नीतीश कुमार कल लेंगे शपथ
सदन के बाहर ही दम तोड़ गये जीतन के दावे, दिया इस्तीफा नीतीश बोले : माफ करें, अब भावना में आकर नहीं दूंगा इस्तीफा त्नमांझी के लिए मन में मैल नहीं, वे खुद तय करें अपनी आगे की राजनीति पटना : पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रदेश के नये मुख्यमंत्री होंगे. शुक्रवार को सीएम जीतन राम […]
सदन के बाहर ही दम तोड़ गये जीतन के दावे, दिया इस्तीफा
नीतीश बोले : माफ करें, अब भावना में आकर नहीं दूंगा इस्तीफा त्नमांझी के लिए मन में मैल नहीं, वे खुद तय करें अपनी आगे की राजनीति
पटना : पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रदेश के नये मुख्यमंत्री होंगे. शुक्रवार को सीएम जीतन राम मांझी के इस्तीफे के बाद राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने उन्हें सरकार बनाने का न्योता दिया. 22 फरवरी (रविवार) की शाम पांच बजे राजभवन के राजेंद्र मंडपम में राज्यपाल उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायेंगे. जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार के साथ कुछ मंत्रियों को भी शपथ दिलायी जायेगी. राज्यपाल ने उन्हें तीन सप्ताह के अंदर यानी 16 मार्च के पहले सदन में बहुमत साबित करने को कहा है. नयी सरकार शुक्रवार से शुरू होनेवाली बजट सत्र को खत्म करने की सिफारिश करेगी.
नये सिरे से बजट सत्र का आयोजन होगा और उसी समय दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में राज्यपाल का अभिभाषण होगा. नयी सरकार के गठन को लेकर नीतीश कुमार ने देर शाम राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के साथ फोन पर विचार-विमर्श किया. शनिवार को यह तय हो जायेगा कि नीतीश कुमार की अगुआई में बननेवाली नयी सरकार में कांग्रेस और राजद की हिस्सेदारी होगी या नहीं.
मांझी के इस्तीफे के बाद शाम साढ़े चार बजे राजभवन से जदयू विधानमंडल दल के नेता नीतीश कुमार को बुलावा आया. नीतीश कुमार राजद विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी, प्रदेश राजद अध्यक्ष डॉ रामचंद्र पूर्वे, कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी, प्रदेश जदयू अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, जदयू विधायक दल के नेता विजय कुमार चौधरी और भाकपा के केदार पांडेय व अवधेश राय के साथ राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से मुलाकात की. करीब आधे घंटे की मुलाकात के बाद राजभवन से बाहर आये नीतीश कुमार ने कहा कि राज्यपाल ने सरकार बनाने के हमारे दावे को स्वीकार कर लिया है.
यह पूछे जाने पर कि नयी सरकार में राजद,कांग्रेस और भाकपा के भी लोग शामिल होंगे, नीतीश इस सवाल को टाल गये.
इसके पहले मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार की सुबह करीब 10:15 बजे राजभवन जाकर अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया. राज्यपाल ने उनका इस्तीफा तुरंत मंजूर कर लिया और विधानमंडल की कार्यवाही तत्काल स्थगित कर दी. मांझी के इस्तीफे के बाद अपने सरकारी आवास 07 सकरुलर रोड पर नीतीश कुमार ने सहयोगी दलों के नेताओं के साथ मंत्रणा की और फिर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मेरे मन में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है.
अब मांझी को तय करना है कि उनकी राजनीति किस दिशा में चलेगी. इससे पहले इस्तीफा देने के बाद जीतन राम मांझी ने 01 अणो मार्ग पर संवाददाताओं से कहा कि मुङो असंवैधानिक तरीके से पद से हटने को मजबूर किया गया है. उन्होंने नीतीश कुमार पर रिमोट से सरकार चलाने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा कि अब भी मुङो 140 से अधिक विधायकों का समर्थन हासिल है. गुप्त मतदान हुआ, तो वह अब भी बहुमत साबित कर देंगे. उन्होंने स्पीकर उदय नारायण चौधरी पर भी कई गंभीर आरोप लगाये.
