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पटना हाइकोर्ट ने दिया अंतरिम आदेश, 19 फरवरी को होगी अगली सुनवाई मांझी के फैसले लेने पर रोक

पटना: बहुमत जुटाने की कवायद में जुटी जीतन राम मांझी सरकार को बड़ा झटका लगा है. पटना हाइकोर्ट ने सोमवार को मांझी सरकार को किसी भी तरह के नीतिगत फैसले लेने पर अंतरिम रोक लगा दी. न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और समरेंद्र प्रताप सिंह के खंडपीठ ने 19 फरवरी तक यह रोक लगायी है. जदयू […]

पटना: बहुमत जुटाने की कवायद में जुटी जीतन राम मांझी सरकार को बड़ा झटका लगा है. पटना हाइकोर्ट ने सोमवार को मांझी सरकार को किसी भी तरह के नीतिगत फैसले लेने पर अंतरिम रोक लगा दी. न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और समरेंद्र प्रताप सिंह के खंडपीठ ने 19 फरवरी तक यह रोक लगायी है.

जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कहा कि सरकार को अभी कोई नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील पीके शाही की इस दलील को नहीं माना, जिसमें उन्होंने सात फरवरी के बाद अब तक लिये गये सभी निर्णयों पर रोक लगाने का अनुरोध किया था. खंडपीठ के आदेश के अनुसार मांझी सरकार 19 फरवरी तक सिर्फ रू टीन कार्य कर पायेगी. उसे न तो वित्तीय और न ही नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार होगा.

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश के अवकाश पर होने के कारण लोकहित याचिकाओं की सुनवाई नहीं होनी थी. लेकिन, याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व महाधिवक्ता पीके शाही द्वारा मेंशन और बार-बार आग्रह किये किये जाने पर न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और समरेंद्र प्रताप सिंह इस याचिका पर सुनवाई को राजी हुए. शाही ने कहा कि माझी सरकार अल्पमत में है. जदयू ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया है. कैबिनेट के मंत्रियों का उन्हें समर्थन नहीं है. इसके बाद भी वह ताबड़तोड़ फैसला लेते जा रहे हैं. इससे राज्य गंभीर वित्तीय संकट के दौर में पहुंच जायेगा. इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से सरकार का पक्ष बताने को कहा. लेकिन, उनकीकोई जानकारी नहीं होने पर कोर्ट ने सुनवाई आरंभ की.

इस बीच सरकार की ओर से अधिवक्ता शशिभूषण मंगलम कोर्ट में उपस्थित हुए. उन्होंने एक दिन की मोहलत की मांग की. लेकिन, न्यायाधीशों ने जब कहा कि हम आज ही कोई निर्णय लेंगे, तब मंगलम ने 20 मिनट का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. 20 मिनट बाद जब दोबारा सुनवाई आरंभ हुई, तो मंगलम ने फिर कहा कि हमें एक दिन का समय मिलना चाहिए. कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया और 19 फरवरी तक नीतिगत और वित्तीय निर्णय पर रोक लगा दी. इसके पहले याचिकाकर्ता की ओर से पीके शाही ने यूपी के जगदंबिका पाल सरकार और 2005 में झारखंड सरकार के कामकाज पर कोर्ट द्वारा रोक लगाये जाने की जानकारी दी.

सात फरवरी के बाद मांझी सरकार के अहम फैसले व घोषणाएं
महादलित में पासवान जाति को भी शामिल करना
70 लाख तक के ठेकेदारी में एससी-एसटी को प्राथमिकता
पोशाक व छात्रवृत्ति के लिए 75} उपस्थिति कम कर 55 से 60% कर देना
पत्रकार के लिए पेंशन योजना
पांच एकड़ की जोतवाले किसानों को नि:शुल्क बिजली
सरकारी नौकरियों में ऊंची जाति के लोगों को आरक्षण की पहल
वित्तरहित माध्यमिक स्कूलों का सरकारीकरण
एससी-एसटी को कृषि यंत्रों की खरीद पर 80 फीसदी अनुदान
इसकी भी है तैयारी
चार लाख नियोजित शिक्षकों को वेतनमान देने की तैयारी
नौ हजार मनरेगा कर्मियों की सेवा स्थायी करना
वित्त्तरहित कॉलेजों का सरकारीकरण करना व नियोजित शिक्षकों के तर्ज पर नियत वेतन देना

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