कैबिनेट के फैसले : दोबारा पास कराने के लिए विधिवत प्रक्रिया अपनाने का निर्देश, मांझी के 31 फैसले रद्द
पटना: नीतीश सरकार ने पूर्ववर्ती जीतन राम मांझी कैबिनेट के 31 फैसलों को रद्द (बातिल) कर दिया है. ये सभी फैसले मांझी कैबिनेट की अंतिम तीन बैठकों में अन्यान्य (शो-मोटो) के रूप में लिये गये थे. साथ ही सरकार ने संबंधित विभागों को यह स्वतंत्रता दी है कि वे इनमें से आवश्यक समङो जानेवाले प्रस्तावों […]
पटना: नीतीश सरकार ने पूर्ववर्ती जीतन राम मांझी कैबिनेट के 31 फैसलों को रद्द (बातिल) कर दिया है. ये सभी फैसले मांझी कैबिनेट की अंतिम तीन बैठकों में अन्यान्य (शो-मोटो) के रूप में लिये गये थे. साथ ही सरकार ने संबंधित विभागों को यह स्वतंत्रता दी है कि वे इनमें से आवश्यक समङो जानेवाले प्रस्तावों को निर्धारित प्रक्रिया अपना कर कैबिनेट के पास फिर से विचार के लिए पेश सकते हैं.
नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार के गठन के बाद बुधवार को कैबिनेट की हुई दूसरी बैठक हुई. इसमें 10, 18 और 19 फरवरी को आयोजित मांझी कैबिनेट की बैठकों में लिये गये 31 अन्याय फैसलों को रद्द करने का फैसला किया गया. बैठक के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय के प्रधान सचिव बी प्रधान ने बताया कि इनमें जो बेहद महत्वपूर्ण फैसले हैं, उनसे संबंधित प्रस्ताव बना कर पूरी प्रक्रिया अपनाते हुए इसे फिर से कैबिनेट में पेश करने के लिए संबंधित विभाग को कहा गया है. पूर्ववर्ती कैबिनेट की अंतिम तीन बैठकों में कुल 35 अन्याय फैसले लिये गये थे. इनमें 18 फरवरी को लिये गये दो फैसलों को 19 फरवरी को कैबिनेट की बैठक में संशोधित किया गया था. इसके अलावा 18 फरवरी को पास प्रस्ताव संख्या-25 को रद्द प्रस्तावों की सूची से बाहर रखा गया है, क्योंकि इस फैसले को नीतीश सरकार ने अपने कैबिनेट की पहली बैठक में में ही पलट दिया था. यह प्रस्ताव रामबालक महतो को फिर से महाधिवक्ता बनाने से संबंधित था.
इधर, जल संसाधन विभाग ने बुधवार को एक करोड़ तक के ठेके में टेंडर दर समान रहने पर एसी-एसटी को प्राथमिकता देने के अपने फैसले को स्थगित कर दिया. 24 फरवरी को विभाग ने यह आदेश जारी किया था. विभाग के संयुक्त सचिव (अभियंत्रण)विपिन बिहारी मिश्र ने यह जानकारी दी.
मांझी कैबिनेट की अंतिम तीन बैठकों में लिये गये थे ये निर्णय
10 फरवरी : आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णो को सरकारी सेवा में आरक्षण देने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन
18 फरवरी : सिपाही से इंस्पेक्टर तक को साल में 13 माह का वेतन
सरकारी सेवा में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण (गैजडेट पदों को छोड़ कर)
होमगार्ड जवानों के दैनिक व यात्र भत्ताें में वृद्धि, रिटायरमेंट की उम्र 58 से 60 वर्ष व 20 साल तक लगातार सेवा पूरा करनेवालों को 1.50 लाख रुपये
पंचायत और नगर निकाय शिक्षकों को वेतनमान देने के लिए उच्च स्तरीय समिति
किसान सलाहकारों का मानदेय बढ़ा कर सात हजार रुपये
वैशाली जिले के नगमा पटेरी गांव में ओपी की स्थापना
वित्तरहित माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के सरकारीकरण के लिए नियम में बदलाव
मिड डे मील के रसोइयों को 1000 मानदेय देने के लिए केंद्र से अनुशंसा
विद्यालयों में ललित कला और संगीत शिक्षकों के पद का सृजन
स्वामी सहजानंद सरस्वती शोध संस्थान की स्थापना
मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के तहत विधानमंडल के सदस्यों को तीन करोड़ तक काम कराने का अधिकार
सभी 46 हजार राजस्व गांवों में एक-एक स्वच्छता कर्मी की बहाली व पांच हजार रुपये मानदेय
सुन्नी वक्फ बोर्ड को 1.5 करोड़, शिया वक्फ बोर्ड का सहायक अनुदान 80 लाख और हज कमेटी को 75 लाख प्रति वर्ष अनुदान देने का निर्णय
मदरसों का कंप्यूटरीकरण
ग्रामीण विकास विभाग में 2007 में संविदा पर बहाल कर्मियों को पंचायती राज में लेखा सहायक के पदों पर अनुभव के आधार पर नियुक्ति
कपरूरी ठाकुर शोध संस्थान की स्थापना
उर्दू निदेशालय के तहत क्षेत्रीय कार्यालय में उर्दू भाषा वालों के लिए खाली रिक्त पदों को भरने की घोषणा
19 फरवरी : मुजफ्फरपुर शहर में एक ट्रैफिक थाना
सांख्यिकी स्वयंसेवकों की समस्या का अध्ययन के लिए समिति का गठन
राज्य युवा नीति बनाने का निर्णय
विकास मित्र और टोला सेवकों की सेवा 25 वर्ष तक
मधुबनी में सौराठ मेला राजकीय मेला घोषित
25 लाख तक के ठेकों में बीसी, इबीसी और महिला को प्राथमिकता (पथ निर्माण विभाग)
इबीसी और ओबीसी को केंद्रीय सेवा में आरक्षण का लाभ देने के लिए केंद्र को अनुरोध पत्र
सभी सरकारी कॉलेजों (जहां उर्दू की पढ़ाई होती है) में उर्दू शिक्षक की बहाली
सीतामढ़ी के सुरसंड थाना अंतर्गत कुम्मा में एक ओपी का निर्माण
अति पिछड़ा वित्त एवं विकास निगमा की स्थापना
सफाई कर्मचारी आयोग के गठन का निर्णय
301 नये प्रखंडों के गठन की सैद्धांतिक मंजूरी
क्यों रद्द हुए फैसले
ये फैसले ऐसे थे, जिनका प्रस्ताव किसी संबंधित विभाग ने औपचारिक या विधिवत तरीके से कैबिनेट में शामिल नहीं किया था, बल्कि मांझी कैबिनेट ने इन पर स्वयं संज्ञान (शो-मोटो) लेते हुए पास किया था. पहले संबंधित विभाग प्रस्ताव को विधि व वित्त विभागों के पास भेजता है. इसके बाद इसे कैबिनेट में लाया जाता है. लेकिन, इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था.
आगे क्या
मांझी कैबिनेट के रद्द होनेवाले फैसलों में अगर किसी को विभाग महत्वपूर्ण मानता है, तो इसे फिर से विधिवत तरीके से पास कराना होगा. यानी प्रस्ताव को वित्त व विधि विभाग से गुजरने के बाद कैबिनेट विभाग को सौंप सकता है. इस तरीके से आये एजेंडे पर कैबिनेट विचार कर सकता है. कई ऐसे एजेंडे हैं, जिन्हें फिर से पारित कराने के लिए कैबिनेट के पास भेजने की संभावना है.