अडवाइस और रिसिविंग के चक्कर में लटका है भुगतान

पहले मौसम की मार, फिर सरकार और नौकरशाहों की. बेचारे गरीब किसानों की हालत ऐसी दयनीय हो गयी है कि किसी की बेटी की शादी रुक गयी है, तो किसी के जवान बेटे की पढ़ाई. गृहस्थों को घर-बार चलाना मुश्किल हो गया है. जिले के किसान सरकार को धान बेंच कर भी पैसे के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2015 4:02 PM

पहले मौसम की मार, फिर सरकार और नौकरशाहों की. बेचारे गरीब किसानों की हालत ऐसी दयनीय हो गयी है कि किसी की बेटी की शादी रुक गयी है, तो किसी के जवान बेटे की पढ़ाई. गृहस्थों को घर-बार चलाना मुश्किल हो गया है. जिले के किसान सरकार को धान बेंच कर भी पैसे के लिए टकटकी लगाये बैठे हैं. को-ऑपरेटिव बैंक और राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) के बीच उपजे ताजा विवाद के कारण एक बार फिर से किसानों को महाजनों के दरवाजे पर दस्तक देने की लाचारी आ पड़ी है. कहा जा रहा है कि पहले सरकार को धान बेचनेवाले किसानों को एसएफसी से मिले एडवाइस पर ही को-ऑपरेटिव बैंक की ओर से पैसे का भुगतान कर दिया जाता था, लेकिन इस बार उनकी आपसी खींचतान और भुगतान के तौर-तरीके बदल दिये जाने के कारण उन्हें अपने धान की सही कीमत के लिए मोहताज होना पड़ रहा है.

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