होलिका दहन आज, कल खेलेंगे रंगों की होली

पटना: गुरुवार को सूर्यास्त के बाद होलिका दहन है. शास्त्रों के अनुसार होली से पूर्व इसे मनाने की परंपरा रही है. शुक्रवार को चैत्र कृष्णपक्ष प्रतिपदा के दिन रंगों की होली खेली जायेगी. पंडित मार्के डेय शारदेय के अनुसार पूर्णिमा तिथि रात 10.38 मिनट तक है. ऐसे में गुरुवार शाम 6.12 मिनट के बाद और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 5, 2015 6:12 AM
पटना: गुरुवार को सूर्यास्त के बाद होलिका दहन है. शास्त्रों के अनुसार होली से पूर्व इसे मनाने की परंपरा रही है. शुक्रवार को चैत्र कृष्णपक्ष प्रतिपदा के दिन रंगों की होली खेली जायेगी. पंडित मार्के डेय शारदेय के अनुसार पूर्णिमा तिथि रात 10.38 मिनट तक है. ऐसे में गुरुवार शाम 6.12 मिनट के बाद और रात 10.38 मिनट से पहले होलिका दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त है.
भूने अनाज से होलिका
होली में जितना महत्व रंगों का है. उतना ही महत्व होलिका दहन का है. फाल्गुन पूर्णिमा की संध्या को रक्षागण मंत्रों का उच्चरण करते हुए होलिका दहन मनाते हैं. यह दिन इच्छित कामनाओं की पूर्ति करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है. होलिका शब्द संस्कृत से लिया गया है. इसका अर्थ होता है भूना हुआ अनाज. होलिका दहन में अनाज से हवन करने की परंपरा है. चौक-चौराहों पर इकट्ठी लकड़ियों में अगिA प्रज्वलित कर जल, चावल, फूल, कच्च सूत, हल्दी, मूंग व गेहूं की बालियां को इसमें डाल होलिका दहन होता है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
इसके कई वैज्ञानिक दृष्टिकोण हैं. ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो जाता है. वहीं, खेतों में फसलों की कटाई हो जाती है. इसके बाद खेत-खलिहानों के सूखे पत्ताें के ढेर लग जाते हैं. ऐसे में गरमी से राहत पाने के लिए ठंडी हवा व छांवदार जगहों की शरण ले सकें. इसके लिए होलिका दहन पर सूखे पेड़ व पत्ताें को जला कर सफाई की जाती है.अग्नि के साथ कई मौसमी कीट-पतंगे भी जल जाते हैं. इससे पूरी तरह से मौसम के अनुकूल हम वातावरण का निर्माण कर पाते हैं.

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