नंद किशोर यादव के नाम प्रतिपक्ष के नेता के रूप में पत्र जारी किया था.
नियम-कानून से नहीं, बल्कि अपने मन से उदय नारायण चौधरी व्याख्या कर रहे हैं. विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले के खिलाफ भाजपा कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगी. उन्होंने कहा कि जदयू की अंदरुनी लड़ाई से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है. न भाजपा हॉर्स ट्रेडिंग कर रही है, न किसी को प्रलोभन दे रही है.
जदयू लगातार राज्यपाल का अपमान कर रहा है. वर्ष 2000 में नीतीश कुमार सात दिनों के लिए सीएम बने थे. तब बिहार के राज्यपाल विनोद चंद्र पांडेय थे. उन्होंने विधानसभा में बहुमत साबित करने को नीतीश कुमार को सात दिनों का वक्त दिया था. तब नीतीश कुमार ने कोई आपत्ति नहीं की थी. आज जदयू- राजद- कांग्रेस और सीपीआइ के नेता राष्ट्रपति के यहां परेड करने जा रहे हैं. क्या यह राज्यपाल के फैसले में हस्तक्षेप नहीं है? जदयू अपने ढंग से संविधान की व्याख्या कर रहा है.
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