पटना हाइकोर्ट : फिर हड़ताल पर गये अधिवक्ता, अदालती कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा व प्रदर्शन

पटना: पटना हाइकोर्ट प्रशासन द्वारा लाये गये दो नये संशोधन रुल्स के विरोध में अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को हाइकोर्ट परिसर में दिन भर हंगामा और नारेबाजी की. उनकी मांग थी कि नये रुल्स को वापस लिया जाये. स्थिति यहां तक पहुंची कि मुख्य न्यायाधीश को भी भोजनावकाश के बाद न्याय निर्णय लेने में परेशानी हुई. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2015 7:17 AM
पटना: पटना हाइकोर्ट प्रशासन द्वारा लाये गये दो नये संशोधन रुल्स के विरोध में अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को हाइकोर्ट परिसर में दिन भर हंगामा और नारेबाजी की. उनकी मांग थी कि नये रुल्स को वापस लिया जाये. स्थिति यहां तक पहुंची कि मुख्य न्यायाधीश को भी भोजनावकाश के बाद न्याय निर्णय लेने में परेशानी हुई. हंगामे के कारण न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह के कोर्ट संख्या-आठ का दरवाजा भी क्षतिग्रस्त हो गया.

हंगामे के कारण न्यायिक कार्रवाई नहीं हो सकी. अधिवक्ताओं ने सोमवार को भी हड़ताल जारी रखने की घोषणा की है. पटना उच्च न्यायालय प्रशासन द्वारा नये संशोधन रुल्स लाये गये, जिनमें वकीलों को किसी भी तरह के केस फाइल करते समय तकनीकी गड़बड़ी होने पर उन्हें प्रॉब्लम होती. इसके अलावा किसी भी तरह की प्राथमिकी दर्ज होने पर एफआइआर का प्रमाणपत्र वकीलों को ही देना पड़ता. इसका अधिवक्ता विरोध कर रहे थे.

अदालती कार्यवाही शुरू होने के साथ ही अधिवक्ताओं ने 11.30 बजे से अदालत परिसर में हंगामा व नारेबाजी शुरू कर दी. एक-एक कर उन्होंने सभी कोर्ट में जाकर नारेबाजी की. हंगामे को देखते हुए प्रशासन की ओर से रैफ को बुलाना पड़ा. बाद में सभी अधिवक्ता धरना पर बैठ गये. अधिवक्ताओं ने स्थानीय जजों के स्थानांतरण की मांग करने लगे. उनकी मांग थी कि जब डीएम का अपने जिले में पदस्थापन नहीं होता है, तो जजों को अपने ही कोर्ट में कैसे पदस्थापित किया जाता है.
हंगामा करनेवाले बाहर के हैं : योगेश
बिहार बार काउंसिल के सदस्य योगेश चंद्र वर्मा ने बताया कि हंगामा करनेवाले अधिवक्ता पटना हाइकोर्ट के नहीं हैं. बाहर के लोगों द्वारा हंगामा किया गया. ऐसे अधिवक्ता पटना हाइकोर्ट के हो ही नहीं सकते हैं. उधर बिहार स्टेट बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, जबकि लॉयर्स एसोसिएशन के दिलीप कुमार टंडन ने कहा कि इस तरह का कानून कही नहीं है. इस तरह के रुल्स सिर्फ पटना हाइकोर्ट में ही हैं.

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