किस्सा कुरसी का : नीतीश ने कहा, अच्छा होता मांझी पार्टी के फैसले का सम्मान करते

सीएम मांझी के इस्तीफे के बाद नीतीश ने कहा पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के इस्तीफे के बाद जदयू विधानमंडल दल के नेता नीतीश कुमार ने कहा कि राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी को इस सरकार के बहुमत पर पहले ही संदेह था. इसलिए उन्होंने उन्हें विश्वासमत हासिल करने के लिए समय दिया था. अब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 21, 2015 4:57 AM
सीएम मांझी के इस्तीफे के बाद नीतीश ने कहा
पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के इस्तीफे के बाद जदयू विधानमंडल दल के नेता नीतीश कुमार ने कहा कि राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी को इस सरकार के बहुमत पर पहले ही संदेह था. इसलिए उन्होंने उन्हें विश्वासमत हासिल करने के लिए समय दिया था. अब उसी दावे पर विचार करते हुए राज्यपाल के निर्णय का इंतजार है. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार अपने सरकारी आवास 07 सकरुलर रोड पहुंचे. सहयोगी दल के नेताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद उन्होंने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने की बेसब्री नहीं है.
राज्यपाल से न्योता मिलता है, तो वे जनता की फिर से सेवा करेंगे. आदमी का काम बोलता है, जबान नहीं. हम भी बोलने में विश्वास नहीं करते हैं. मेरा भी काम बोला है. जिम्मेवारी मिलती है, तो काम को बखूबी बढ़ायेंगे और काम करने में एकता दिखायेंगे. उन्होंने साढ़े आठ सालों में मुख्यमंत्री रहते जो काम किया है, उसी अंदाज और तेवर में काम करेंगे और सुशासन को आगे बढ़ायेंगे. सुशासन का जो क्षरण हुआ है, उसे ठीक करेंगे. नीतीश कुमार ने कहा कि जदयू समेत राजद, कांग्रेस, सीपीआइ व निर्दलीय विधायक को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने सारे प्रलोभनों को दरकिनार कर दिया और चट्टानी एकता से हमारे साथ बने रहे.
घोड़ा मैदान में जाने से पहले बैठ गया
नीतीश कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का इस्तीफा देना घोड़ा के मैदान में जाने से पहले बैठ जाने के बराबर है. यह एक अनोखी घटना है और लगता है कि संसदीय लोकतंत्र में यह पहली घटना है. राज्यपाल को बजट सत्र के पहले दिन विधानसभा व विधान परिषद की संयुक्त सभा को संबोधित करना था और उससे आधा घंटे पहले मुख्यमंत्री ने जाकर उन्हें इस्तीफा दे दिया. विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गयी है. सत्र उन्होंने ही बुलाया था और सदन में जाने से पहले ही मैदान छोड़ कर भाग गये.
नीतीश कुमार ने कहा कि सीएम हाउस में कल तक हाइ वोल्टेज ड्रामा चलता रहा. लोग मुंह ढंक-ढंक कर जाते रहे. उन लोगों ने कोई प्रयत्न तक नहीं छोड़ा. इस्तीफे के बाद जो कुछ कहा गया, वह तो और हास्यास्पद है. स्पीकर पर दोषारोपण किया गया. उन्हें मुकदमे में फंसाने की कोशिश की गयी. कोर्ट का सहारा लिया गया.
चारों तरफ से डिमोरलाइज किया गया. सारे ताल-तिकड़म के बाद भी कोई टूट नहीं रहा, तो अब दोषारोपण कर रहे हैं. अब जो कुछ कह रहे हैं उसका कोई अर्थ नहीं है. जीतन राम मांझी को फेथफूली काम करना चाहिए था. जब बहुमत नहीं था, तो पहले ही त्याग पत्र दे देना चाहिए था. उन्हें पार्टी फैसले का सम्मान करना चाहिए था और भाजपा के इशारे पर काम नहीं करना चाहिए था.
