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सिविल कोर्ट के पास गंगा की धारा को वापस लाओ : हाइकोर्ट

पटना: पटना हाइकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के अफसरों को गंगा नदी की धारा को सिविल कोर्ट के पास वापस लाने का टास्क सौंपा है. मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी के चैंबर में हुई सुनवाई के दौरान अफसरों से बुधवार को भी बैठक कर कलेक्टेरियट घाट से सिविल कोर्ट तक गंगा नदी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 4, 2015 7:11 AM
पटना: पटना हाइकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के अफसरों को गंगा नदी की धारा को सिविल कोर्ट के पास वापस लाने का टास्क सौंपा है. मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी के चैंबर में हुई सुनवाई के दौरान अफसरों से बुधवार को भी बैठक कर कलेक्टेरियट घाट से सिविल कोर्ट तक गंगा नदी के किनारे को सुंदर बनाने और बालू व भूमि माफिया से बचाने के उपाय निकालने का निर्देश दिया है.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पटना सिविल कोर्ट का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है. सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे कि गंगा के किनारे पानी का बहाव हो और पर्यटन के उद्देश्य से यातायात का भी परिचालन भी हो सके. इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार से भी मदद लेने का सुझाव दिया. सुनवाई के दौरान जहाजरानी व परिवहन मंत्रलय के निदेशक गुरुमुख सिंह, खान विभाग के प्रधान सचिव शिशिर सिन्हा और पटना के डीएम अभय कुमार सिंह उपस्थित थे.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा गंगा नदी लाइव रीवर है. 1937 में गंगा के किनारे सिविल कोर्ट परिसर का निर्माण किया गया था. सिविल कोर्ट के किनारे गंगा की सुंदरता से प्रभावित लोग यहां छठ की पूजा भी करते थे. लेकिन, ताज्जुब की बात है कि इस पर अब कोई ध्यान नहीं दे रहा. इसे ठीक करने और पुरानी स्थिति में लाने के लिए जो भी उपाय संभव है, उसे किया जाना चाहिए.

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सिविल कोर्ट के इर्द-गिर्द नदी किनारे कम-से-कम 50 मीटर चौड़ा गड्ढा खोद कर पानी का बहाव सुनिश्चित करना चाहिए. कोर्ट ने अफसरों से कहा कि हम ऐसे मामलों के विशेषज्ञ नहीं है, आप लोग विशेषज्ञ हैं. हर हाल में गंगा को लाइव रीवर बनाने की दिशा में काम आगे बढ़ाइए. अधिकारियों ने मुख्य न्यायाधीश को बताया कि 2002 में एक बार सरकार ने कोशिश की थी. राजस्थानी ट्रैक्टर से गड्ढा खोद कर पानी लाने की कोशिश हुई थी, लेकिन कुछ दिनों बाद सब नष्ट हो गया. इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार की मदद लेने की सलाह दी.

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