इधर, भाजपा ने कहा कि नीतीश कुमार को छह महीने के मुख्यमंत्री बनने के बजाय चुनाव में जाना चाहिए. पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव और प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा कि मांझी सरकार का इस्तीफा जदयू का आपसी विवाद है. इससे भाजपा को कोई लेना-देना नहीं है.
बिना सत्ता पक्ष के सदन की कार्यवाही हुई शुरू
राज्यपाल के अभिभाषण के लिए विधानसभा तैयार था. दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन की कार्यवाही आरंभ भी हुई. लेकिन, पहली बार ऐसा हुआ कि सदन की कार्यवाही आरंभ हुई और सत्ता पक्ष की ओर एक भी सदस्य नहीं थे. सत्ता पक्ष पूरी तरह खाली था. यहां तक कि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, जिन्होंने सत्र को बुलाने की पहल की थी, सदन में नजर नहीं आये. सदन के भीतर विपक्षी दल के रूप में सिर्फ भाजपा के सदस्य बैठे थे. जदयू, राजद, कांग्रेस व भाकपा के सदस्य अभिभाषण के विरोध में मुंह पर काली पट्टी लगा कर बाहर बैठे थे. लेकिन, अभिभाषण देने राज्यपाल नहीं पहुंचे. बाद में राजभवन से सूचना आते ही सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी.
जीतन राम मांझी को पहले ही इस्तीफा देना चाहिए था. उन्होंने भाजपा के चक्कर में पड़ कर अपना पूरा भविष्य
बरबाद कर दिया. नीतीश के साथ मिल जुल कर रहें और भाजपा को सत्ता में आने से रोकें.
लालू प्रसाद, राजद
मंत्रियों को जान से मारने की धमकी दी जा रही थी. विधायक साथ आने को तैयार थे. पर गुप्त मतदान की नहीं व्यवस्था होने के कारण मैं खुद नहीं चाहता था कि उनकी सदस्यता चली जाये. इसलिए मैंने इस्तीफा दे देना उचित समझा.
जीतन राम मांझी
छह माह के लिए मुख्यमंत्री बनने के बजाय नीतीश कुमार को चुनाव में जाना चाहिए. मांझी को सीएम बनाने से दलित-महा दलित मतदाता बड़ी संख्या में नीतीश कुमार से जुड़े थे, किंतु आज वे उनके खिलाफ गुस्से में हैं.
सुशील कुमार मोदी, भाजपा
हार देखी तो बदला रास्ता
शुक्रवार सुबह विधानसभा में जीतन राम मांझी के आने का इंतजार हो रहा था. लेकिन, उन्होंने सदन जाने के बजाय राजभवन की राह पकड़ ली और राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
शपथ में लालू, मुलायम, ममता, देवेगौड़ा भी आयेंगे
पटना : बिहार के 24वें मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में पूरा जनता परिवार उपस्थित रहेगा. समारोह में राजद प्रमुख लालू प्रसाद, सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, इंडियन नेशनल लोकदल के अभय और दुष्यंत चौटाला, कमल मोरारका, कांग्रेस के बिहार प्रभारी सीपी जोशी और केरल के जदयू सांसद एमवी वीरेंद्र कुमार मौजूद रहेंगे. राज्यपाल के न्योते के बाद खुद नीतीश कुमार ने ममता बनर्जी और यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत जनता परिवार के सभी नेताओं से बातचीत की.
बातचीत में मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मैं खुद शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद रहूंगा. नीतीश ने सीपी जोशी से कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी या उपाध्यक्ष राहुल गांधी में से किसी एक को शपथ ग्रहण समारोह में आने की अपील करें. नीतीश की कोशिश है कि शपथ ग्रहण समारोह के बहाने जनता परिवार के विलय या एकजुटता की प्रक्रिया में तेजी लायी जाये.