बिहार को मिलनेवाली कुल राशि में मात्र 37.9 फीसदी की बढ़ोतरी तो की गयी है, लेकिन केंद्र की ओर से राज्यों को मिलनेवाले अंशदान में बिहार की राशि में 1.3 फीसदी की कटौती की गयी है. अगर यह कटौती नहीं होती, तो बिहार को नुकसान नहीं होता.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र द्वारा राज्यों को मिलनेवाले स्केल में भी 14वें वित्त आयोग में घटा दिया गया है. 13 वें वित्त आयोग के समय राज्यों को मिलनेवाली राशि में से 10.9 फीसदी राशि बिहार को मिलती थी, लेकिन 14 वें वित्त आयोग में अब 9.6 फीसदी राशि ही मिल सकेगी. इससे बिहार को 50-55 हजार करोड़ रुपये का पांच सालों में घाटा होगा. अगर 13 वें वित्त आयोग के स्केल को जारी रखा जाता, तो यह बिहार को घाटा नहीं होता. उन्होंने कहा कि यह नजरअंदाज करनेवाली बात नहीं है. इसकी भरपाई की भी बात नहीं हो रही है.
उन्होंने कहा कि बिहार को केंद्र की ओर से अतिरिक्त मदद मिलनी चाहिए. केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट में बिहार को आंध्र के तर्ज पर विशेष सहायता देने की बात कही है, लेकिन इसमें बिहार को कितनी राशि मिलेगी, इसकी कोई कार्ययोजना नहीं बतायी गयी है. इस बार नये मापदंड के कारण भी बिहार को नुकसान हुआ है. झारखंड बंटवारे के बाद प्राकृतिक वन बिहार में नहीं हैं. वन क्षेत्र को नौ फीसदी से हमने 12 फीसदी तक पहुंचाया है. इसके लिए बिहार को इंसेंटिव दिया जाना चाहिए. हमने बेहतर वित्तीय प्रबंधन किया. हमें उसका नुकसान उठाना पड़ रहा है. हमने विकास दर ऊंची की.हमें ग्रोथ के लिए केंद्र द्वारा प्रोत्साहित करना चाहिए था. अगर कोई राज्य सफर कर रहा है, तो इसे अलग से सहायता दी जाये. इसके लिए वह केंद्र को ज्ञापन भी देंगे.