भाजपा सत्ता की भूखी, न फंसें
नीतीश कुमार ने लोगों से अपील की कि भाजपा सत्ता की भूखी है. उसके चक्कर में न आएं. वे सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं. बिहार का विकास करना है, तो जातिवाद को छोड़ना होगा. भाजपा भी जातिवाद का कार्ड खेल रही है. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, स्पीकर, पार्टी के अध्यक्ष, नेता की कोई जात नहीं होती. संवैधानिक पद पर बैठे लोग की कोई जात नहीं होती.
न वे जात के कारण संवैधानिक पद पर बैठते हैं और न ही इससे पहचाने जाते हैं. राज्यपाल व सीएम दलित, सवर्ण, पिछड़े, हिंदू या मुसलिम नहीं होते. भाजपा कैसा समाज बनाना चाहती है. उन्होंने कहा कि कई महादलित मुख्यमंत्री हुए, लेकिन उदय नारायण चौधरी पहले महादलित हैं, जो स्पीकर हुए. उनका विरोध करना भाजपा का कैसा दलित प्रेम है. पहले धर्म के नाम पर समाज को बांटते थे और अब कास्ट कार्ड खेल रहे हैं. जब भाजपा जदयू के साथ थी, तभी से उदय नारायण चौधरी स्पीकर हैं. इसलिए जात से जोड़ कर भाजपा किसी की पहचान करना बंद करे.
जुगाड़ से बनाना चाहते थे सरकार
नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा के एक नेता नंदकिशोर यादव का बयान आया है कि बहुमत का जुगाड़ जीतन राम मांझी को करना था. वे लोग जुगाड़ टेक्नोलॉजी से सरकार बनाना चाहते थे. संवैधानिक तरीके से सरकार नहीं बनाना चाहते थे. बावजूद इसके दल की चट्टानी एकता बनी रही और वे लोग पार्टी को नहीं तोड़ पाये. उन्होंने कहा कि शरद यादव ने सात फरवरी को जदयू विधानमंडल दल की बैठक बुलायी थी. इसमें 97 विधायक पहुंचे थे. एक विधायक के यहां अनुष्ठान था और एक खुद स्पीकर थे, जो जदयू के किसी कार्यक्रम में नहीं जाते हैं. उसी दिन साफ हो गया था कि उनके पास 12 लोग ही सिर्फ साथ में हैं. उनकी क्या स्थिति है, वह भी पता है.
भाजपा ने लिखी स्क्रिप्ट
नीतीश कुमार ने भाजपा पर भी जम कर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि भाजपा सब कुछ जानते हुए पूरे खेल को हवा दे रही थी. इस पूरे खेल की स्क्रिप्ट भाजपा द्वारा लिखी जा रही थी.
भाजपा का गेम प्लान फेल हो गया. पूरी तरह सब लोग एक्सपोज हो गये हैं. भाजपा द्वारा बार-बार जदयू में दो गुट की बात कही जा रही थी. वह भाजपा से पूछना चाहते हैं कि 10वीं अनुसूची के रहते क्या किसी दल में कोई गुट हो सकता है क्या? क्या उस गुट का कोई अस्तित्व हो सकेगा? जदयू में गुटबाजी को भाजपा ने पैदा किया. नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में जो कुछ हो रहा था इससे भाजपा की सबसे ज्यादा छीछालेदर हो रही थी. भाजपा हमें तोड़ना चाहती थी.
गलत काम कर रही थी और संसदीय ताकत को कमजोर करने कोशिश कर रही थी. बिहार में जो कुछ किया जा रहा था उसका देश भर के अनेक दलों ने विरोध भी किया था. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बसपा सुप्रीमो मायावती और शिवसेना ने भी इसका विरोध किया था. जीतन राम मांझी सरकार को बचाने के लिए भाजपा पहले गुप्त और अब खुल कर समर्थन में आ गयी है.
