नीतीश एक बार कह देते तो हम इस्तीफा दे देते

सीएम पद से इस्तीफे के बाद मांझी ने कहा पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि विधायकों के सेंटिमेंट के लिए उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है. विधायकों को जिस प्रकार प्रलोभन, जान मारने की धमकी और विधायकी खत्म करनी को चेतावनी दी जा रही थी, इससे लगा कि हमारे लिए विधायक मतदान करते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 21, 2015 4:17 AM
सीएम पद से इस्तीफे के बाद मांझी ने कहा
पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि विधायकों के सेंटिमेंट के लिए उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है. विधायकों को जिस प्रकार प्रलोभन, जान मारने की धमकी और विधायकी खत्म करनी को चेतावनी दी जा रही थी, इससे लगा कि हमारे लिए विधायक मतदान करते तो उनकी विधायकी सुरक्षित नहीं रहती. उनकी सदस्यता चली जाती.
वहीं, बिहार विधानसभा अध्यक्ष द्वारा किये जा रहे काम पर भी संदेह हो रहा था कि वे अपने विवेक से कम और किसी के इशारे पर ज्यादा काम कर रहे थे. इसलिए राज्यपाल से मिल कर उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के बाद 1, अणो मार्ग स्थित सीएम हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि विधायक गरीब होते हैं. विधानसभा चुनाव के लिए छह महीने का समय बचा है. अगर विधायक की सदस्यता चली जाती तो उन्हें सदस्यता वापस पाने में कोर्ट में चार-पांच लाख रुपये खर्च करने पड़ते. यह पैसा वे चुनाव में लगा सकें, इसलिए उन्होंने इस्तीफा देना उचित समझा. सीएम ने कहा कि बिहार विधानसभा से जो ऑर्डर सीट मिला, उसमें बैठने की जो व्यवस्था थी उसमें परिवर्तन किया गया था. 6-7 विधायकों के बैठने की भी व्यवस्था नहीं की गयी थी.
उन्होंने जिसे चीफ व्हीप बनाया था, उनको मान्यता भी नहीं दी गयी. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में नंदकिशोर यादव का नाम भी नहीं देखा और न ही उन्हें विपक्ष की मान्यता दी गयी. कौन सदस्य कहां बैठेंगे, इसका पता नहीं चला. विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी के इस काम से लगने लगा कि वे किसी के इशारे पर काम कर रहे थे. स्पीकर के एकतरफा फैसले के कारण कई सदस्यों की विधानसभा की सदस्यता गयी. एकल पीठ के फैसले के बाद भी उन विधायकों को सदन से सुविधाएं नहीं लौटायी गयी. वे कानून के आधार पर काम नहीं कर रहे हैं. सीएम ने कहा विधानसभा में जिस प्रकार पुलिस बल की तैनाती की गयी थी. इसमें मारपीट भी हो सकती थी. खून-खराबा भी हो सकता था. उनके लोग भी इसी में लगे हुए थे.
मिल रही थी हमें धमकी
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पक्ष के मंत्रियों और विधायकों को जान से मारने की धमकी दी जा रही थी. उनसे कहा जा रहा था कि जीतन राम मांझी के विश्वासमत हासिल करने में पीछे हट जाएं. नहीं तो जान से मार दिया जायेगा. खुद उन्हें खुलेआम धमकी दी गयी.
विधानसभा का वातावरण स्वच्छ नहीं रह गया था, इसलिए त्यागपत्र दे दिया. सीएम ने कहा कि नीतीश कुमार ने उन्हें मौका दिया था. उन्होंने सोचा कि उसका सदुपयोग करना चाहिए, लेकिन शुरू के दो-तीन महीने में जो काम किया वह अपने मन से नहीं किया. किसे मंत्री बनाना है, किस मंत्री को कौन सा विभाग देना है यह उन्हें पता नहीं रहता था. इसका कागज उनके पास आ जाता था और वे उसे मान लेते थे. यही हाल विभिन्न विभागों में होनेवाले ट्रांसफर और सरकार की योजनाओं में भी होती थी. इससे हम बहुत ही कुंठा में थे.
बहकावे में आ गये नीतीश
जीतन राम मांझी ने कहा कि वे नीतीश कुमार को आदर्श पुरुष मानते थे, लेकिन नीतीश अपने चमचों और अगल-बगल रहने लोगों के बहकावे में आ गये. मुङो 15 महीने के लिए मुख्यमंत्री बनाया गया था और नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ना तय था, लेकिन क्यों हटाया जा रहा है उसका कोई उचित कारण नहीं बताया गया. अगर हम खराब काम कर रहे थे तो नीतीश कुमार एक बार कह देते तो हम इस्तीफा दे देते. पार्टी के छोटे नेता बार-बार गलत बयान दे रहे थे और नीतीश महाभारत के भीष्म की तरह सब कुछ देख रहे थे.
