संवाददाता, पटनालोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद नैतिकता के उच्च आदर्श को आधार बना कर नीतीश जी ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था. महादलित के लिए नीतीश ने कुर्बानी दी है, इसी को आधार बना कर सामाजिक न्याय के लिए त्याग का प्रतीक बना कर उनको पेश किया जा रहा था. लेकिन, अब नीतीश जी ने नैतिकता के आधार पर अपने इस्तीफे के निर्णय को गलत मान लिया है. अपनी इस गलती के लिए बिहार की जनता से हाथ जोड़ कर माफी भी मांग ली. उन्होंने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि अपने को लोहियावादी-समाजवादी माननेवाले नीतीश ने यह कैसे कहा कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या संवैधानिक पद पर बैठनेवाले की जाति नहीं होती. अगर ऐसा है, तब लोहिया या अन्य समाजवादी प्रधानमंत्री की कुरसी पर क्यों किसी पिछड़े या दलित को बैठाने का सपना देखते रहे? नीतीश जी अपने बयान से क्या यह साबित करना चाहते हैं कि लोहिया या दूसरे समाजवादियों की समझ गलत थी?शिवानंद ने कहा कि विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार बाजी मार ले गये. पार्टी में विधान सभा या लोकसभा का चुनाव कौन लड़ेगा यह वे तय करते हैं. उनके हाथ में पार्टी का चुनाव चिह्न है. इसलिए विधायक दल में तो उनको जीतना ही था. लेकिन बिहार की राजनीति के भविष्य का असली फैसला तो विधानसभा के अगले चुनाव में होनेवाला है. नीतीश कुमार की राजनीति की परीक्षा तो अब होनेवाली है.
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विस चुनाव में होगा बिहार की राजनीति का फैसला : शिवानंद
संवाददाता, पटनालोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद नैतिकता के उच्च आदर्श को आधार बना कर नीतीश जी ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था. महादलित के लिए नीतीश ने कुर्बानी दी है, इसी को आधार बना कर सामाजिक न्याय के लिए त्याग का प्रतीक बना कर उनको पेश किया जा रहा था. लेकिन, अब […]
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