मांझी समर्थकों को पटना हाइकोर्ट का झटका, चार बागी नहीं डाल पायेंगे वोट

पटना: पटना हाइकोर्ट में गुरुवार को मांझी समर्थक जदयू के चार बागियों को उस समय झटका लगा, जब दो सदस्यीय खंडपीठ ने मांझी सरकार के विश्वासमत के दौरान वोट करने की उनकी अपील ठुकरा दी. न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह के खंडपीठ ने ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज कुमार सिंह, रवींद्र राय, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 20, 2015 6:12 AM
पटना: पटना हाइकोर्ट में गुरुवार को मांझी समर्थक जदयू के चार बागियों को उस समय झटका लगा, जब दो सदस्यीय खंडपीठ ने मांझी सरकार के विश्वासमत के दौरान वोट करने की उनकी अपील ठुकरा दी. न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह के खंडपीठ ने ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज कुमार सिंह, रवींद्र राय, राहुल कुमार की अपील को खारिज कर दिया.
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान चारों पूर्व विधायकों के पक्ष में आये एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी. न्यायाधीश ज्योति शरण के एकलपीठ ने चारों पूर्व विधायकों की सदस्यता समाप्त करने संबंधी विधानसभा सचिवालय के आदेश को निरस्त कर दिया था. इसके बाद विधानसभा सचिवालय और जदयू के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की थी. कोर्ट ने सभी पक्षों की बात सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस बीच चारों पूर्व विधायकों की ओर से याचिका दायर कर कोर्ट से मतदान करने का अधिकार देने की अपील की थी. गुरुवार को इस मामले को सबसे पहले मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेडी और न्यायाधीश विकास जैन के खंडपीठ के समक्ष इस याचिका की सुनवाई का अनुरोध किया गया. लेकिन, खंडपीठ ने इसे सुनने से मना कर दिया और दोपहर बाद पूर्व निर्धारित कोर्ट में ही सुनवाई होने की बात कही. दोपहर बाद सुनवाई शुरू हुई, तो पूर्व विधायकों की ओर से बहस करते हुए वरीय अधिवक्ता विनोद कुमार कंठ ने कहा कि चारों पूर्व विधायकों के पक्ष में एकलपीठ का आदेश है.
इस आधार पर शुक्रवार को मतदान में उन्हें शामिल होने की अनुमति मिलनी चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या दिक्कत है आप जा सकते हैं. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एकलपीठ के आदेश के बाद पुनर्विचार करनेवाले कोर्ट ने इस पर अब तक रोक नहीं लगायी है. इसके बाद खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी. विधानसभा की ओर से पूर्व महाधिवक्ता पीके शाही और वरीय अधिवक्ता यदुवंश गिरि ने बहस की.
गौरतलब है कि विधानसभा सचिवालय ने दो अलग-अलग फैसलों में जदयू के आठ बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी है. इनमें से चार ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज कुमार सिंह, रवींद्र राय और राहुल कुमार की अपील पर हाइकोर्ट के एकलपीठ ने विधानसभा सचिवालय के इस आदेश पर रोक लगा दी थी. बाद में विधानसभा सचिवालय ने पूनम देवी, सुरेश चंचल, अजीत कुमार और राजू कुमार सिंह क ी भी सदस्यता समाप्त कर दी. इसके खिलाफ इन चारों ने भी हाइकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है. इस पर अभी फैसला नहीं आया है.

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