पटना : बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आज एक संवाददाता सम्मेलन में जीतन राम मांझी ने जम कर नीतीश कुमार व उनके आसपास के लोगों के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली. मांझी ने एक बार फिर नीतीश कुमार को श्रद्धेय तो बताया लेकिन उनकी स्थिति भीष्म पितामह जैसी बतायी. मांझी के अनुसार, उनके व नीतीश कुमार के बीच दूरियां बढ़ने का कारण नीतीश के आसपास के लोग हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में जो राजनीतिक परिस्थिति बन गयी थी, उसमें उन्होंने विधायकों की सुरक्षा के लिए पद से इस्तीफा देना उचित समझा और आज सुबह साढ़े दस बजे इस्तीफा देने लिए राज्यपाल से मिलने पहुंचने पर उन्हें इस संबंध में अवगत कराया.
मांझी ने दावा किया कि आज भी उनके समर्थन में कुल 140 विधायक हैं. उन्होंने कहा कि अगर आज भी गुप्त मतदान हो तो बहुमत उनके पास है. उन्होंने कहा कि डरे हुए विधायक नीतीश कुमार के बुलावे पर उनके पास जाते रहे. उन्होंने मीडिया की इंगित करते हुए कहा कि आपने देखा होगा कि आपसे भी नजर छिपा कर विधायक मेरे पास आते रहे. मांझी ने कहा कि जदयू के 50-55 विधायकों का समर्थन उन्हें हासिल है.
मांझी ने कहा कि वर्तमान स्पीकर उदय नारायण चौधरी का व्यवहार स्वेच्छाचारी व असंवैधानिक है, जो आज भी जारी है. मांझी ने कहा कि स्पीकर ने किसी को विपक्ष का दर्जा नहीं दिया और नंद किशोर यादव से नेता प्रतिपक्ष का दर्जा छिन लिया. मांझी ने कहा आज हमें विधानसभा के लिए जो आर्डरशीट मिला उसमें मान्य संसदीय परंपराओं का पालन नहीं किया गया, इसलिए हमने इस्तीफा देना उचित समझा. उन्होंने कहा कि सदन में विधायकों के बैठने की व्यवस्था उचित नहीं थी. उन्होंने कहा कि चीफ व्हीप के लिए भी व्यवस्था नहीं की गयी थी. सदन में कौन कहां बैठेगा यह स्पष्ट नहीं था. मांझी ने कहा कि विरोधी दल की मान्यता रद्द करने के स्पीकर के फैसले पर हमें संदेह हुआ. उन्होंने स्पीकर की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाते हुए कहा कि प्राय: वे गलत काम करते हैं और पता नहीं यह स्वविवेक से करते हैं या किसी के इशारे पर करते हैं. उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार स्पीकर नहीं चल रहे हैं.
जीतन राम मांझी ने कहा कि मेरे समर्थक मंत्रियों व विधायकों को जान से मारने की धमकी मिल रही थी या यह कहा जा रहा था कि अच्छा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि मुङो भी ऐसी धमकियां मिलीं. उन्होंने कहा कि रामेश्वर पासवान के घर पर पिछले कई दिनों से दस लोग डटे हुए हैं.
मांझी ने कहा कि सदन में गुप्त मतदान कराने की स्थिति नहीं थी. ऐसे में विधायकों को और धमकी मिलने या सदस्यता जाने का खतरा था, पर मैं उनका नुकसान नहीं चाहता था, क्योंकि अभी सदन का कार्यकाल बच हुआ है. इसलिए मुङो इस्तीफा देना उचित लगा. उन्होंने कहा कि गरीब विधायक को बचाने के लिए मैंने इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि उनके लोगों को दो-दो करोड़ रुपये का ऑफर और चुनाव के लिए सीट देने का प्रलोभन दिया जा रहा था. इस तरह हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है.
मांझी ने कहा मैंने अपने कार्यकाल का सदुपयोग करने की पूरी कोशिश की. मांझी ने कहा कि मैंने दो-तीन महीने नीतीश कुमार कहे अनुसार काम किया. मेरे पास कागज आ जाता था और मैं उस पर सिग्नेचर कर देता था. उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री बनाने, अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग और योजनाओं की मंजूरी की लिस्ट आती थी और मुङो उस पर सिर्फ हस्ताक्षर करना होता था. लेकिन मीडिया में मुङो रबर स्टांप मुख्यमंत्री कहना शुरू किया, जिसके बाद मेरा स्वाभिमान जागा. उन्होंने मीडिया को इसके लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि जमीर जगने के बाद मैंने अपने हिसाब से काम करना शुरू किया. उन्होंने कहा कि नीतीश के आसपास के लोग उन्हें सदैव मेरे खिलाफ बरगलाया करते और उनका उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना था.
उन्होंने लालू प्रसाद के फैसले पर आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने हाल तक कहा था कि सामाजिक न्याय के आखिरी पायदान पर खड़ा व्यक्ति राज्य का मुख्यमंत्री है, इसलिए हम उन्हें डिस्टर्ब नहीं करेंगे, लेकिन अचानक उनका एजेंडा बदल गया. उन्होंने कहा कि मुङो दो-तीन महीने भी ठीक से काम नहीं करने दिया गया. उन्होंने कहा कि इसके पहले दलित मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री व रामसुंदर दास के साथ भी ऐसा ही हुआ था.
जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार को मैंने आदर्श पुरुष के रूप में दिल में रखा था, उन्होंने बिना किसी पैरवी के मुङो मुख्यमंत्री बनाया था, अगर उन्हें कुछ कहना था तो अपने श्रीमुंह से मुझसे कह देते. पर, वे द्रौपदी के चीरहरण की तरह मेरा अपमान देखते रहे, मुङो गालियां दी जाती रही और वे खामोश रहे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने मुङो नीतीश कुमार का नाम मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तावित करने को कहा. मैंने इनकार कर दिया. उन्होंने सवाल उठाया कि बिना किसी को किसी कारण या नोटिस के कैसे पद से हटाया जा सकता है. मांझी ने कहा कि अगर विधायक दल की बैठक बुलानी थी तो शरद मुझसे कह सकते थे, लेकिन उन्होंने खुद बैठक बुला ली.