सुविधाएं बढ़ी नहीं, बढ़ाया टैक्स

पटना: कदमकुआं के ब्रह्नार्षि लेन में रहनेवाले जीवेश कुमार इन दिनों नगर निगम की मनमानी से काफी परेशान हैं. उनकी परेशानी का कारण नगर निगम द्वारा विभिन्न मदों में वसूले जानेवाला टैक्स है. वे इस बात से खफा हैं कि सुविधाओं में तो इजाफा नहीं हुआ, पर तरह-तरह के टैक्स थोप दिये गये. आधा कट्ठा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2013 7:18 AM

पटना: कदमकुआं के ब्रह्नार्षि लेन में रहनेवाले जीवेश कुमार इन दिनों नगर निगम की मनमानी से काफी परेशान हैं. उनकी परेशानी का कारण नगर निगम द्वारा विभिन्न मदों में वसूले जानेवाला टैक्स है. वे इस बात से खफा हैं कि सुविधाओं में तो इजाफा नहीं हुआ, पर तरह-तरह के टैक्स थोप दिये गये. आधा कट्ठा में बने दो तल्ले मकान में रहनेवाले जीवेश कहते हैं कि पहले जहां मात्र 1350 रुपये सालाना होल्डिंग टैक्स देना पड़ता था, वहीं अब एक साथ तीन-तीन टैक्स देने पड़ेंगे. होल्डिंग टैक्स दोगुना हो गया. टैक्स कलक्टर ने अब 2600 रुपये वार्षिक टैक्स लगने की बात कही है.

इसके अलावा नगर निगम ने अब हमसे 60 रुपये मासिक कचरा संग्रहण शुल्क और 120 रुपये महीना पानी शुल्क लेने की भी तैयारी कर रखी है. इन दोनों को मिला कर 2160 रुपये सालाना बोझ बढ़ेगा. इसके अलावा अपनी छोटी-सी दुकान के लिए हर साल दो हजार रुपये ट्रेड लाइसेंस रिन्यूअल फीस भी देनी होगी. कुल मिला कर साल भर में नगर निगम को 6760 रुपये देने होंगे, जो वर्तमान टैक्स से पांच गुना से भी अधिक है.

पहले सुविधाएं तो दें
लोगों का कहना है कि नगर निगम सिर्फ अपनी आय बढ़ाने पर जोर दे रहा है. जो सुविधाएं मिलनी चाहिए, वे नहीं मिल पा रही हैं. होल्डिंग टैक्स के एवज में लोगों को नगर निगम की ओर से सफाई, शुद्ध पानी, अच्छी सड़क, लाइट, नियमित फॉगिंग व ड्रेनेज-सीवरेज की सुविधा मिलनी चाहिए. जबकि, हकीकत में इन सारी सुविधाओं की स्थिति अच्छी नहीं है. समय पर कचरे का उठाव नहीं हो रहा है. अंगरेजों के जमाने में बिछाये गये 700 किमी लंबे पाइप अब जजर्र हो चुके हैं. आधी राजधानी में गंदा पानी आने की शिकायत है. महेंद्रू व उसके आसपास कई लोग पीलिया व डायरिया के भी शिकार हो चुके हैं. शाम ढलते ही सड़क पर अंधेरा पसर जाता है.

दुकानदार देते हैं कॉमर्शियल टैक्स
निगम क्षेत्र में व्यापार करनेवाले लोगों को पहले से कॉमर्शियल टैक्स देना पड़ा रहा है. यह सामान्य होल्डिंग टैक्स से तीन गुना अधिक है. अगर किसी आवास के लिए आठ रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से टैक्स लगता है, तो दुकान या अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए उसी इलाके में 24 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से टैक्स लगेगा.

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