बिहार में अनिश्चितता का माहौल बनाने के लिए भाजपा जिम्मेवार : नीतीश

पटना: जदयू विधान मंडल दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार के वर्तमान अनिश्चितता के माहौल के लिए भारतीय जनता पार्टी और केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह जिम्मेवार हैं. सब कुछ भाजपा की सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है. बिहार की जनता सच्चाई और हम लोगों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2015 6:31 AM
पटना: जदयू विधान मंडल दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार के वर्तमान अनिश्चितता के माहौल के लिए भारतीय जनता पार्टी और केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह जिम्मेवार हैं. सब कुछ भाजपा की सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है. बिहार की जनता सच्चाई और हम लोगों के साथ हैं.

जनता साजिशकर्ताओं को समय आने पर करारा जवाब देगी. एक समाचार चैनल पर दिये साक्षात्कार में नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार भाजपा के जो नेता कल तक मांझी सरकार को कोस रहे थे और बिहार में जंगल राज का आरोप लगा रहे थे, वे अचानक से अब मांझी सरकार के गुप्त समर्थक हो गये. राजभवन में हम लोगों से मुलाकात के दौरान जेडीयू के तर्को से सहमत दिखनेवाले राज्यपाल ने इससे एकदम उलट, वही सब आदेश दिये, जो सब दिल्ली में जीतन राम मांझी प्रधानमंत्री जी से मिलने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह रहे थे.

मांझी सरकार को विश्वास मत प्राप्त करने के लिए इतना लंबा समय देने का मकसद ही है खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देना और राज्य में अनिश्चय का माहौल पैदा करना. उन्होंने कहा कि मुङो जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार मांझी समर्थक मंत्रियों और विधायकों को भाजपा के टिकट का भी लालच दिया गया है. भाजपा की कोशिश है वर्तमान अनिश्चय के माहौल का फायदा उठा कर राज्य में अराजकता को बढ़ावा देना. उनकी पूरी साजिश और इच्छा है कि किसी प्रकार विधानसभा अध्यक्ष को 20 फरवरी को विश्वासमत वाले दिन सदन की अध्यक्षता करने से रोक जाये. इसके लिए वे कोई भी तिकड़म करने को तैयार हैं.
मांझी सरकार द्वारा धड़ाधड़ लिये जा रहे फैसले भी भाजपा की मिली-जुली साजिश है. भाजपा और मुख्यमंत्री जिस तरह मुझ पर हमले कर रहे हैं, इससे भी इन सबका चरित्र उजागर होता है. मैं तो कभी अपने किसी भी प्रतिद्वंद्वी या विरोधी के खिलाफ कोई भी व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाता. यह सब मेरे स्वभाव में ही नहीं है.
दोष उनके विश्वासघात में
मुझसे जुड़े या मेरे द्वारा आगे बढ़ाये गये कई लोग बाद में मुङो छोड़ कर अलग हो गये. मैं तो किसी व्यक्ति के अंदर के गुणों को पहचान कर उसे अपने से जोड़ता हूं. बाद में वह घात करे, तो मेरे पहचानने में दोष हुआ या उनके विश्वासघात में? यह पड़ताल करने की बात है. अभी जो भी हो रहा है वह पार्टी के लिए नुकसान की बजाय फायदेमंद है. पार्टी विरोधी लोगों की छंटनी हो रही है. विरोध और घात का मन रखनेवाले लोग पार्टी में रह कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश करें, इससे अच्छा है कि पार्टी से बाहर हो जाएं. पार्टी के कार्यकर्ता और दूसरे नेता काफी समय से इसकी मांग भी कर रहे थे.
20 फरवरी को आहूत सदन की बैठक में जदयू विधायकों के विपक्ष में बैठने का पार्टी का फैसला स्वाभाविक और सही है.पहले जब जदयू की सरकार में भाजपा थी, तब राजद मुख्य विपक्षी पार्टी थी और अब्दुल बारी सिद्दीकी विपक्ष के नेता थे. जब भाजपा अलग हुई, तब वह मुख्य विपक्षी पार्टी बन गयी और उसके ही लोग दोनों सदनों में विपक्ष के नेता हो गये. इसी प्रकार, जदयू अब मांझी सरकार से अलग है और दोनों सदनों में हमारे ही सदस्यों की संख्या सर्वाधिक है, इसलिए मुख्य विपक्षी पार्टी अब जदयू हो जायेगी और हमारे ही लोग दोनों सदनों में विपक्ष के नेता होंगे.
जीतन राम मांझी को गद्दी सौंप कर मैंने मैदान नहीं छोड़ा, केवल पद छोड़ा था. लोकसभा के चुनाव परिणाम विपरीत आने के कारण यह समझ में आया था कि प्रदेश के लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जाने की जरूरत है. वह मेरा भावनात्मक फैसला था. मैं तो कार्यकर्ताओं से मिल रहा था, संपर्क यात्रएं की. कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण में लगा था, हालांकि सभी जगह से मांझी सरकार की शिकायतें मिल रही थीं और पद छोड़ने के मेरे फैसले से कोई सहमत नहीं था. पार्टी और पूरे प्रदेश का नुकसान हो रहा था. तब लगा कि फैसला सुधारना होगा.
(कशिश टीवी से साभार)

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