स्वाइन फ्लू. काम नहीं आ सका हाइअलर्ट, शहर में और बढ़ा प्रकोप वार्ड व दवा तक नहीं, दावे बड़े-बड़े

बरामदे में रखे जा रहे संदिग्ध मरीजपटना सिटी: तारीख- 26 फरवरी, दिन-गुरु वार और समय तकरीबन दोपहर के एक बजे. फिर भी न कोई भीड़भाड़ और न कोई भागाभागी. हां, कुछ लोग मास्क लगाए जरूर दिख रहे हैं. यह नजारा है अगमकुआं स्थित संक्रामक रोग अस्पताल के परिसर का. परिसर में प्रवेश करते ही दायीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2015 6:56 AM
बरामदे में रखे जा रहे संदिग्ध मरीज
पटना सिटी: तारीख- 26 फरवरी, दिन-गुरु वार और समय तकरीबन दोपहर के एक बजे. फिर भी न कोई भीड़भाड़ और न कोई भागाभागी. हां, कुछ लोग मास्क लगाए जरूर दिख रहे हैं. यह नजारा है अगमकुआं स्थित संक्रामक रोग अस्पताल के परिसर का. परिसर में प्रवेश करते ही दायीं ओर उपाधीक्षक डॉ अखिलेश कुमार सिंह का कमरा है, जहां वह अपने मातहतों को आवश्यक निर्देश देते दिखे. उपाधीक्षक ने बताया कि स्वाइन फ्लू के दो मरीज संजीव कुमार (25 वर्ष, समस्तीपुर) और राजेश कुमार (20 वर्ष, सिपारा, पटना) अभी यहां भरती हैं. साथ ही एक संदिग्ध मरीज भी भरती है. स्वाइन फ्लू के लक्षण के आधार पर 25 फरवरी को मधुबनी से राकेश कुमार निराला यहां एडमिट हुआ है. उसके रक्त को जांच के लिए आरएनआरआई भेजा गया है, रिपोर्ट का इंतजार है.
कमरे व स्टाफ के साथ डॉक्टरों की भी कमी
अखिलेश कुमार ने बताया कि कमरों की कमी की वजह से बरामदे और कॉरीडोर को कमरे के स्वरूप में तब्दील कर काम चलाया जा रहा है. पूरे अस्पताल में ऐसे पांच जगहों का चयन किया गया है, जहां मुकम्मल व्यवस्था कर स्वाइन फ्लू के मरीजों का इलाज किया जा सके. इसके अलावा यदि स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़ती है, तो टेटनस वार्ड को छोटा करने पर भी विचार हो सकता है. स्टाफ व डॉक्टरों की कमी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इसके बाबत विभाग को जानकारी दी जा चुकी है. अभी उपाधीक्षक सहित पांच डॉक्टर वहां कार्यरत हैं. वर्तमान में संक्र ामक रोग अस्पताल में स्वाइन फ्लू के 20, टेटनस के 10, डिप्थेरिया के 4 और रेबीज के 2 मरीजों के इलाज की व्यवस्था है. इसमें पुरु ष और महिला मरीज दोनों शामिल हैं.
पीड़ित के साथ ही रखा गया संदिग्ध मरीज
वार्ड में भरती दो मरीज व एक संदिग्ध मरीज सभी आराम की मुद्रा में थे. समस्तीपुर के संजीव कुमार व सिपारा, पटना के राजेश कुमार के साथ ही मधुबनी के संदिग्ध मरीज राकेश कुमार निराला को भी रख दिया गया था. इसकी जानकारी जब उपाधीक्षक को दी गयी, तो उन्होंने उसे अलग रखने का आदेश दिया. उपाधीक्षक डॉक्टर अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि दवा के साथ ही मास्क व हैंड ग्लब्स उपलब्ध है. हालांकि टीका को लेकर उन्होंने अनिभज्ञता जाहिर की.
रिपोर्ट में देरी से परजिनों में आक्रोश
उपाधीक्षक से जानकारी लेने के बाद प्रभात खबर की टीम मरीज के परजिनों के पास पहुंची. भरती मरीज संजीव कुमार के बड़े भाई संतोष कुमार ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने में काफी विलंब हुआ. इससे उपचार देर से शुरू हो सका. उनका भाई फिलहाल सामान्य है. जांच रिपोर्ट आने में विलंब होने के कारण मरीजों के परिजनों में आक्रोश है.

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