जातीय कार्ड से कुछ होने जाने को नहीं
नीतीश कुमार ने सीएम जीतन राम मांझी पर कहा कि अच्छा काम होता कि मांझी जी पार्टी के फैसले का सम्मान करते. जातीय कार्ड खेलने की कोशिश नहीं करना चाहिए था. जातीय कार्ड से कुछ होने जाने को नहीं है. जिस दल ने उन्हें मुख्यमंत्री बना कर सम्मान दिया, उन्हें उस दल में घात नहीं पहुंचाना चाहिए था और भाजपा से नहीं मिलना चाहिए था. जीतन राम मांझी ने जब इस्तीफा दिया तो कह रहे हैं कि विधायक दल के विरोध में वोट करते तो मेंबरी चली जायेगी. अब उन्हें पुनर्विचार करना होगा कि वे क्या राजनीति करना चाहते हैं? वे भाजपा के स्क्रिप्ट में और गेम प्लान में काम करना चाहते हैं या फिर नयी जगह जाना चाहते हैं. यह उनका अधिकार है.
बिहार की जनता माफ करे
नीतीश कुमार ने एक बार फिर बिहार की जनता से माफी मांगी है. उन्होंने कहा कि अपनी गलती के लिए वे सार्वजनिक रूप से फिर माफी मांगते हैं. उन्हें बिहार की जनता माफ करे. आगे कभी भावना में फैसला नहीं लेंगे और पूरे मन से काम करेंगे. विधानसभा में विधायक उनके साथ में हैं और जनता की भावना भी यही है. उन्होंने कहा कि अपनी भावना के कारण लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने त्याग पत्र दिया था. वह एक गलती थी. अब वह दोबारा काम करने को तैयार हुए हैं और पूरे मन से काम करेंगे. अब फ्रंट सीट पर बैठ कर लीड करेंगे.
सरकारी काम में नहीं दिया दखल
मुख्यमंत्री के आरोपों पर नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने सरकारी कामों में कभी दखल नहीं दिया. हमने कभी उन्हें किसी काम के लिए नहीं रोका. दल ने उन्हें सम्मान दिया और वह ऐसी बात कर रहे हैं. जीतन राम मांझी से यही कहा गया था कि भाजपा के गेम प्लान को वह समङों. जिस प्रकार वे बयान दे रहे थे, उस पर लगाम लगाएं. समय रहते वह नहीं चेते तो लोगों की बात पर चल कर कदम उठाया. उन्होंने कहा कि वे तो पार्टी का काम कर रहे थे.
जब मुख्यमंत्री की कुरसी त्याग दिया तो उस ओर देख भी नहीं रहे थे और जो काम हो रहा था, उस पर वह ध्यान भी नहीं दे रहे थे. जब क्षेत्रों में गये तो लोगों ने उनसे जो बातें कहीं, उससे भाजपा के गेम प्लान का पता चला. जीतन राम मांझी को इसके लिए आगाह किया गया, लेकिन वे उन्हीं के इशारे में काम करने लगे. सीएम जीतन राम मांझी के फैसले को पलटने के सवाल पर नीतीश ने कहा कि इसका फैसला सरकार बनाने के बाद किया जायेगा. वहीं उन्होंने जदयू या फिर गंठबंधन की सरकार बनाने पर भी कोई सटीक जवाब नहीं दिया.
विधानसभा में मुख्यमंत्री समेत अन्य विधायकों की सीट अरेजमेंट पर नीतीश ने कहा कि सदन का नेता मुख्यमंत्री होते हैं. उनके बैठने की जगह पहले से स्थापित होती है. उन्होंने कहा कि उन्होंने जीतन राम मांझी को कभी नहीं महादलित कहा. वे उनके मंत्रिमंडल के सदस्य थे. इस आधार पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था. प्रेस कॉन्फ्रेंस में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायन सिंह, विजय चौधरी, रामचंद्र पूर्वे, अशोक चौधरी, सदानंद सिंह, केदार पांडेय मौजूद थे.

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