हमें काम करने से रोका जा रहा था, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा. सीएम ने कहा कि बिना उनसे पूछे जदयू विधानमंडल दल की बैठक बुला ली गयी. उसे जब उन्होंने अस्वीकृत कर दिया तो राजभवन व राष्ट्रपति भवन में परेड करने लगे. लालू प्रसाद पर भी आश्चर्य होता है कि उन्होंने कहा था कि सामाजिक न्याय में मांझी को डिस्टर्ब नहीं करेंगे, लेकिन क्या परिस्थिति आयी कि उन्होंने चुप्पी साध ली.
मौका मिला तो किया काम
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके चाहते हुए भी उनकी कोई बात नहीं मानी जा रही थी. जब उन्हें मौका मिला तो उन्होंने सबों के लिए काम किया और सम्यक रूप से निर्णय किया. राज्यपाल से जब समय मिला, तो उसमें समाज सेवा का प्रयास किया. गरीबों के लिए और जन सुविधा के लिए काम हुआ है. नियोजित शिक्षकों, टोला सेवकों, रसोइया, न्याय मित्र, विकास मित्र समेत अन्य लोगों के लिए काम किया. पत्रकारों के लिए भी प्रेस क्लब और पेंशन योजना की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि इन कामों को करने के लिए पहले इजाजत नहीं मिलती थी. कहा जाता था कि पैसा नहीं है.
वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है. अगर दस पुल नहीं बनायेंगे तो चलेगा, लेकिन गरीब को योजनाओं का लाभ पहुंचाया जायेगा और राशि दी जायेगी. जिस काम से जनता अपेक्षा रखती थी वह काम उन्होंने किया. समाज में जो मैसेज देना चाहते थे उन्होंने दिया. उनके जो हाथ बंधे थे उसे 15 दिन या एक महीना ही समय मिला, तो हमने काम किया. अगर आगे मौका मिलेगा तो सीमित संसाधनों से सभी तबकों के लिए काम करेंगे, लेकिन फिलहाल जो काम उन्होंने किया है उससे वे खुश हैं.
मौका मिले, तो करायेंगे जांच
सीएम ने कहा कि अगर आगे मौका मिले तो बेली रोड में बन रहे म्यूजियम की वे जांच करवाते. यह म्यूजियम 100 करोड़ रुपये में बन जाता, लेकिन 600-700 करोड़ रुपये का इस्टिमेट दिया गया है. जो पुल 50 करोड़ में बनता उसका इस्टिमेट 500 करोड़ और एक करोड़ में बनने वाले सड़क का इस्टिमेट पांच करोड़ दिया जा रहा है. ऐसा कर ठेकेदारों का पेट भरा जा रहा है और सरकार का पैसा मिसयूज हो रहा है. इससे गरीबों को कुछ नहीं मिल रहा है.
140 विधायक हमारे साथ
सीएम ने कहा कि हमारे पास अब भी 140 विधायकों का समर्थन है. अगर गुप्त मतदान हुआ तो वे लोग तैयार हैं. विधायक डर गये हैं और वे गुप्त ही रहना चाहते हैं. अगर राज्यपाल गुप्त मतदान करवा दें तो वे सरकार बना सकते हैं और उनके पक्ष में 180 से कम वोट पड़े तो वे इस्तीफा दे देंगे.
हम विधायक को जानते हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे कौन समर्थन दिये कौन नहीं दिये इसे नहीं जानते हैं. पार्टी नहीं वे सिर्फ विधायकों को जानते हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी राजनीति नहीं की और न ही कर सकते हैं. क्या भाजपा, जदयू क्या राजद-कांग्रेस. सभी के विधायक हमारे साथ थे.
जब वह दिल्ली गये थे तो सभी पार्टियों के नेताओं से उनकी मुलाकात हुई थी. सभी ने बधाई भी दी थी.
उन्होंने कहा कि वह पार्टी वाइज राजनीति नहीं, लोगों की सेवा करते हैं और करते रहेंगे.
तय करेंगे आगे की रणनीति
सीएम ने कहा कि अपने रणनीतिकारों के साथ मिल कर आगे की रणनीति तय करेंगे. 28 फरवरी को श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में कार्यकर्ताओं का सम्मेलन बुलाया गया. इसमें आगे क्या करना है यह तय किया जायेगा.

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